अलविदा दोस्तों आज मै आप सब लोगों से विदा लेती हूँ कुछ समय उपरांत मै अवश्य लौट कर आऊंगी आपकी हमारी इस छोटी सी दुनिया में मगर अब मुझे कुछ जरूरी काम करने हैं यही समय है जब मेरा चाय का बिजिनेस पुरे जोरो पर होता है...अतः अब मुझे ६ महिने का ब्लागर्स की दुनिया से अवकाश चाहिये...मै जानती हूँ मै आप सभी को बहुत miss करूंगी मगर मेरा एक कर्तव्य अपने पति और बच्चों के प्रति है,आप लोगो से बस एक निवेदन है मुझे भूल मत जाना मै फ़िर लौट कर आऊंगी...और हाँ अगर हो सका तो कविताओं पर कभी-कभार टिप्पणी अवश्य करूंगी...मगर मै 6 महिने तक कोई कविता नही लिख पाऊँगी.............
आपके प्यार और स्नेह के लिये बहुत-बहुत आभारी हूँ
आपकी सुनीता(शानू)
will miss u for sure.. hope to c u soon again. all the best..
ReplyDeleteअरे दीदी कहां चल दीं... मैं खुद ब्लोग और कविता को बिल्कुल वक्त नहीं दे पा रहा... कभी कभी कुछ सपने देखने के लिये कुछ सपने छोड़ने भी पड़ते हैं...
ReplyDeleteआपकी कविताओ का इंतजा़र रहेगा ...
ReplyDeleteहमारी शुभकामनायें....
शुभकामनायें. जल्दी वापस आयें. इन्तजार रहेगा.
ReplyDeleteहम आपका इंतजार करेंगे।
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्षा रहेगी।शुभकामनाएं।
ReplyDeleteचाय की पत्तियों के साथ लौटते वक्त कुछ अहसास भी चुन लाना....उन्ही को फिर थोड़ी अदा के साथ परोस देना।
ReplyDeleteआपका इंतजार....
ReplyDeleteमन पखेरू फ़िर उड़ चला...:):) कहां चल दी सुनीता जी:):).....दूर आप रह ना सकोगी यह हम जानते हैं
ReplyDeleteसमय समय पर अपनी दस्तक देती रहें ..अच्छा लगेगा..:):)
सुबह -सुबह ऐसी ख़बर।
ReplyDeleteआपका इंतज़ार रहेगा !!
कुछ पतियां ,
ReplyDeleteताज़ा,
चाय की ,
अपनी महक के साथ
लेती आना
प्याले से मन
खाली हैं,
आतुर हैं,
छलक जाने को ।
सस्नेह --
सुजाता
ये भी जरुरी है,पर कोशिश करना यात्राओ के बीच लिखी कविता को पोस्ट करने की ,यात्रा संसमरण भी..बेशक इंक ब्लोगिंग का प्रयोग करो..:) बेहतर व्यापार के लिये शुभ कामनाये..
ReplyDeleteसुनीता (शानू) ये आप क्या कर रही हैं? जा रही हैं? हैं! और कविताएं? हम कहां पढ़ेंगे! पढ़े बिना कैसे रहेंगे? आपको लगता है छह महीने कम होते हैं? आदमी (या औरत) इतने दिन कविताओं के बिना रह पाएगा? और रह पाया तो वह फिर आदमी (या औरत) रहेगा? कविताएं लिखते समय आपको सोचना चाहिए था कि आगे एक समय छह महीने वाला समय भी आएगा जब कविताएं नहीं होंगी, आपके पति और बच्चे होंगे! क्या अजीब उलझन खड़ी कर दी आपने? मगर जा कहां रही हैं? थाइलैंड या जापान? आपकी जगह भरने की कोशिश करुंगा.. करुं?
ReplyDeleteए लो कल्लो जी बात। ये क्या बात हुई भला, कविता नई लिखोगी आप तो खाना पच जाएगा?
ReplyDeleteचलो जल्दी से एकाध कविता चढ़ाओ ब्लॉग़ पे!!
अपन वेट रहे हैं
आपका फ़ैसला शिरोधार्य, शुभकामनायें
ReplyDeleteसुनीता जी,
ReplyDeleteपारिवारिक दायित्व का निर्वहन आवश्यक है साथ ही व्यवसाय भी आवश्यक है, आप इन दोनों के लिए अपना समय देना चाहती हैं तो बहुत अच्छी बात है, पर हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इससे पहले क्या आप इन दोनों के लिए समय नहीं दे पा रही थीं, यदि नहीं दे पा रही थीं सिर्फ कविता और व्लाग को ही समय दे रही थी तो यह दायित्वों के प्रति नाइंसाफी थी ।
वैसे जहां तक मेरे चिट्ठाजगत में जो अनुभव हैं उसके अनुसार से कहूं तो परिवार, व्यवसाय एवं ब्लाग के साथ जीवन और समय का सामन्जस्य बिठाना ही पडता है, यह स्वाभाविक रूप से बैठता नही है ।
हमारी शुभकामनायें कि आप वर्षा और शरद का आनंद लेवें, परिवार में सुख बांटें, बीच के क्षणों में भावातिरेक को शव्दों में बांधें, योंकि परिवार जीवन की एक सुन्दर कविता हे, जिसे कवि मन ही समझ सकता है ।
पुन: शुभकामनायें । हम सब आपको आद करते रहेंगें ।
संजीव
अरे काम के साथ लिखना जारी रखिये। न हो तो इकब्लागिग करिये।
ReplyDeleteWill wait for you. All the best and have good time and business.
ReplyDeleteआपका E मेल पता भेजें.
ReplyDelete360 मेल से आपको मेल भेजने में दिक्कत है आपकी मेल मिल तो रही है जा नहीं रही है.
कविता के बिना आपका रहना मुश्किल है.
बकौले वशीर बद्र-
मुझसे बिछड़ कर खुश रहते हो.
मेरी तरह तुम भी झूटे हो.
डॉ.सुभाष भदौरिया.