है दिल फेंक आशिक जमाने में बहुत,
अपने दामन को बचा कर रखिये।
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
अपनी पलकों को झुका कर रखिये।
इश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
अपने दिल को गुलशन बना कर रखिये।
गम में रोना न पड़ जाये उम्र भर तुझको,
उस सितमगर को मेहमां बना कर रखिये।
बेवफ़ा हैं ये जमाने के रहनुमा सारे,
दिल के आईने में खुद को सजा कर रखिये।
ऎसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये।
बदनाम न कर दे दुनियाँ की जालिम नजरे,
खुद को दुनियाँ की से नजरों से बचा कर रखिये।
सुनीता शानू
वाह क्या बात है , सुभानअल्लाह बहुत सुन्दर हमें तो पता ही नहीं था कि आप खूबसूरत गजल भी लिख लेती है] ये तो ना इसाफ़ी थी हम पर इतने दिनों तक
ReplyDeleteशानू जी,बहुत बढिया गजल है।बधाई।
ReplyDeleteएसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये
अगर आगाज़ ऐसा है तो फिर , आगे की हम सोच ही सकते है ...
ReplyDeleteवाह शानू जी! आप तो गज़ल में भी छा गयीं. बहुत खूबसूरत गज़ल है. मगर दिल को पत्थर मत बनाइये वरना हमें ये भावपूर्ण रचनायें कहाँ पढ़ने को मिलेंगी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.. भावपूर्ण गजल..दिल को छू गई..
ReplyDeleteकवि कुलवंत..
सुनीत जी आपके ब्लाग लिंक को मैं अपने ब्लाग http://www.kavikulwant.blogspot.com पर ’मेरे कवि दोस्त’ के अंतरगत डालना चाहता हूँ। कवि कुलवंत
एसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
ReplyDeleteअपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये..
चोट कम लगे इसी लिये तो ईश्वर ने दिल को लचक्दार बनाया है.... सुन्दर गजल..
हां एक बात और...
ReplyDeleteआप आजकल ज्यादा समय लिखने को देने लगी हैं...कुछ वक्त हमारे ब्लाग पर भी आने के लिये बचा कर रखिये
इस नये क्षेत्र में पदार्पण काफी सफल रहा -- शास्त्री जे सी फिलिप
ReplyDeleteहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
वाह-वाह!!
ReplyDeleteइरशाद !!
ख़ूब सारी बधाई!
Koshish safal rahi, mujhe yah kavita se jyada acchi lagi. ummed hai ese nagme uar padne ko milenge. aap ise ga kar bhi blog par daliye to aur accha lagega.
ReplyDeleteek baat aur
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये...
agar dil patthar ban gaya to kavita kahan hogi, mai to majak kar raha tha.
Naye pyash ki badhai
दिल को पत्थर बनाया तो ग़ज़ल नहीं होंगीं, न प्यार होगा न भाव होंगें... ग़ज़ल अच्छी लगी...
ReplyDeleteकाश! "दिल फेंक" के दिलों को "कैच" कर प्यार से सहला-नहला कर पावन करनेवाली देवी भी होती कोई...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाकई सुनीता जी बहुत अच्छी गजल हैं, गजल में इश्क और बेवफाई की रूबाईयों में व्यंग व दर्द शामिल हो तो गजल और सुहानी लगती है । बधाई ।
ReplyDeleteईश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
अपने दिल को गुलशन बना कर रखिये.
बहुत खूब क्योंकि वीराने को भी गुलशन बना दे वही तो हमारा आत्मविश्वास है ।
"www.aarambha.blogspot.com"
बढ़िया रचना. लिखते रहें और निखार आयेगा.
ReplyDeleteईश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
ReplyDeleteअपने दिल को गुलशन बना कर रखिये...
bahut hi sundar aur pate ki baat kah di sunita ji aapne ..[:)]
बढ़िया रचना, लगता है आपकी प्रयोगधर्मिता जाग उठी है।
ReplyDeleteअच्छा है जारी रखिए!!
गनीमत है नही तो शीर्षक पढ़कर अपन ने सोचा कि आप किसी दिलफ़ेंक आशिक़ से टकरा गईं कहीं॥
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
ReplyDeleteअपनी पलकों को झुका कर रखिये...
अच्छा लगा ये शेर !
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
ReplyDeleteअपनी पलकों को झुका कर रखिये...
खूबसूरत गजल है |लिखते रहें और निखार आयेगा.
आपका ब्लाग मुझे बहुत पसंद आया । अभी तक जितने भी हिन्दी ब्लाग देखे उसमें आपका ब्लाग सबसे खूबसुरत हैं । बहुत अच्छा ।लिखते रहिए ।
ReplyDeleteNishikantWorld
है दिल फेंक आशिक जमाने में बहुत,
ReplyDeleteअपने दामन को बचा कर रखिये...
ye chere pe muskraahat de gaya...
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
अपनी पलकों को झुका कर रखिये...
ahhaa!! purani baat par naye dhang se pyara hai...
गम में रोना न पड़ जाये उम्र भर तुझको,
उस सितमगर को मेहमां बना कर रखिये...
1st misre ka flow thoda kam hai..
so...rok raha hai..
एसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये...
badhiya hai..!!
esa mujhe lagta hai..
with love
..masto...
बदनाम न कर दे दुनियाँ की जालिम नजरे,
ReplyDeleteखुद को दुनियाँ की से बचा कर रखिये...
बेहतरीन।
सादर
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
ReplyDeleteअपनी पलकों को झुका कर रखिये...
और दिल को पत्थर बना कर रखिये ..गज़ब है ..सुन्दर गज़ल
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
ReplyDeleteअपनी पलकों को झुका कर रखिये...
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति...
sunder rachna ..
ReplyDeletedekha tha kisi ne aapki rachna hi churayi hai ...afsos ki log blog se bhi chori karte hain ...par ye achchha raha aapne pakad bhi liya ..!!
ab bloggers ke liye bhi koi kanoon hona chahiye vaise ...
आपकी कविता अच्छी थी इसीलिए चोरी हुयी और आपने चोर को पकड़ कर माफ कर दिया?
ReplyDeleteखूबसूरत गजल.आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
vaah bahut achchi ghazal padhne ko mili.pahli bar aapke blog par aai hoon.aana sarthak raha.jud rahi hoon aapki shrankhla se.
ReplyDeleteएसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
ReplyDeleteअपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये...भावपूर्ण रचना.....
वाह! सुन्दर ग़ज़ल....
ReplyDeleteसादर...
bahut sundar gazal...yu hi likhte rahiye...abhar
ReplyDeleteअरे मैं तो गुनगुना रहा था...बड़े दिन बाद गज़ल गाने का जी चाहा है....कोशिश करुंगा..गले का बैंड सालों पहले बजा चुका हूं...एक बार कोशिश करके देखने में हर्ज क्या है...कामयाब हुआ तो बताउंगा कहां अपलोड किया है....
ReplyDeleteआज 01/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया......