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यह है चाय.... |
बहुत दिन से सभी एक ही शिकायत कर रहे हैं शानू जी कुछ लिखते ही नही आप और मुझे... सच्ची में चाय के अलावा कुछ काम नही। सारे दिन इसको चाय भिजवानी है उसको भिजवानी है चाय की टेस्टिंग करनी है। अपुन तो पगला गये। मेरा ब्लॉग भी आजकल गाना गा रहा है सूना-सूना लागे.... पर मै भी क्या करूँ ये चाय मुझसे तो छूटती ही नही.. हाहहह आप पक्का मुझे चाय की नशेड़ी बोल देंगें:)
खैर पच्चीस दिसम्बर को पिलानी में कवि सम्मेलन हुआ।
सबसे खूबसूरत बात तो यह थी की उस कवि सम्मेलन में मेरे माता-पिता को सादर-सम्मान पूर्वक बुलाया गया था। मेरे लिये इससे बड़ी बात कोई नही थी। कवि सम्मेलन तो बहुत हुए लेकिन मेरे माता-पिता का होना मेरे लिये सबसे बड़ी बात थी।
पिलानी बहुत ही खूबसूरत शहर है। पिलानी मेरी जन्म-भूमि जहाँ मै पली बड़ी हुई और आज भी मन अटका है मेरी पिलानी में। जब कभी जाना होता है ट्रेन से लेकर घर तक सब अनजाने चेहरे भी जाने-पहचाने लगने लगते हैं।
आईये आज थोड़ी बहुत पिलानी की सैर कर ही ली जाये...
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यह सरस्वती मंदिर का मुख्य द्वार है |
अरे रे यह हाथी को देख कर यह मत समझ लीजियेगा की हम मायावती का समर्थन कर रहे हैं। ऎसे तो हाथों पर दस्ताने भी नही हैं भई कांग्रेस का समर्थन भी तो नही न है....:)
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मै इन जनाब की चाची हूँ और यह खड़े हैं शिव-गंगा मंदिर के सामने |
बहुत ही खूबसूरत जगह है यह शिव-गंगा नहर जो एक बार चला जाये बार-बार जाने का मन हो जायेगा।
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हर्षवर्धन बिड़ला जी और मै... |
पिलानी का नाम पहले दलेल गढ़ था सुना है कि पिलानी नाम बिड़लो का ही दिया गया है। बिड़ला जी ने वैसे पिलानी की रूपरेखा ही बदल दी है। मुझे तो बस इतना याद है कि हर्षवर्धन बिड़ला जी की हवेली में हम छुपछुपाई खेला करते थे...जब मै दस साल की थी...:)
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कड़ाके की ठण्ड और हम बेचारे कवि...:) |
कवियों की दशा क्या आपसे छुपी हुई है। इतनी तेज़ ठण्ड में स्टेज़ पर बैठा देना। ऎसे में क्या कविता निकलती है? अब बताओ ये अलबेला जी न होते तो इन बीच वाले कवियों का क्या होता। मै तो क्या है पिलानी की हूँ इतनी सर्दी नही लगती भई लेकिन जो बाहर से आये थे...कुछ तो सोचो उनके बारे में...
लो जी तस्वीर देख कर ही आप सब समझ गये होंगे... अब जरा एक कप चाय हो जाये..
सुनीता शानू
chaay pilaate jaao
ReplyDeleteaap thak jaaoge
ham naa kahenge nahee
आदरणीय तेला जी, धन्यवाद। आप चाय पीने वाले तो बनिये हम नही थकने वाले।
Deleteसादर
अलबेला जी सांपला में कवि सम्मेलन निपटा कर पिलानी जाने की बात कह रहे थे, उस समय उन्हें भी कहां मालूम था कि आपसे भेंट हो जायेगी। वर्ना सांपला में ब्लॉगर्स पिलानी में भी दोबारा ब्लॉगर्स मीट कर लेते। :)
ReplyDeleteप्रणाम
शुक्रिया अन्तर सोहिल हमे भी आप सब ब्लॉगर भाईयों से मिलकर प्रसन्नता होती। खैर फ़िर कभी मुलाकात होगी।
Deleteसस्नेह
Nice post.
ReplyDeleteचरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना
उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.
प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.
अपने प्रेम को पवित्र बनाएं .
आनंद बांटें और आनंद पाएं.
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.
शुक्रिया अनवर भाई।
Deleteसुनीता जी ! स्वागतम्.
Deleteसब अनजाने चेहरे भी जाने-पहचाने लगने लगते हैं। बिल्कुल जन्मभूमि के प्रति अनुराग मन में हमेशा यूं ही रहता है जैसे मां का नाम लेते समय ... चाय के जिक्र के साथ अनुपम प्रस्तुति ।
ReplyDeleteजी सदा जी, माँ और जन्म-भूमि फ़र्क कोई नही।
Deletewah aanand aaya .............yaad taza ho gayi pilani ki....
