बचपन में गुड़िया के साथ खेलना बहुत पसंद था। बस यूंही बचपन की याद में लिख डाला कुछ ऎसे ही बैठे ठाले...
वैसे समझने वाला ही समझ पायेगा मैने ये क्यों लिखा है...बहुत दुख की बात है कि सब कुछ लुटा कर भी मेरी गुड़िया की कोई खबर नही :(
वैसे समझने वाला ही समझ पायेगा मैने ये क्यों लिखा है...बहुत दुख की बात है कि सब कुछ लुटा कर भी मेरी गुड़िया की कोई खबर नही :(
पारुल |
मेरी गुड़िया तू कब लौटेगी बता
एक दिन जब ब्याह कर गई थी तू
अब तक खबर तेरी आई भी नही न
वो झमनियें का गुड्डा बड़ा ही था नटखट
फेरों में भी की थी बहुत उसने खटपट
कहीं उसने तुझको सताया तो नही न
वो टीणू भी तुझको सताता था गुड़िया
हँसी कितनी तेरी उड़ाता था गुड़िया
फिर उसने मुह चिढ़ाया तो नही न
माँ की साड़ी से बनाई थी कुछ साड़ी
वो सबकी सब रखी थी बक्से में तुम्हारे
किसी ने वो बक्सा चुराया तो नही न
दीदी का दुप्पटा भी बहुत काम आया
जब मिन्को बनियाइन ने गोटा लगाया
वो दुप्पटा हवा से फटा तो नही न
बाबा के पाजामे से बनी कुछ चादरें भी
सोमा धोबन ने धोकर रखी थी बक्से में
उनसे झाड़न किसी ने बनाया तो नही न
कहा था माकली ने भेजेगी वो तुझको
मगर पीठ मोढे भी न भेजा तुझको
कोई रस्म उसने निभाई ही नही न
तेरी शादी में किसी ने नही कुछ छोड़ा
गुल्लक भी मेरा मोटू ने फोड़ा
तू नही तो गुड़िया बचा कुछ नही न
रोती है आँखे तुझको विदा कर
मेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?
सुनीता शानू
नोट:-
कविता के सभी किरदार अपने परिवार में अपने बच्चों के साथ खुश हैं:) किसी को फ़िक्र नही मेरी गुड़िया की :)
दहशत के लावे हैं --- हवा में उड़ते एहसासों के परखचे
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी मै जानती थी आप समझ पायेंगी। आपका आशीर्वाद मिला दिल खुश हो गया।
ReplyDeleteसादर
सुनीता शानू
जाने क्या क्या न बयां कर दिया आपने सुनीता दी गुडिया के बहाने ।पोस्ट को महसूस किया जा सकता है ...........वही कर रहा हूं
ReplyDeleteहाँ अजय बहुत कुछ याद आता रहा घिरते रहे कई संशय उतार दिया उन्हे कागज़ पर बस और कुछ नही.
Deleteरोती है आँखे तुझको विदा कर
ReplyDeleteमेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?
गुड़िया तुम्हारी अब गुड़िया नहीं है
एह्सांसों की महज मीठी पुड़िया नहीं है
अरसे से तुमने भी तो बुलाया नहीं न?
धन्यवाद एम वर्मा जी।
Deleteअरसे से बुला रही हूँ भूल पाती नही
उसकी सूरत दिल से कभी जाती नही
जाने कितनी गुंड़ियाये जली राख हो गई
गुड़िया अब मेरी लौट कर आती नही
अच्छी कविता
ReplyDeleteफेसबुक पर यूट्यूब की विडियो कैसे पोस्ट करें?
दी.... आपकी कविता दिल को छू गई.. बहुत ही अच्छी लगी...
ReplyDeleteलिक से अलग हट के रचना ...
ReplyDeleteशुभकामनायें गुडिया को !
पुरानी सुहानी यादें मन को सकूं पहुंचाती हैं .
ReplyDeleteनिर्मल रचना .
इस रचना को पढ़कर हृदय विचलित सा हो गया ...ओह ...क्या लिखूं ...!!बस गुड़िया जहाँ रहे खुश रहे ...सच मे सुनिता जी ...हम कितनी भी तरक्की कर लें आज भी कितनी गुड़ियाँ है ...जो कष्टों के दलदल मे धसी हैं |
ReplyDeleteएक अजीब सी दहशत हो गयी कविता पढ़ कर ...
ReplyDeleteगुडिया को इस तरह याद आना ही था !!
आप किस कशमकश/आशंका से गुजर रही है , हर माँ समझती होगी !
गुड़िया की सुध ली ..... और कितनी सारी आशंकाएं व्यक्त कर डालीं ... बहुत मार्मिक रचना
ReplyDeleteदीदी इसे ले जा रही हूँ
ReplyDeleteशनिवार 30/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
रोती है आँखे तुझको विदा कर
ReplyDeleteमेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?
गहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ... आभार
आँखें नाम हो आई,
ReplyDeleteकई मीठी, कड़वी यादे साथ आई,
तेरी गुडिया तेरी ही ना सही,
इस जीवन मैं मेरी गुडिया भी होम हो आई
अंदर तक छु गई आपकी रचना, माँ हूँ एक और कई रिश्ते भी हैं, जहा मैं भी अपनी एक गुडिया ( प्यार का नाम भी गुडिया था) इस जामाने के नाम खो आई
सादर
लेकिन हाँ ....छिपे दर्द ने कहानी बयान करदी ......रीति आँखों में फिर से वह नमी भर दी ..... तेरा माथा तो न चूम पाऊँगी मैं.....तेरे ज़िक्र ने वह चोट फिर हरी कर दी .....बहुत ही मार्मिक और दुखद सुनिताजी
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता
ReplyDeleteरोती है आँखे तुझको विदा कर
ReplyDeleteमेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न
आपकी गुड़िया को बहुत सारा प्यार ... गुड़िया ठीक है आप परेशान न हों !!
kabhi kabhi yaaden dil ko chhuti hai.. aur fir mahsusa bhi ja sakta hai. aap waise bhi dil se jeete ho di:)
ReplyDeleteसुन्दर रचना. अपनी खुद की भावनाओं को यहाँ पा रहा हूँ.
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना ...गुड़िया के माध्यम से बहुत कुछ बयां करती ।
ReplyDeleteमेरे लिए ऐसी गुडियों की कहानी एक धधकता सत्य है, कहानी नहीं.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
sundar, bahut hi gehre bahv liye huye aapki ye rachna! yahi kahi aas-paas si ghoomti huyI! aapki ye gudiya1
ReplyDeletebadhai!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteआज आपका ब्लॉग अपने टूलबार मे जोड़ लिया है :)
सुन्दर रचना
ReplyDeleteआज आपका ब्लॉग अपने टूलबार मे जोड़ लिया है :)
Gyan Darpan
बडी ही भावनात्मक रचना है जी
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