आधी बात कही थी तुमने
और आधी मैने भी जोड़ी
तब जाकर बनी तस्वीर
सच्ची-झूठी थोड़ी-थोड़ी
नटखट सी बातों के पीछे
दुनिया भर का प्यार छुपा
मुस्काती आँखो ने भी
जाने कितने स्वप्न दिखा
लूटा था भोला-सा बचपन
और मिला जब
पहला-पहला खत तुम्हारा
तुड़ा-मुड़ा, कुछ भीगा-भागा
भोर के स्वप्न सा
आधा सोया, आधा जागा
कैसे तुमने ओ लुटेरे
दिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
सुनीता शानू
मोहब्बत में भीगा ख़त सा जान पड़ता है
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
बहुत सुन्दर दिल को छूती अच्छी रचना . आभार
ReplyDeleteकैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से
रूमानी और बहुत नाजुक सी रचना.
बहुत सुन्दर
कैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
लुटेरे चोर तो शोर चुपके से ही मचाएंगे ना ...!!
तुड़ा-मुड़ा, कुछ भीगा-भागा
ReplyDeleteओए होए..क्या याद किया है वो गुजरा जमाना...तासीर आज भी ताजी नजर आई..ये बात हुई न. बहुत खूब!! बधाई.
दिल को चुराया चुपके से
ReplyDeleteन दस्तक न आहट ही
खूबसूरत शब्दों से रची आपकी ये रचना बहुत अच्छी है...बधाई...
नीरज
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।
ReplyDeleteश्री गुरू नानकदेव जी की 540वीं जयन्ती की और
कार्तिक पूर्णिमा (गंगा-स्नान) पर्व की बधाई!
bahut hi pyari kavita k liye vadhaai.....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
संवेदनाओं से प्रोत आपकी रचना अच्छी लगी.
ReplyDeleteआकाश
प्यार में डूबती उतराती कविता । बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आई । आपके पति की शीघ्र पुनश्च स्वस्थ हों इस कामना के साथ ।
ReplyDeletebahut komal si kavita
ReplyDeleteabhar
ख़ूबसूरत कविता है..प्यारे अहसासों से लबरेज़
ReplyDeleteहर पल कल कल बहते
ReplyDeleteअहसासों के र्निझर को
बांधो ना यादों में
आज अभी भी कुछ ताजा सा
हो ही रहा है
चखो नित नूतन नया क्षण
कोई है जो सनातन
जीवन सा
संजो ही रहा है
shabd-shabd khoobsurat..
ReplyDeletebhaav sapno ke rangoN meiN
doobe hue....
ek asardaar prastutee . . .
@ दिल में मचाया शोर
ReplyDeleteचुपके से...
बहुत वाचाल पंक्तियाँ हैं !
हम हैं कि इनको समझा रहे हैं, एक एक कर बात कहो। ऐसी बतियाती कविता बस ऐसी लगती है जैसे घर घर की दुलारी बिटिया हो ।
बहुत खूब सुनीता जी ....ये शोर मुबारक आपको ........!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दिल को छूती अच्छी रचना
ReplyDeleteshabnam मैं bheege शब्द से rachi है ........ प्रेम की bheeni mahak सी uth रही है rachna से ........... बहुत ही lajawaab लिखा है .......
ReplyDeletechai ke saath kavita or kavita me chai mera priya vishay raha hai sunita ji.
ReplyDeletekabhi likha bhi tha
"khayal e yaar ki har ibtida to yak si thi
naseem e subh kuch akhbaar or awdhesh ki chai" .
satya vyas
behtreen kavita, dil ke aas-pass
ReplyDeletebadhaie aapko
gaurav vashisht
कैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
di.........in panktiyon ne man moh liya....... behtareen shabdon ke saath ek bahut hi behtareen kavita...
di.....meri nayi post dekhiyega...
ReplyDeleteकैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से..
और तब से ही बैठे हो दिल में..
