आज जन्माष्टमी के अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभ-कामनाएं...आज मै ना आऊँ और ना लिखुं कुछ कैसे हो सकता है...बहुत व्यस्त हूँ मगर श्याम सखा के लिये हर्गिज नही...एक छोटा सा गीत लिखा है कभी मीरा बनके तो कभी राधा बन के हर रूप में साँवरे को चाहा है सभी ने... वो मुरली मनोहर न जाने कैसा जादू करता है कि उससे प्रेम करना भी बहुत सुहाता है सभी को...आईये जन्माष्टमी के इस अवसर पर हम सभी उस श्याम सखा को याद करें...
सुन सखी ओ चँचल नैना,
जागी न सोई मै सारी रैना,
रात सुहानी फ़िर वो आई,
आँखों में भी मस्ती छाई...
डाल गले बाहों का गहना,
हुए एक नैनो से नैना...
सुन सखी ओ चँचल नैना
जागी न सोई मै सारी रैना
रूप मनोहर श्याम सुन्दर वो
झुका जो धरती पे अम्बर हो
बाजे पायल खनके कंगना
चमकी बिजुरिया सारी रैना...
सुन सखी ओ चँचल नैना
जागी न सोई मै सारी रैना
मौन निमन्त्रण मेरा समर्पण
चिर निद्रा सा सुखद आलिंगन
समा गई मै उर बीच लता सी
पलक सम्पुटो में मदिरा सी
हुआ समर्पित प्रेम सुवर्णा
सुन सखी ओ चँचल नैना...
सुनीता(शानू)
मौन निमन्त्रण मेरा समर्पण
ReplyDeleteचिर निद्रा सा सुखद आलिंगन
.. सुंदर पंक्तियां.. कृष्ण को दी गई आपकी प्रेमपाती अद्भुत है। बधाई स्वीकार करें.
वाह, सुन्दर अभिव्यक्ति..आपको और आपके परिवारजनो को भी श्री कृष्ण जन्माष्ट्मी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामना.
ReplyDeleteरूप मनोहर श्याम सुन्दर वो...
ReplyDeleteयही तो कान्हा है. जिसकी जादूगरी पर आज संसार फिदा हो रहा है. बेहतर प्रस्तुति है. जन्माष्टमी की शुभकामनाएं.
एक अच्छे गीत के लिये बधाई सहित हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर!!
ReplyDeleteबधाई!!
बहुत भावपूर्ण व सुन्दर रचना है।
ReplyDeletekavita achhi hai, agar raat POONAM ki jagah ASHTAMEE hoti to aur effect aata.
ReplyDeleteसुनीता जी व्यस्थ्तायें तो चलती रहेंगी मगर जन्माष्टमी हो और आपकी कविता न हो यह सम्भव ही नही था ... एक और भक्ती और प्रेम रस से भरा गीत गया फ़िर मन पखेरू ने .... सुंदर ढेर सारी शुभकामनायें इश्वर करे ये दिन हम सब के लिए नए शुभ संकेत ले कर आए
ReplyDeleteबधाई, सचमुच सुन्दर अभिव्यक्त किया है आपने अपने कृष्ण प्रेम को, अहा कृष्णम वंदे जगतगुरू ।
ReplyDeleteकृष्णजन्माष्टमी की बधाई
जन्माष्टमी की शुभ कामना !
ReplyDeleteसुन्दर कविता से कान्हा को रीझाया है आपने सुनीता जीं ...बहुत अच्छी लगी कविता ..बधाई !
-- स्नेह,
लावान्या
रूप मनोहर श्याम सुन्दर वो
ReplyDeleteझुका जो धरती पे अम्बर हो
श्री कृष्ण जन्माष्ट्मी की बधाई :)सुन्दर भावपूर्ण रचना है।
सुनीता जी!
ReplyDeleteप्रेम जीव-मात्र का सर्व-प्रिय विषय है. तब साक्षात प्रेम-प्रतिमा लीलापुरुषोत्तम कृष्ण से कौन विमुख हो सकता है. ये कृष्ण ही हैं जो हर रूप में प्रेम की महत्ता सिद्ध करते हैं, फिर चाहे वो प्रेम जानवरों से हो, मित्रों या सखियों से हो या आम जनता से.
आपने इस प्रेम-गीत के माध्यम से कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण को बहुत सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है. बधाई!
अति सुन्दर, भावपूर्ण!
ReplyDeleteआपको भी जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
अति सुन्दर! भक्तिभाव पूर्ण रचना। सुरम्य गेय भजन!
ReplyDeleteनौ लाख सौलह हजार एक सौ आठ पटरानियों के होते हुए भी 'कृष्ण' अपनी प्रिय 'राधा' की याद में जीवन भर तड़फते रहते थे।
जिस प्रकार भक्त भगवान के मिलन के लिए तड़फता है, भगवान भी अपने भक्त से मिलने के लिए उतना ही तड़फते हैं। वह 'कृष्ण' आपके समस्त सपनों को साकार करे।
एसे काव्य मे प्रवाह होना आवश्यक है... और वो बहुत बढ़िया है...
ReplyDeleteबहुत प्यारा लिखा है...
मौन निमन्त्रण मेरा समर्पण
चिर निद्रा सा सुखद आलिंगन
.... ......
ख़ूबसूरत...
एसा मुझे लगता है..
with love
..masto...