आज हम भी कोशिश करते है ... तस्वीरे क्या बोलती है...
मुसाफ़िर भाई ध्यान से कहीं कमर में झटका न आ जाये...:)
खलिश भाई यह आपके लिये ही है...
देखिये तस्वीर अच्छी आनी चाहिये...:)
गुरूदेव प्रणाम!
न न न गुरूदेव से पंगा हर्गिज नही...
नही वापिस न दें आपके लिये ही है...
न न न गुरूदेव से पंगा हर्गिज नही...
नही वापिस न दें आपके लिये ही है...
राजीव भाई अब आपके साथ पंगा कौन लेगा...
जाने आपने क्या जादू किया है नीलिमा जी सब हँस रहे है...
अगर कमर में दर्द है तो पहले बताते न विनोद भाई...:)
माईक दूर रहने से आवाज सही नही आती...:)
घबरा मत अक्षय बेटा अच्छी तरह से पढ़ यहाँ किसी को कविता याद नही है सब देखकर पढेंगे...:)
कैसी बातें करते है आप भी कविता हाथ में है मगर देख नही रहा...:)
माईक दूर रहने से आवाज सही नही आती...:)
घबरा मत अक्षय बेटा अच्छी तरह से पढ़ यहाँ किसी को कविता याद नही है सब देखकर पढेंगे...:)
कैसी बातें करते है आप भी कविता हाथ में है मगर देख नही रहा...:)
बढ़िया तस्वीरें और कैप्शन!!
ReplyDeleteशुक्रिया
कवि सम्मेलन की कहानी चित्रों की ज़ुबानी .वाह !!
ReplyDeleteमजेदार विवरण
ReplyDeleteसुनीता जी आपने तो पूरी गोष्ठी की याद ताजा कर दी। फोटो और उसके साथ कैप्शन लाजवाब।
ReplyDeleteवाह-वाह !!
मजेदार केपशन्स
ReplyDeletesaamney hotin aap to meri hansi ki avaaz bhi sun paatin....shukriyaa..acchaa lagaa
ReplyDeleteसुनीता जी,
ReplyDeleteसचमुच माईक तो मुझे पसन्द है ही... उठा लाता उस दिन अगर छोटा वाला होता...
कुछ चित्र खुल नहीं रहे... हास्य का अच्छा स्त्रोत दिया आपने
यादों की फुलवारी में फिर से गुलाब के फूल खिल उठे
ReplyDeleteउस प्रतापनगरी संध्या की याद न धूमिल हो पायेगी
जब जब छंदों के तारों पर थिरकेगी अनुभूति महक कर
तब तब सुधियों की सरगम पर, स्मॄतियाँ पायल खनकायेंगी
अति सुंदर.. पिछली बार की बजाए इस बार तस्वीरें खूब आई हैं...
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