चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Wednesday, September 5, 2007

हास्य-कविता ये शिक्षक

सच ही कहा है गुरू बिन ज्ञान नहीं,
गुरू नहीं जब जीवन में मिलते भगवान नहीं
आज शिक्षक दिवस पर उन सभी गुरूओं को मेरा नमन जिन्होने निःस्वार्थ भाव से नन्हें, सुकोमल कच्ची मिट्टी से बने बच्चों का मार्ग दर्शन किया और उन्हें सही मार्ग दिखलाया...
मगर मेरी यह कविता उन शिक्षकों के लिये है जो स्वार्थवश अपने कर्तव्य भूल गये हैं...

ये शिक्षक

नहीं चाहिये हमें ये शिक्षा

अनपढ़ ही रह जायें....

एसे गुरूओं से भगवान बचाये


नकली डिग्री ले लेकर जो

गुरू बन बैठे हैं,

गलत ज्ञान को सही बता

घमंड में ऎंठे है

कैसे कोई झूठी आशा इनसे लगायें

एसे गुरूओं से भगवान बचाये



जैक और चैक के चक्कर में

शिष्य चुने जाते हैं

गरीब घर के बच्चे

न उच्च शिक्षा पाते हैं

गुरू ही जब व्यापारी बन जायें

ऎसे गुरूओं से भगवान बचाये


गुरू बने है सर आज

शिष्य बने स्टुडैंट है

मेरे भारत को बना के इडिया

बजा रहे बैंड हैं

गुरू वंदना, गुड मॉर्निंग कहलाये

ऎसे गुरूओं से भगवान बचाये


रक्षक ही भक्षक बन कर

शोषण बच्चों का करते हैं

वो गुरू भला क्या बनेंगे

जो गलत राह पर चलते हैं

बलात्कारी,अत्याचारी जब गुरू बन जायें

ऎसे गुरूओं से भगवान बचाये


गुरू नहीं जब गुरू द्रोण से

कैसे अर्जुन बन जाते

रामायण,गीता के बदले

हैरी-पोटर पढ़वाते

उल्टी बहती गंगा में सब नहायें

ऎसे गुरूओं से भगवान बचाये


सुनीता(शानू)


14 comments:

  1. हम तो यहीं पढ़कर संतोष कर लेते है. ऑल इंडिया रेडियो तो आता नहीं. रिकार्डिंग पॉडकास्ट कर दें तो मजा आये.

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  2. वाह वाह, बहुत बढ़िया, बधाई जी बधाई!!

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  3. सुनीता जी बहुत बहुत बधाई !
    कविता बहुत सही और सटीक है किन्तु द्रोण कोई आदर्श गुरू नहीं थे । अपने उस शि्ष्य से, जिसपर उन्होंने आधा मिनट भी नहीं गंवाया था , ऐसी भीषण गुरू दक्षिणा माँगने वाला व्यक्ति गुरुओं के नाम पर धब्बा था ।
    घुघूती बासूती

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  4. अच्छी खिचाई कर डाली आपने भी..क्या बात है आप और अनूप जी दोनो आज शिक्षको के पीछे पडे है और समीर भाइ उकसा रहे है..?

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  5. शिक्षक दिवस पर शिक्षको को अच्छी शिक्षा !!!

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  6. "गुरू नहीं जब गुरू द्रोण से
    कैसे अर्जुन बन जाते
    रामायण,गीता के बदले
    हैरी-पोटर पढ़वाते
    उल्टी बहती गंगा में सब नहायें
    ऎसे गुरूओं से भगवान बचाये"

    भारतीय चिंतनमनन, नैतिक मूल्य, पारिवारिक मूल्य आदि की ओर बच्चों को वापस लौटाना जरूरी है -- शास्त्री

    मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
    2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

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  7. यह विशिष्ट कविता केवल हास्य ही नहीं, बल्कि मार्मिक करुण और वीभत्स रस का भी अद्भुत् संगम है। बधाई!

    इसी सन्दर्भ में हाल ही में दूरदर्शन पर प्रसारित "एक शिक्षिका द्वारा अपनी छात्राओं से वेश्यावृत्ति करवाने" का घृणित समाचार भी उल्लेखनीय है।

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  8. बहुत बहुत बधाई आपको सुनीता जी ...प्रोग्राम तो हम सुन नही पाये पर आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी
    शुभकामनाओं के साथ
    रंजना

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  9. आज कल अच्छे गुरु पैद होने बन्द हो गये है पर एकलव्य जरूर पैसद होते है
    http://qatraqatra.blogspot.com/2007/09/blog-post_06.html

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  10. Sunita ji:

    Sateek rachana ke liye badhai.. isme koi shak nahi ki shikshko ka naitik patan ho gaya hai.. aapne uska achha varnan kiya hai.

    akash

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  11. हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए
    ..........................
    कह दो पुकार कर सुनले दुनिया सारी
    हम हिन्द तनय हैं हिन्दी मातु हमारी
    भाषा हम सब की एक मात्र हिन्दी हैं
    सुभ,सत्व और गण की खान ये हिन्दी है
    भारत की तो बस प्राण ये हिन्दी हैं
    हिन्दी जिस पर निर्भर हैं उन्नति सारी
    हम हिन्द तनय हैं हिन्दी मातु हमारी

    १९३४ मे लाहौर से रंगभुमि मे प्रकाशित मनोरंजन भारती जी की यह कविता आप www.ekavisammelan.blogspot.com पर पुरी पढ सकते हैं तथा अशोक चक्रधर जी की आवाज मे इसे सुन भी सकते हैं हर हिन्दी भाषी की रगो को नव स्फ़ुर्ति नव चेतना का संचार करने वाली यह कविता आज भी प्रासंगिक है आप भी इस कविता का अधिक से अधिक हिन्दी भाषियो को जानकारी दे सकते हैं .
    प्रतीक शर्मा (www.hindiseekho.com)

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  12. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 5 सितम्बर 2015 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  13. सही कहा आपने गुरु घण्टालों से तो कोसों दूर रहने में ही भलाई है
    अच्छी खिचाई की है आपने
    जन्माष्टमी-सह-शिक्षक दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य