अधिकार जमाए....
very nice...congrats..
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
ReplyDeleteसंजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
wah... achhi rachna...
ReplyDeleteKhubsurat ehsason ki sunder kavita...badhai aapko.
ReplyDeleteblog par aane ka bhaut bahut shukriya shanu ji!
बहुत अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत-2 आभार
It is very nice poems. You can send this for publishing. address avilable on my blog. please visit us-
ReplyDeletehttp://katha-chakra.blogspot.com
पहला-पहला खत तुम्हारा
ReplyDeleteतुड़ा-मुड़ा, कुछ भीगा-भागा
भोर के स्वप्न सा
आधा सोया, आधा जागा
कैसे तुमने ओ लुटेरे
दिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
khat padh kar man bheeg gaya
bahut khoobsurat
aasha hai aap aur aapka parivaar sakushal hai
खूबसूरत शब्दों से रची आपकी ये रचना बहुत अच्छी है...बधाई...
ReplyDeleteदी.... आप कैसी हैं?
ReplyDeleteYour blog is good.
ReplyDeleteBahut sunder abhivyktee.......
ReplyDeleteआधी बात कही थी तुमने
ReplyDeleteऔर आधी मैने भी जोड़ी ...
isi samanvay ko hi pyar kahte hai. bahut sunder rachna.
bhut pasan aaya .... kiya kaku apaki tarif may
ReplyDeletePlease read my blog and let me know what you think!
ReplyDeletehttp://bestvacationdestinations.blogspot.com/
आधी बात कही थी तुमने
ReplyDeleteऔर आधी मैने भी जोड़ी
तब जाकर बनी तस्वीर
सच्ची-झूठी थोड़ी-थोड़ी
really a nice work in simple words.......
chupke chupke man ka pakheru yaadon me dubki laga aataa hai , bahut sundar .
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteखूबसूरत शब्दों से रची आपकी ये रचना बहुत अच्छी है..
आप ने अपने फोटो को केसे तथा किस सॉफ्टवेर से बनाया है मुझे मेल कर के बताये
cs3.vijay@gmail.com
आधी बात कही थी तुमने और आधी मैने भी जोड़ी
ReplyDelete.
बहुत सुन्दर गीत है।रचना मे पूर्ण अभिव्यक्त किया है ,जो शब्दचित्र उभारे है
बे शसक्त है ।
बधाई.
आधी बात कही थी तुमने और आधी मैने भी जोड़ी
ReplyDelete.
बहुत सुन्दर गीत है।रचना मे पूर्ण अभिव्यक्त किया है ,जो शब्दचित्र उभारे है
बे शसक्त है ।
बधाई.
आधी बात कही थी तुमने और आधी मैने भी जोड़ी
ReplyDelete.
बहुत सुन्दर गीत है।रचना मे पूर्ण अभिव्यक्त किया है ,जो शब्दचित्र उभारे है
बे शसक्त है ।
बधाई.
अच्छी लगी आपकी रचना
ReplyDeleteप्रणाम स्वीकार करें
मोहब्बत भरी कविता.. काफी अच्छी थी..
ReplyDeletedil mein machaaya shor chupke se...
ReplyDeleteumdaa....aafareeen....behtareen...
aabhaar!
great feeling.parmanent memory
ReplyDeleteJust like my frist love letter.
10th class
board exam
saboo school
1987.
कैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
बहुत ही खुबसुरत पंक्तीया!!!बहुत सुंदर!!!
bhut sundar geet hai ,aadhi baat kahi hai tumne ,or aadhi mene jordi
ReplyDeletenice
ReplyDeleteपूर्णता.और प्रेम में सराबोर सुन्दर रचना....
ReplyDeleteकैसे तुमने ओ लुटेरे
ReplyDeleteदिल को चुराया चुपके से
न दस्तक न आहट ही
दिल में मचाया शोर
चुपके से...
..ati sundar sunita ji
..bahut din se koi post nahi.. sab thik hai na?
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