ReplyDeletebahut khoob......pilaani me hi to aapko pahli bar suna aur mujhe laga ki aap manch ki ek behtareen kavyitri ban sakti hain ..
jai ho aapki..keep it up !
अलबेला जी, धन्यवाद हमे भी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। आप पिलानी आये और हमारे साथ काव्य-पाठ किया हमारे लिये गौरव की बात थी। धन्यवाद आपका।
Deleteसादर
बहुत अच्छा लगा जान कर!
ReplyDeleteउम्मीद है आपका ब्लॉग अब ज़्यादा दिन सूना सूना नहीं रहेगा।
सादर
जी हाँ यशवन्त अब कोशिश करूँगी मेरा ब्लॉग सूना न राहे।
Deleteबड़े दिनों बाद आपको देख अच्छा लगा...
ReplyDeleteचुस्कियों के साथ लेखन भी चलता रहे तो हम सब भी खुश रहें :-)
सस्नेह.
धन्यवाद विद्या जी। अपना स्नेह बनायें रखें।
Deleteसादर।
:-) sure :-)
Deleteशानदार प्रस्तुति !
ReplyDeleteशुक्रिया गोदियाल जी।
Deleteबिलकुल सच कहा आपने सब अंजाने चहरे भी जाने पहचाने लगने लगते हैं अपने शहर मे सुंदर प्रस्तुति...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/
ReplyDeleteशुक्रिया पल्लवी जी
Deleteacchhi jankari mili.
ReplyDeleteधन्यवाद अनामिका जी।
Deleteचाय और आपका लेखन ...बहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteशुक्रिया अनुपमा जी।
Deleteचलिए चाय से कुछ फुरसत तो मिली ...हम भी पिलानी के पास खेत्रीनगर में २५ साल बिता कर आये हैं ..पिलानी बहुत बार गए हैं ..आपकी जन्मभूमि के दर्शन कर चुके हैं :):)अच्छी रिपोर्ट ..
ReplyDeleteशुक्रिया संगीता जी।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
धन्यवाद शास्त्री जी।
Deleteबढ़िया प्रस्तुति....
ReplyDeleteशुक्रिया अरूण भाई।
Deleteआपको एक कवियत्री के रूप में देखकर अति प्रसन्नता हुई ।
ReplyDeleteचाय के तो हम भी शौक़ीन हैं जी ।
शुक्रिया डॉक्टर साहब। आप भी चाय के शौकीन है जानकर अच्छा लगा।
Deleteफेस बुक पर तो आपकी ये तस्वीरे देख ही चुके थे ...अब ब्लॉग पर भी देख ली
ReplyDeleteशुक्रिया अनु जी।
Deleteक्या बात है, बधाई।
ReplyDeleteतस्वीरें अच्छी आई हैं।
धन्यवाद संजीत जी।
Deleteहाय हाय आपकी यह चाय
ReplyDeleteसर्दी में यह सब को भाय
फिर आप ही का क्या कसूर है जी.
आप तो सेवा में लगी हुई हैं.
आप की शिरकत और माता पिताजी की
उपस्थिति से कवि सम्मेलन में तो चार चाँद
लग गए होंगें.
काश! आपको हम भी सुन पाते.
पिलानी की हैं,तभी बातें पिलाने में माहिर है,
अब पता चला.
आपकी प्रस्तुति का अंदाज निराला है,चित्र मनमोहक हैं.लगता है प्रत्यक्ष दर्शन हो रहे हों.
आपके दर्शन और सुवचनों के लिए मेरी पोस्ट 'हनुमान लीला -भाग ३' भी बैचेन है जी
धन्यवाद राकेश भाई। आपके कमैंट के बिना तो रचना अधूरी ही लगती है। आपके हनुमान दर्शन को आऊँगी भाई...:)
Deleteआपकी शैली बहुत रोचक है सुनीता जी । ३ साल विद्या निकेतन बिड़्ला पब्लिक स्कूल में पढ़ा चुकी हूँ और पिलानी से मुझे भी बहुत लगाव है। ये तस्वीरें देखकर पुरानी यादें ताज़ा हो गईं।
ReplyDeleteरोचक हलचल है आपकी।
सुशीला जी आप किस साल मे पिलानी थी? मुझे मालूम नही क्यों लगता है कि मैने पहले भी आपको देखा है।
DeleteKABHI HAME BHI CHAI PEENE KI KHWAISH RAHEGI...:))
ReplyDeleteACHCHHA LAGA...!!
achchi tasveeren rochak jankari.
ReplyDeletelo ab basant aaii..
