चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Thursday, March 17, 2011

तुम्हारे बगैर



मुश्किल होगा
तुम्हारे बिन जीना
कल्पना करना भी
पाप होगा शायद
तुम जानते हो सब...
बच्चों की कसम भी
खा गई थी वो...

आँखों में आँसू
दिल में हलचल कि
कैसे कटेगी
वासंती उम्र
कैसे पूरी होंगी
तमाम ख्वाहिशे
तुम्हारे बगैर...

किन्तु,परन्तु सभी शब्दों ने
झकझोर कर रख दिया
कि अचानक
किसी ने
कंधा थपथपाया

जाने वाले के साथ भी
भला कोई जाता है।
तुम्हे जीना ही होगा
खुद के लिये
सँवरना ही होगा
और
दायित्व की जंजीरों ने
जकड़ लिया
इस कदर कि
खा गई वह
फ़िर एक बार
बच्चों की कसम
जी ही लेगी
अब
तुम्हारे बगैर...

अंतिम सत्य