कितनी बार कहा है
दीवार से चिपकी
मत सुना कर लोगों की बातें
मगर वो न मानी थी,
आखिरकार गुस्से मे आ
हाथ की पँखी से
काट डाली थी पूँछ आम्गुरी लोहारिन ने
कुछ देर बिलबिलाती रही
और शाँत हो गई,
मगर वो जिद्दी
पूँछ कटी होकर भी
सुनती रही लोगों की बातें,
कितनी बार कहा है धीरे बोला करो,
वो अबतक
चिपकी है दीवार से
मैने कहा था न
दीवारों के भी कान होते हैं...
शानू