चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Monday, December 31, 2007

हैप्पी न्यू ईयर एक हॉस्य-कविता

हमने कहा जानेमन,हैप्पी न्यू ईयर...
हँसकर बोले वो,सेम टू यू माई डियर॥

पर पहले बस इतना बतलाओ,
आज नया क्या है समझाओ...

नये साल पर ही करती हो,मीठी-मीठी बातें...
चलो रहने दो हमको चूना मत लगाओ॥

कब मिली है हमको बिरयानी
अपनी तो वही रोटी और दाल है
सब कुछ तो है वही पुराना,
फ़िर भी कहती हो नया साल है॥

अच्छा छोडो़ बेकार की बातें
कुछ बात करो क्लीयर,
तुम भी मनाऒ जश्न अपना
क्या हमें भी लेने दोगी बीयर॥



नये साल का जश्न
कुछ ऎसा हम मनायें
भूल कर सारे गिले-शिकवे
पडौसन को भी बुलायें॥

बीयर तक तो श्रीमान की
बात समझ में आई
मगर पडौसन को बुलाने की
कैसी शर्त लगाई?

फ़िर भी दिल पर काबू करके
पोंछे हमने टियर्स,
देकर हाथ में चाय का प्याला
बोले उनको चियर्स॥



रहने दो जश्न नये साल का
हमे महंगा बहुत पड़ेगा
एक जश्न की खातिर तुमको
ऑवर टाईम करना पड़ेगा॥

फ़िर भी आज घर मॆ
सत्यनारायण पूजा हम करवायेंगे
पडौस वाली तुम्हारी बहन को
चाय भी जरूर हम पिलायेंगे



नही मनाना हमे नया साल
रहने दो डियर
टकरायेंगे चाय के प्याले
और कहेंगे चियर्स...



सुनीता(शानू)

नववर्ष आप सब की जिंदगी को सात रगों से सजायें
सात सुरों
की सरगम सा ये जीवन महक-महक जाये...

अंतिम सत्य