Saturday, November 3, 2007
आईये ले चले चक्रधर के हास्य अखाड़े में
हमें तो मालूम ही न था कि ऎसी गज़ब कुश्ती होगी...बाईस पहलवान कवियों जिनमें दो अन्य कवियित्रीयाँ भी होंगी...सबने मिलकर हम पर अपनी कविताओं के साथ आक्रमण कर डाला...मगर हम भी डट कर उनका मुकाबला करते रहे....
लेकिन भैया हमारे साथ ऎक नाईन्साफ़ी हो गई हमारी प्रतियोगी कविता जो हम तीन दिन से रट रहे थे हमसे पहले एक ब्लागरिया कवि मित्र सुना गये...
हमने उनसे पूछा यह क्या गज़ब किया अब हम क्या सुनायेंगे...बहुत शर्मिंदा हुए और हमसे क्षमा मागंगे लगे...खैर तूफ़ानो में चलते है वो ही वीर सूरमा निकलते है हम अपनी दूसरी कविता को लेकर चकल्लस के अखाड़े मे उतर ही गये....
मगर अफ़सोस हमे तीसरा स्थान मिला..और उस तीसरे स्थान का भी निखिल आनंद गिरी के साथ बँटवारा हो गया...शुक्र है वो हमारे हिन्द-युग्म का ही सदस्य था वरना.........वरना क्या कर लेते भैया...ना तो चोरों का कोई ईलाज़ है न ही प्रतियोगी का...बाकी दो कवियित्रीयाँ भी अपना-अपना परचम फ़हरा ही गई जिनमे से एक हमारी हिन्द-युग्म की रंजना भाटिया थी...जो कह रही थी कि मेरा गला खराब है और आखिर गले में खराबी के साथ कविता सुना ही आई....
तो दोस्तों बस इतना ही बताऒ कि उस कविता चोर का क्या किया जाये...क्या कविता चोर से डर कर कविता ब्लोग पर पोस्ट न की जाये...या कोई आपकी कविता आपके ही मुँह पर सुना आये और आप मुँह ताकते रह जायें....
चलो जीत तो लाये है आप लोगो के लिये प्रतियोगिता का तीसरा ईनाम...अब कुछ तालीयाँ आप भी बजाईये....
१२ नवम्बर को आप सबका हार्दिक स्वागत है कृपया आप सभी कवि व श्रोता ४ तारीख तक अपनी उपस्थिती दर्ज करवायें...
सुनीता(शानू)
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सबसे पहले आप सभी को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें... कुछ हॉस्य हो जाये... हमने कहा, जानेमन हैप्पी न्यू इयर हँसकर बोले वो सेम टू यू माई डिय...
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एक छोटा सा शहर जबलपुर... क्या कहने!!! न न न लगता है हमे अपने शब्द वापिस लेने होंगे वरना छोटा कहे जाने पर जबलपुर वाले हमसे खफ़ा हो ही जायेंगे....
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मुबारक हो
ReplyDeleteअखाड़े जीतो तुम
तालियाँ पाओ !
बड़े अच्छे. मुबारक हो. तो फ़िर आप चाय कब पिला रही हैं ..:)
ReplyDeleteअब हम इतने दूर भी नही कि बुलाये ना जा सके इतने व्यस्त भी नही कि आप बुलाये ना आ सके
ReplyDeleteअरूण
होता है जी होता है!! ब्लॉग पर कविता आ गई मतलब कि प्रका्शित हो गई और प्रकाशित होने के बाद एक तरह से सार्वजनिक हो जाती है!!
ReplyDeleteअब या तो ब्लॉग पर प्रकाशन लोभ रखें या फ़िर मंच प्रस्तुति का।
क्योंकि चौर्य कर्म पर पाबंदी तो बाबा आदम के जमाने से ही नही लगाई जा सकी है!!
बधाई आपको, स्थान तीसरे से और उपर चढ़ने के लिए शुभकामनाएं
बधाई हो आपको।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रभु श्रीनाथजी आपको दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति प्रदान करें। यही शुभकामना है।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सुनीता जी :)
ReplyDeleteहम कैसे वहाँ पहुंचे यह भी जान ले :)
यूं पहुंचे हम हास्य मंच पर :) http://ranjanabhatia.blogspot.com/2007/11/blog-post.html
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteप्रणाम दी'
ReplyDeleteसबसे पहले तो आपको बहुत बहुत बधाई, इस अखाड़ा कुश्ती मे जीतने कि लिये ।
कोई बात नही, होता है जी होता है।
एक बार मेरे साथ भी यही हुआ जब मेरा काव्यमय परिचय नाम बदलकर कोई और कवि सुना गया ।जब राजस्थान के सभ्य मंचो पर ऐसा हो सकता है तो वह तो दिल्ली थी, "दिल वालों की" ।
आपसे कुछ सहयोग चाहिये, कृपया मुझे मेल करें, अपना मेल आईडी,
ommanuudaipur@gmail.com
आर्यमनु, उदयपुर ।
सुनीता जी हमारी ऒर से बधाई स्वीकार करिये।
ReplyDeleteबधाई की तालियाँ हमारी तरफ से भी!
ReplyDeleteआपको बधाई। वैसे कविता चोरी पर मैं एक व्यंग्य लिख रहा हूं, आशा है आपका दर्द उस्में भी दिखाई देगा।
ReplyDeleteदीपक भारतदीप
आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया...नि:संदेह आप सभी के सहयोग के बिना यह प्रतियोगिता असंम्भव थी...राजेश भाई आप भी आईये १२ तारीख को...अरूण भाई आपका स्वागत है...
ReplyDeleteसुनीता जी
ReplyDeleteप्रतियोगिता जीतने के लिए बहुत बहुत बधाई, वैसे कौन सी कविताए सुनाई थी वो तोह बताइए
सुनीता जी बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDeleteअखाडे जितने की खुशी में बहुत -बहुत बधाईयाँ !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
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