चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Wednesday, September 12, 2012

कविताई होती भी नही आजकल

नन्हा अक्षु



हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल
किसी की प्यारी बातों ने 
बाँधा है कुछ इस कदर 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ
कुछ शब्द कागज़ पर बस
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल…

साफ़गोई इतनी अच्छी तो नही
मगर पाकिजा सी तेरी मूरत 
टकटकी लगाये निहारती
मोह सा जगा देती है मुझमें 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ मै
कुछ शब्द कागज पर बस. 
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल

शानू

अंतिम सत्य