चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Monday, November 26, 2007

जिन्दगी कुछ ठहर सी गई...

दोस्तों आयोजन के इस चक्कर में जिन्दगी कुछ ठहर ही गई है...कुछ खुशीयाँ आपके साथ बाँटना भूल गई थी...अभी कुछ समय पूर्व (२ नवम्बर) को मेरे ब्लोग का जिक्र राजस्थान पत्रिका मे हुआ था इसके बाद(४ नवम्बर)मेरी एक रचना अमर उजाला में प्रकाशित हुई थी...मेरे लिये ये बेहद खुशी की बात थी मगर मै आपके साथ इसे बाँट ना पाई... आशा करती हूँ आप सभी का प्यार व स्नेह हमेशा मिलता रहेगा...






सुनीता(शानू)

17 comments:

  1. "चांद से,फूल से,या मेरी ज़ुबां से सुनिये,
    हर तरफ आप का चर्चा है,जहां से सुनिये"

    बहुत बहुत बधाई. अरे राजस्थान पत्रिका या अमर उजाला ही क्यों, आप वाकई हक़्दार है ,चर्चा और प्रशंसा का.

    क्षमाप्रार्थी हूं ,आपके आमंत्रण के बावजूद आपके यहां आयोजित कवि गोष्ठी में पहुंच न सका.

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  2. बहुत बहुत बधाई । प्रिंट मीडिया में छपना एक सुखद अनुभूति होती है । स्‍वागत ।

    आरंभ
    जूनियर कांउसिल

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  3. बहुत सही…।
    मेरी भी बधाई स्वीकार हो…।

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  4. बधाई है सुनिता.

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  5. हमारी तरफ़ से भी बधाई!

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  6. बहुत बहुत बधाई !
    घुघूती बासूती

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  7. वाह सुनीताजी आप तो हिट होती जा रही हैं। बधाई

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  8. बहुत बहुत बधाई । प्रभु श्रीनाथजी आपको दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की प्रदान करे यही शुभकामना है।

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  9. आपकी प्रसन्नता महसूस की जा सकती है! बधाई स्वीकार करें।

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  10. सुनीता जी,
    ’राजस्थान-पत्रिका’ऒर ’अमर-उजाला’में कविता ऒर आपके ब्लाग के संबंध में छपने पर दोहरी बंधाई.तो इस हिसाब से हमारी दो ऒर पार्टियां आपकी ओर ड्यू हो गय़ीं.

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  11. बहुत बहुत बधाई सुनीताजी !!:)

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  12. आपकी कविता बहुत अच्छी लगी.. बधाई ! इतनी सुंदर कविता के लिए..

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  13. बहुत बहुत बधाई...

    मंज़िले और भी आएंगी राह में...
    रचनाओं का कारवां यूँ ही चलने दो

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  14. बहुत बहुत बधाई, सुनीताजी!

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य