चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Tuesday, October 30, 2007

सादर-निमन्त्रण

आदरणीय आप सभी को सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है की हमारे गुरूदेव श्री समीरलाल जी अपनी उड़न तश्तरी पर सवार होकर श्री राकेश जी के साथ १२ तारीख को दिल्ली आ रहे है...अतः हमने उनके स्वागत में अपने आवास (प्रताप नगर...दिल्ली-७) १२ तारीख की शाम ४ बजे एक छोटी सी गोष्ठी रखी है जिसमें आप सभी सादर आमन्त्रित है...कृपया जो लोग काव्य-गोष्ठी मे हिस्सा लेना चाहते है अपना नाम दर्ज करायें...

लेकिन आमन्त्रित सभी हैं इस मौके को आप न छोडे़ .....और जो भी इस मेल-मिलाप मे हिस्सा लेना चाहते है ४ तारीख तक अपना नाम दर्ज करायें ताकी हम उसी प्रकार से व्यवस्था कर सकें...



आवास का पता आप सभी को अगली पोस्ट में दे दिया जायेगा...आयोजन दोपहर ३ बजे से जब तक आप चाहें...तब तक रहेगा...



सुनीता(शानू)


कृपया ध्यान दे...आप सभी आमंत्रित है सिर्फ़ कवि ही नही....

24 comments:

  1. अरे वाह, इतना सम्मान. किस विध कहूँ आभार तुम्हारा. जरुर आऊँगा. राकेश जी मेरे गुरु हैं, उनके साथ एक मंच से पढ़ना मुझे हमेशा संबल देता हैं और आपने मुझे पुनः मौका दिया कि अपने गुरु के शुभाषीष के साथ मैं उपस्थित रहूँ. अति आभारी.

    अरुण अरोरा हमें ले आयेंगे आपके यहाँ, आप निश्चिंत रहें. भारत यात्रा का आनन्द आयेगा आपके निमंत्रण से.

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  2. मैं आ रहा हूं, एक श्रोता के रूप में.
    आमत्रंण के लिये धन्यवाद

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  3. समीरभाई आ रहे हैं। मिलने की बड़ी इच्छा है। लेकिन, दिल्ली तो आना शायद हो पाए। मुंबई से ही आपकी पोस्ट के जरिए आनंद लेना चाहूंगा।

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  4. सुनीता जी
    नमस्कार
    आपके निमंत्रण के लिए धन्यवाद।

    यदि कोई औपचारिकता हो तो बताएं, मैं कविता-पाठ करने आना चाहूँगा - मेज़बान और मेहमान इजाज़त दें तो।

    सप्रेम
    संजय गुलाटी मुसाफिर

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  5. "सिर्फ कवि ही नहीं"
    कवियों से इतनी दुश्मनी क्यों भई ?
    समीर भाई आयेंगे तो
    हम बिन बुलाए ही चले आयेंगे
    चौखट वाले पवन चंदन के साथ
    भला उड़न तश्तरी पर
    चढ़ने उड़ने का आनंद
    कौन नहीं लेना चाहेगा
    एक्स्ट्रा उर्जा लेकर आयें।

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  6. सुनीता जी,अगर अनुमति हो तो मैँ एक श्रोता के रूप में आप सभी से मिलना चाहूँगा

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  7. काश मैं भी दिल्ली मी होता

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  8. गुरुदेव मै आपकी आभारी हूँ,राकेश जी हमारे भी गुरू है उनका सम्मान करके हमे अत्यन्त प्रसन्नता होगी...अच्छा है अरूण भाई का स्वागत है...
    मैथिली जी अच्छा लगेगा आपका आना...
    हर्षवर्धन जी दिल्ली दूर नही है...:)
    संजय भाई आपका स्वागत है आप आईये...
    अविनाश जी एसा नही है सिर्फ़ कवि का मतलब है कवि तो आयेंगे ही और सभी को आना है...
    राजीव भाई हमे भी अच्छा लगेगा आपसे मिल कर...

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  9. शुक्रिया!!
    काश…………………

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  10. आगरा से मैं कमलेश मदान आऊंगा.बाकी वहाँ पर सभी गुरूजनों को मेरा एडवांस में प्रणाम और आपको धन्यवाद सुनीता जी क्योंकि आप बहुत भाग्यशालीं है.

