नन्हा अक्षु |
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल
किसी की प्यारी बातों ने
बाँधा है कुछ इस कदर
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ
कुछ शब्द कागज़ पर बस
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल…
साफ़गोई इतनी अच्छी तो नही
मगर पाकिजा सी तेरी मूरत
टकटकी लगाये निहारती
मोह सा जगा देती है मुझमें
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ मै
कुछ शब्द कागज पर बस.
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल
शानू
न चाह कर भी लिख बैठी हूँ मै
ReplyDeleteकुछ शब्द कागज पर बस.
हर बात तुमसे कही नही जाती
नाजुक से अहसास मासूम़ से शब्द
..
Waah!!! Behtreen Abhivyakti...
ReplyDeleteआहा ..मीठी मीठी ..
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 13-09 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....शब्द रह ज्ञे अनकहे .
...........मीठी मीठी सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
ReplyDeleteन चाह कर भी लिख बैठी हैं जो - असली कविता वही है शानू जी !
ReplyDeletekavita to maadhyam hai apni baat ko kahne ka.
ReplyDeleteइतनी मासूमियत,स्नेह का पारदर्शी रूप- कागज पर नहीं उतर पाते
ReplyDeleteप्रेम अपने आप कुछ न कुछ करा देता है ...
ReplyDeleteमासूमियत भरा अंदाज़ लिए रचना ..
यही तो कविताई है ...सुंदर भाव
ReplyDeleteभाषा सरल,सहज यह कविता,
ReplyDeleteभावाव्यक्ति है अति सुन्दर।
यह सच है सबके यौवन में,
ऐसी कविता सबके अन्दर।
नहीं बनाई जा सके , कविता खुद बन जाय
ReplyDeleteकागज पर उतरे नहीं,मन से मन तक जाय
मन से मन तक जाय ,वही कविता कहलाये
अनायास उत्पन्न , ह्र्दय का हाल बताये
युग - परिवर्तन करे , सत्य शाश्वत सच्चाई
कविता खुद बन जाय , जा सके नहीं बनाई ||
वाह, कविताई करती भी हो और कहती हो कि होती नहीं!
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपकी कविता मे एक महक सी होती है जो दूर दूर तक बिखर कर मन मोह लेती है
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