वेलन्टाईन डे पर संत वेलनटाईन को मेरी श्रद्धांजली....
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आंधी और तूफ़ान है
चल रहे है भेड़ चाल ये
आजकल के नौजवान है...
पहले पहल ये परफ़्यूम देकर
अपना प्यार दिखाते है
किस डे पर भी किस देकर
सबसे प्यार जताते है
हग डे पर भी गले मिलकर
बन जाते है अपने से
वेलन्टाईन डे पर इनके
पूरे हो जाते है सपने
प्यार घूमाना प्यार फ़िराना
प्यार ही इनका मुकाम है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान हैं
बीत गया समय पुराना
आज चलन है इनका
भूल गये सब रिश्ते-नाते
नया दौर फ़ैशन का
गर्ल फ़्रेंड की जी हुजूरी
यही कर्तव्य है इनका
एक छूटी दूजी बनाई
यही धर्म है इनका
माँ की डाँट पिता का पहरा
इनके लिये अपमान है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान है
बालो पर जो हाथ घुमाये
वो माँ इन्हे न भाती है
अनुशासन की सीख दे
वो बात इन्हे सताती है
कैसे गुरू कहाँ का चेला
सब बने संगी-साथी है
जैसी दिक्षा वैसी शिक्षा
सब गुड़-गौबर-माटी है
खुशी मनाएं वेलन्टाईन की
जिसने दिया बलिदान है
रोक सकेगा कौन इन्हे
ये आँधी और तूफ़ान है...
सुनीता शानू
बहुत बढ़िया शानू जी बहुत सुंदर कविता लगी धन्यवाद
ReplyDeletekripya dekhe yamaraaj
http://mahendra-mishra2.blogspot.com
अच्छा ख्याल है
ReplyDeleteबेहतरीन है! :)
ReplyDeleteसही है सुनीता जी....हम लड़कों की तारीफ और खिंचाई एक साथ...
ReplyDeleteकैसे गुरू कहाँ का चेला
ReplyDeleteसब बने संगी-साथी है
जैसी दिक्षा वैसी शिक्षा
सब गुड़-गौबर-माटी है
सच्ची सीधी बात...बहुत बढिया..वाह.
नीरज
bahut baadhiya aur aaj ka satya likha hai sunita ji,guru ,maa,pita ke pyar se jyada girl friend ki sochte hai,valentine day ka asli arth nahi samjhte.
ReplyDeletevery truely nicely written words.
सुंदर कविता ,धन्यवाद !
ReplyDeleteबढ़िया!!
ReplyDeleteचलो जी वेलेन्टाईन्स डे का शुक्रिया कि इसी बहाने आप लिखती हुई तो दिखीं ;)
बालो पर जो हाथ घुमाये
ReplyDeleteवो माँ इन्हे न भाती है
अनुशासन की सीख दे
वो बात इन्हे सताती है
कैसे गुरू कहाँ का चेला
सब बने संगी-साथी है
जैसी दिक्षा वैसी शिक्षा
सब गुड़-गौबर-माटी है
अच्छी लगी आपकी कविता ...बधाई
शुक्रिया, बढिया वेलेंटाईनी कविता ।
ReplyDeleteबहुत दिन बाद आना हुआ । आपकी कुछ रचनाओं पर आज ही टिप्पणी दी है...
ReplyDeleteइस कविता को क्या कहूँ.. हास्य / व्यंग्य.. यां शैक्षणिक... जो भी है... संदेश है..खुश रहो..
shaanoo jee,
ReplyDeletebilkul sahee farmaayaa apne aur kya khoob andaaze bayan hain
chaliye aapne yad to kiya sant valentine ko,varna aadhi peedhi ko to pata hi nahi.
ReplyDeleteलिखना बंद क्यूँ है आजकल??
ReplyDeleteमाननिय सुनीताजी,
ReplyDeleteपश्चिमी संस्कृतिके अंधानुकरण पर प्रत्यघात प्रदर्शित करती ये वास्तविक्ता पुर्ण आपकी ये काव्य रचनासे
मैं अत्यन्त प्रभावीत हुआ हुं| प्रशंशावादके ईस युगमें ऐसे वास्तविक टीकापुर्ण काव्यकी रचना करनेवाले
कवि आज न्युनतम रह गये हैं| भारतकी नवयुवा पेढीके अनाचरण को प्रदर्शित करनेके लिये जो आपने
शुरवीरता प्रकटकी हैं उसके लिये आपको भिनंदन ! भारतिय संस्कृतिको ज्वलंत रखनेके अभ्यानमें आपका
ये काव्य रुपी प्रयास नवयुवाओंको जाग्रत करके नई प्रेरणा प्रदान करें ऐसी अभ्यर्थना. आप ऐसी ही कविताओंसे भविष्यमेभी भारतिय भ्रमित नवयुवानोंको हंमेशा सुचित कराति रहे ऐसी हमारी अभिलाषाके साथ शुभेच्छा एवम् शुभकामना |
हेमंतकुमार पाध्या
युनायटेड किंगडम