-दिल के कोरे कागज पर-
-खींचकर कुछ आड़ी-तिरछी लकीरें-
-जब देखती हूँ...
-बन जाती है तस्वीर तुम्हारी-
-और लगता है कागज़ का वह टुकड़ा-
-कह रहा हो मुझसे-
-मै तो बसा हूँ दिल में तुम्हारे-
-क्यों कागज पर उतारा है?
-देखो बेरहम दुनियाँ जला न दे-
-देखो कहीं हवा उड़ा न दे-
-और घबरा कर मै समेट लेती हूँ-
-वो तस्वीर तुम्हारी....
-जब सुबह का सूरज-
-अपनी रौशनी फ़ैलाये-
-मेरी खिड़की से झाँकता है-
-मुझे नजर आते हो तुम-
-अपनी इन्द्र-धनुषी बाँहे फ़ैलाये-
-और मेरे चेहरे से छूती-
-तुम्हारी बाँहे-
-जगा देती है मुझे-
-तुम्हारे अहसास के साथ-
-सचमुच तुमसे मिलकर जिन्दगी-
-एक कविता बन गई है-
-और मै एक कलम-
-जो हर वक्त-
-तुम्हारे प्यार की स्याही से-
-बनाती है तस्वीर तुम्हारी...।
सुनीता(शानू)
और मै एक कलम
ReplyDeleteजो हर वक्त
तुम्हारे प्यार की स्याही से
बनाती है तस्वीर तुम्हारी
--बहुत खूबसूरत भाव...
बडे दिन बाद दिखी। नए साल की शुभकामनाएं।
ReplyDelete2007 के बाद अब 2008 मे दिखीं आप माने साल भर बाद और वह भी किसी को याद करते हुए!
ReplyDeleteक्या बात है!
बढ़िया कविता!!
नव वर्ष की शुभकामनाएं
आपको एवं आपके परिवार को अंग्रेजी नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें । सुन्दर रचना, वाह ! किसी की तस्वीर नें आपको कवित्री बना दिया । गहरे भाव को सुन्दर शव्दों में पिरोया है ।
ReplyDeleteबडे दिनो बाद आपने पोस्ट लिखा शायद इसलिए आपके समीक्षक मित्रों की टिप्पणिया अभी आ नहीं पाई । मैं कल रात से आपके ब्लाग में कई बार आकर देख रहा हूं कि बंधुओं के टिपियाने के बाद टिपियाउंगा ।
संजीव
भावो. से परि-पूर्ण रचना । आपको नव-वर्ष की शुभ कामनाएँ ।
ReplyDelete्वाह! नये साल की शुभ कामनाएं
ReplyDelete"सचमुच तुमसे मिलकर जिन्दगी-
ReplyDelete-एक कविता बन गई है-
-और मै एक कलम-"
मूर्त -अमूर्त मोहब्बत की अनवरत एक फिजा सी बना डाली है आपने आपनी लेखनी से ,सुनीता जी.
सुंदर। अति सुंदर।
ReplyDeletebahut hi sundar bhav se likhi gai kavita.
ReplyDeleteसचमुच तुमसे मिलकर जिन्दगी-
ReplyDelete-एक कविता बन गई है-
-और मै एक कलम-"
bahut sunder
badhia vaapsi aise hi likhte rahiye
सुंदर कविता..
ReplyDeleteअति सुंदर भाव....
भावों को बिंबों के माध्यम से चित्रित करती..
आप को सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ..
वाह शानू जी,
ReplyDeleteऔर मै एक कलम
जो हर वक्त
तुम्हारे प्यार की स्याही से
बनाती है तस्वीर तुम्हारी
बहुत बढिया.. सुन्दर रचना
bahut achchee kavita hai sunita ji,aap ko anubhuti par bhi pada-badhayee aur naye saal ki shubhkamnayen
ReplyDeleteapki kavita pasand aaye
ReplyDeletebest of luck
apka
-roshan premyogi
बहुत सुन्दर । शुभकामनायें।
ReplyDeleteHello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my site, it is about the CresceNet, I hope you enjoy. The address is http://www.provedorcrescenet.com . A hug.
ReplyDeleteVery touchy and sentimental !
ReplyDeleteI liked it.!!
Aap likhti rahen aur ham padhte rahen ... yehi to hai hamara vada..!!
VERY SWEET POEM.....
ReplyDeleteशानू जी,
ReplyDeleteसुन्दर भाव बरी कविता है... प्यार की स्याही से बनाई हुई तस्वीर कभी नहीं मिट सकती... ये तो समय के साथ साथ और पक्की और अमिट हो जाती है.
suneetaa jee,
ReplyDeletekamaal kar diyaa aapne ! is rachnaa men aap anubhootiyon aur abhivyakti ke naye shikhar par jhanDaa gaaD chukee hain. rachnaa padhte huye main stabdh rah gayaa........ kyaa khoob likhaa hai aapne-! wah wah
anandkrishan, jabalpur
9425800818
वो तस्वीर तुम्हारी... बहुत लाजवाब कविता है,पढकर अच्छा लगा।
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