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  11. हम पपहुंच रहे हैं
    पहुंच रहे हैं

    भीड़ हुई
    कम पढ़ेंगे
    ज्यादा नहीं
    सुनेंगे अधिक

    अवसर मिला
    तो अधिक भी
    पढ़ लेंगे

    समयानुकूल
    निर्णय लेंगे
    अभिव्यक्ति अनुगूंज
    में आपकी रचनाएं
    पढ़ना चाहता हूं
    या तो लिंक भेजें
    अथवा अंक की तिथि
    की सूचना दे दें।

    अविनाश वाचस्पति
    पवन चंदन

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  12. हम यही गोवा से आपकी पोस्ट के जरिये वहां की गोष्ठी का आनंद उठाएंगे।

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  13. जितना वक्त निकट आता है, उतनी और विकलता बढ़ती
    वाशिंगटन से अब दिल्ली की दूरी तो हो गई शून्य सी
    आशा सजती हुई आप सब से मिल कर बातें करने की
    अंधियारी सुधियों में दीपित करती है इक स्नेह विभा सी

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  14. अब कमलेश आगरा से आयेंगे तो पेठे लायेंगे
    दालमोठ के साथ ,मनोहर की शायद तिलपट्टी लायें
    यादें अब भी सेठ गली की ताजा हैं मेरे मानस में
    रह रह कर फिर दस्तक देतीं, चाहे जितना उन्हें भुलायें

    हर्ष ! दिवाली पर मैं हूँगा निकट तुम्हारे मुम्बई में ही
    यदि सम्पर्क सूत्र भेजो तो शाय्द बात वहां कर पाऊँ
    हाँ समीर जी चढ़ा रहे हैं मुझे एक ऊंचे खम्भे पर
    इतना ऊंचा नहीं चढ़ायें , मैं फिर नीचे उतर न पाऊँ

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  15. हाय! काश ये गोश्टी बम्बई में हो रही होती।

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  16. मंगलमय दिन आजु हे पाहुन छैथ आयल....

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  17. सुनीता जी, इस आयोजन के लिए आपको धन्यवाद, शुभकामनाएँ आदि । पढ़कर मन कर रहा है मैं भी पहुँच पाती । वैसे भी मुझे दिल्ली एक देढ़ महीने में तो आना ही था परन्तु इतने कम समय में कार्यक्रम , वह भी दीवाली के समय में बनाना कठिन है । मन तो वहीं लगा रहेगा । सोच रही हूँ क्या जुगाड़ भिड़ाया जाए ताकि आ सकूँ ।
    घुघूती बासूती

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  18. भई वाह जलसा हो रहा है आपके यहाँ पर मैं तो आपकी पोस्ट का इंतजार करती रहूंगी ।

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  19. हार्दिक आभार,

    आमंत्रण के लिये हार्दिक आभार,

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  20. वाह !
    इस आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और निमंत्रण के लिए धन्यवाद।

    समीर जी और राकेश जी जैसे लेखनी के धनी साथियों से मिलना अत्यंत ऊर्जादायी अनुभव होगा !

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  21. हर्ष वर्धन जी ने, अनिताकुमार जी ने, आशीष जी ने अप्ने विचार रखे हैं कि काश..
    अरे काश को सत्य में बदलते देर नही लगती.. हम ऐसी गोष्ठी मुंबई में यहां भी रख सकते हैं..चलिए आप सभी से निवेदन है कि पहली गोष्ठी कब रखी जाए..? जगह होगी हमारा घर..
    और कौन कौन आना चाहेगा..
    कृपया मुझे सूचित करें...
    कवि कुलवंत सिंह
    http://kavikulwant.blogspot.com
    singhkw@indiatimes.com
    Ph-022-25595378 (Mon-Fri 10am-6pm)

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  22. मैं कवि तो नहीं हँ,कभी कभी कुछ लिख लेता हूँ, कविताऍं पढने का शौक रखता हूँ। वित्‍तीय क्षेत्र में कार्य करता हूँ। मुझे अनुमति दे सकती हैं क्‍या। कुछ ब्‍लॉग मैंने भी बना रखें हैं, मुलायजा फरमाईयेगा। अनुमति हो तो मेरी उपस्थिति दर्ज करें !

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  23. सुनिता जी, इतना प्यारा निमंत्रण ठुकराना अपने आप से अन्याय होगा लेकिन ....
    सबकी टिप्पणियाँ भी प्यार भरी है और समीर जी और राकेश जी से मिलने का आनन्द भी अलग होगा. कुलवंत जी आपके खुले निमंत्रण को पढ़कर खुशी हुई... आने वाले साल मे हम कुछ महीनों के लिए भारत आ रहे हैं. सबसे मिलने की इच्छा है. सुनिता जी समय समय पर हमें भी आभासी दुनिया के माध्यम से मिल लिजिएगा.

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य