साठ साल के इस बूढे भारत में,
क्या लौटी फ़िर से जवानी देखो,
आजादी की खातिर मर-मिटे जो,
क्या फ़िर सुनी उनकी कहा्नी देखो...
कहाँ गये वो लोग जिन्होने,
आजादी का सोपान किया था,
लगा बैठे थे जान की बाजी,
आजाद हिन्दुस्तान किया था...
मेरे भारत आजाद का कैसा,
बना हुआ ये हाल तो देखो,
अमीर बना है और अमीर,
गरीब कितना फ़टेहाल ये देखो...
माँ बहन की अस्मत को भी,
सरे-आम नीलाम किया है,
बेकारी और भुखमरी ने,
अंतर्मन भी बेच दिया है...
क्या पाया क्या खोया हमने,
छूट रही जिन्दगानी देखो,
आतंकवाद और भ्रष्टाचार की,
बढ रही रवानी देखो...
अमर शहिदो की शहादत को,
आज ही क्यूँ याद किया है,
क्यूँ आज नही फ़िल्मी चक्कर,
जो राष्ट्र-गान को याद किया है...
शराब और शबाब में डूबे,
मचा रहे धमाल ये देखो,
किन्तु राष्ट्र-गान की खातिर,
तीन मिनट में बेहाल ये देखो...
अब भी जागो ए वतन-वासियो,
याद करो वो कुर्बानी,
जिस देश में एक दूजे की खातिर,
आँखों से बहता था पानी...
आज लहराये तिरंगा हम सब,
और तिरंगे की शान तो देखो,
आओ आजादी का जश्न मनाये,
अमर शहिदो के नाम ये देखो...
सुनिता(शानू)
वाह, बधाई इस जश्न के लिये.
ReplyDeleteसुबह सुबह देशभक्ति की कविता पढने को मिली. अच्छा लगा.
ReplyDeleteअरे हां, अब छुट्टी लेने की कोशिश मत करना -- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
अर्से बाद इतनी अच्छी देशभक्ति की कविता पढने को मिली है। इसके लिए बहुत-बहुत बधाई।
ReplyDeleteSabse pehele to Happy Independence Day....Badhaai sweekaaren aachi prastuti ke liye aur ucch jazbe ke liye
ReplyDeleteप्रिय मित्र सुनीता,
ReplyDeleteआपने स्वतंत्रता दिवस पर इतनी सुंदर कविता लिखकर हम सभी देशवासियों को 15 अगस्त का इनाम दिया है। मैं आपको और सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ।
जय हिन्द।
जय माता दी।
(विनीत कुमार गुप्ता)
सुनीता जी,
ReplyDeleteधन्यवाद
आपने सुन्दर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है, समसामयिक मुद्दों का समावेश कर कविता को रोचक बनाया है । मैने लगभग बीस वर्ष पहले बाबा नागार्जुन की एक कविता पढी थी जिसे दर्द हिन्दुस्तानी जी को अभी सुना कर आ रहा हूं आपको भी मुखडा अर्ज करता हूं - किसका है जनवरी किसका अगस्त है, कौन यहां सुखी है कौन यहां मस्त है ।
आपका चिंतन बाबा को याद करने को विवश कर गयी, धन्यवाद
संजीव का 'आरंभ'
बहुत ही सुंदर रचना लिखी है आपने सुनीता ज़ी
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई।
आजादी की ६०वीं वर्षगांठ पर सुन्दर कविता लिखने के लिये बधाई.....और हां... मेरा बटन कहां गया
ReplyDeleteक्रमशः स्थिति बदल रही है। भौतिक प्रगति के साथ साथ लोगों की नैतिक/आत्मिक उन्नति के लिए भी विभिन्न स्तरों पर अभियान जारी हैं। भारतवर्ष में फिर से सोने की चिड़िया बनेगा। - यही विश्वास है।
ReplyDelete'आज लहराये तिरंगा हम सब,
ReplyDeleteऔर तिरंगे की शान तो देखो,
आओ आजादी का जश्न मनाये,
अमर शहिदो के नाम येदेखो...'
वन्दे मातरम। मन मे जोश भर दिया, झकझोर भी दिया।
आप को ओर सारे भारतवर्ष के सभी वासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूँ।
ReplyDeleteजय हिन्द।
शानू जी,देश भक्ति की बहुत सुन्दर रचाना प्रस्तुत की है।आजादी के दिन उन शहीदों को मात्र हम तो याद ही कर सकते हैं ।लेकिन उनकी दी आजादी का आज क्या हश्र हो र्हा है,अपने बखूबी चित्रित किया है।बधाई।
ReplyDelete...badiya hai.
ReplyDeleteKavita achhi hai.....
ReplyDeleteSamasyaon ko achha nishana banaya aapne.......kamjoriyon ko dhundha aur ab inke smadhaan ke oopar bhi kavita likhiye......hardik prasannta hogi.
बढ़िया कविता!!
ReplyDeleteबधाई आपको भी!!
शुभकामनाएं
स्वतंत्रता दिवस पर आपको बधाई । बहुत सही कविता लिखी है ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
सुंदर । अति सुंदर रचना ।
ReplyDeleteशानू जी,
ReplyDeleteदेश भक्ति के जजबे से पूर्ण आपकी ये कविता बहुत पसँद आयी -बधाई और आज़ादी के जश्न की खुशीयाँ
आपको भी मुबारक होँ !
स स्नेह,
--लावण्या
"मेरे भारत आजाद का कैसा,
ReplyDeleteबना हुआ ये हाल तो देखो,
अमीर बना है और अमीर,
गरीब कितना फ़टेहाल ये देखो"
सच यही है. रहा राष्ट्रगान, वो तो एक ओल्ड फैशन चीज हो गया है आज के युग मे
भारत वासियों को आईना दिखाने के लिये धन्यवाद्।
ReplyDeleteमगर ये फिर भि नहीं सुधरेंगे।
i enjoyed each n every word of this poetry....beautifully written !!!
ReplyDeleteachhi hai...par abhi isme khubsurti ki gunjaish hai...
ReplyDeletejaise wo..
गरीब कितना फ़टेहाल ये देखो..
garib hai to fatehaal hoga hi...!!
aur
याद करो वो कुर्बानी,
जिस देश में एक दूजे की खातिर,
झर-झर बहता था पानी...
ab jhar jhar bahta hai pani...ka poetry sense pakdana muskil hai...
mere liye...
esa mujhe lagta hai.
with love
..masto...
सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.
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