ReplyDeletepar aap abhi bhi nahin aaiin,shaanu ji.
ab chay chhod chhay piya karengen.
aapke n aane ki nirasha men ab kuchh bhi nahi kaha
karengen.
achchi tasveeren rochak jankari.
ReplyDeleteAti sundar.. haardik badhayee... my best wishes..
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीर के साथ बढ़िया प्रस्तुति....सच कवि कितने मुश्किल दौर में भी मुस्कुरता रहता है और कभी कोई शिकायत नहीं करता है..शिकयत करे भी किससे..सभी तो अपने बंधू बांधव जो है..
ReplyDeleteSunita ji apki yh prstuti behad upyogi lagi ....ap ne Nayee Purani Halchal pr meri rachana ko link kiya eske liye mera sadar abhar.
ReplyDeleteआप हलचल पर लिंक डालेंगीं ,तो हम भी यहाँ चले ही आयेंगें.
ReplyDeleteचाय की उम्मीद जो है.
विवरण सारगर्भित रहा.
Delete(आपसे और पवन जी से क्षमा याचना सहित. आशा है इस हास्य को आप अन्यथा नही लेगीं)
ReplyDeleteगुज़र रहा था इधर से
सोचा आप सब को सलाम बोलता चलूं
ना कोई खबर आई बहुत दिनो से
बस एक पल को हाल पूछता चलूं
घंटी का बटन दबाया
जोर-जोर से दरवाजा खटखटाया
"अरे! कोई है घर मे है" चिल्लाया
मगर भीतर से कोई जवाब ना आया
परेशानी मे माथा खुज़लाया
माज़रा क्या है कुछ समझ ना आया
आखिर सब लोग कहां गये हैं
बाहर कहीं पर्टियों का मजा ले रहे हैं
या दिन मे लम्बी तान कर सो गये हैं
हतोत्साहित हो चारों और नज़र दौङाई
दरवाजे पर चिपकी एक पर्ची नजर आयी
लिखा था-
आजकल हम घर मे नही आफ़िस मे रहते हैं
वहीं पर खाते हैं वहीं पर ही सोते हैं
जिसे मिलना हो यहां से तशरीफ़ ले जाये
अब हमे घर मे नही आफ़िस मे मिलने आये
तब जाकर हमे बात समझ मे आयी
एक छोटी सी पर्ची ने हमारी गुत्थी सुलझायी
व्यापार के अपने ही कायदे होते हैं
कुछ परेशानियां और कुछ फ़ायदे होते हैं
अब हमने ब्लागियों से छुटकारा पा लिया है
बस चाय पुराण पर अधिकार जमा लिया है
अब हम कविताओं मे अपना वक्त खराब नही करते हैं
हम तो बस इतनी सी बात याद रखते हैं
आज कितने ट्रक माल छुङवाना है
किसके आर्डर आयें है
कितना माल किसको भिजवाना है
इसी भागदौङ मे दिन निकल जाता है
अब कविता लिखने का ख्याल किसको आता है
हमने भी सोच लिया है
इस बार जब भारत आना होगा
आपके ही के घर ढिकाना होगा
कविता की बात तो जुबां पर भी ना लायेंगे
खायेंगे बीकानेरी भुजिया, रसमलाई
और आप की चाय की चुस्कियां लगायेंगे
-आकाश
आपकी नजर से पिलानी भी देख लिया. शुक्रिया और स्वागत.
ReplyDeleteअनुपमा जी की हलचल में हैं फिर से आप
ReplyDeleteफिर आगया हूँ पर ग्रस्त हूँ,हो रहा है ताप
आप नहीं आईं,सूनी सूनी है 'मेरी बात....'
आप सब कुशल मंगल से हों,बस,नहीं कोई संताप.
अभिनन्दन आपको मातापिता के सामने सम्मानित किया गया । और पिलानी दर्शन का शुक्रिया ।
ReplyDeletebahut khoob..badhai
ReplyDeleteबहुत उम्दा ! पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,बढिया ब्लॉग है आप का,बधाई.....
ReplyDeleteपिलानी के बारे में पढ़ा .अच्छा लगा .. पिलानी तो आपको चाय ही पड़ेगी...अब देखिये ना पिलानी में पैदा हुवे आप ..पिलाने के लिए चाय पर काम किया और इत्तना सुन्दर लेख भी पढ़ा .. हम भी चाय पीने आ रहे है..:)
ReplyDeletephool aapke darwaje par dastak denge, chand aapke aangan ke chakkar kaatega hawa aapko pyar bhari thapki bhi degi aur jhulayegi jhoola bhi,khushboo rang bhavishya kaid honge mutthi me, bus kavita ka haath pakad kar chalti rahna.
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट और ब्लॉग |
ReplyDelete...........क्या बात है, बधाई।
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