चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Sunday, August 7, 2011

तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं



ऎसे ही लिख डाली बैठे ठाले..आप भी पढ़ लो बैठे ठाले जी... इस मुई ब्लॉगिंग ने रात के दो बजा दिये...:( ये सब दोस्त लोगों की जिद की वजह से हुआ है...कुछ लिखो कुछ लिखो बस...चलिये शुभरात्री..

जो पास होते हैं वही जब दूर जाते हैं
तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं
भीड़ में कोई ही लगता है अपना सा
सभी नज़रों मे कब अपनी समाते हैं


मुझे देख कर उसका सीटी बजा देना
कोई गीत फ़िल्मी अक्सर गुनगुना देना
अकेली देख कर मेरा दुप्पटा उड़ा देना
अकेले में ख्याल सारे गुदगुदाते हैं
तनहाई में अक्सर हमे वो याद आते हैं।


कहा था उसने कि मै खूबसूरत हूँ
प्रेम में लिपटी अजंता की मूरत हूँ 
दीवानगी में जब कभी मुस्कुराती हूँ
देख कर आईने भी कई टूट जाते है
तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।


चाँद को देखूं तो चाँदनी दिल जलाती है
उसका नाम ले लेकर सखियां सताती हैं
और नींद भी आंखों से जब रूठ जाती है
रात भर ख्वाबों में वही तो आते जाते है
तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।


बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।


43 comments:

  1. जब वैठे ठाले यह है तो फिर मनन के बाद क्या होगा ? सुंदर रचना ........

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  2. बहुत सुंदर अंदाज़ में अपने मन की बात लिखी है ...
    रोचक ...खिले-खिले से शब्द.....
    बहुत अच्छी लगी रचना..

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  3. बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
    पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
    जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
    आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।

    सच ...

    बहुत सुंदर ....

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  4. जन्मदिन मनाकर बहुत खूबसूरत कविता लिखी है सुनीता जी ।
    सुन्दर अहसास संजोये हुए ।

    नीली वाली पंक्तियाँ तो सच ही लगती हैं ।

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  5. नीम,पीपल,बरगद का उल्लेख का आपने पर्यावरण रक्षा का अच्छा संदेश दिया है।

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  6. जिन्हें हम भूलना चाहें, वो अक्सर याद आते हैं...

    सुनीता जी,
    तीस अप्रैल को आपने और आपके पतिदेव ने ब्लॉगर मंडली का अपने घर पर जिस स्नेह के साथ सत्कार किया था, वो मैं कभी नहीं भुला सकता...

    जय हिंद...

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  7. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  8. मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  9. बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
    पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
    जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
    आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।

    Nice post .

    http://mushayera.blogspot.com/2011/08/boat.html

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  10. कल 09/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  11. अति सुन्दर

    बहुत अच्छी लगी रचना..

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  12. sundar....sach,sab bahut yaad aate hai!!बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
    पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
    जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
    आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।.....behatreen

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  13. 'मुझे देख कर उसका सीटी बजा देना'......
    कोई लोटा दे मेरे बीते हुए दिन......|

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  14. बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
    पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
    जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
    आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।

    तन्हाई में तो रहा ही न कीजिये ... पर यह ख़याल भी आने ज़रुरी हैं ... बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  15. कहा था उसने कि मै खूबसूरत हूँ
    प्रेम में लिपटी अजंता की मूरत हूँ
    दीवानगी में जब कभी मुस्कुराती हूँ
    देख कर आईने भी कई टूट जाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।

    बहुत खूब सुनीता जी...

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  16. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..

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  17. This comment has been removed by the author.

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  18. बहुत अच्छी रचना. शुभकामनाएं

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  19. हमने बैठे ठाले पढ़ ली...:) आपको दोस्तों ने कहा लिखो...हमें दिल ने कहा पढो...ब्लॉगिंग है ही ऐसी...

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  20. जो पास होते हैं वही जब दूर जाते हैंतनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं
    भीड़ में कोई ही लगता है अपना सा
    सभी नज़रों मे कब अपनी समाते हैं
    bahut sunder soch liye hue shaandaar rachanaa.badhaai aapko,

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  21. कमाल की अभिव्यक्ति। बहुत पसंद आई।

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  22. बहुत खूबसूरत कविता लिखी है सुनीता जी ।
    जय हिंद...

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  23. ओ जी कमाल है कमाल.क्या खूब लिखतीं हैं आप.


    चाँद को देखूं तो चाँदनी दिल जलाती है
    उसका नाम ले लेकर सखियां सताती हैं
    और नींद भी आंखों से जब रूठ जाती है
    रात भर ख्वाबों में वही तो आते जाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।

    आपकी प्रस्तुति ने तो दिल ही चुरा लिया है.

    शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार,सुनीताजी.

    मेरे ब्लॉग पर दर्शन दीजियेगा.
    भक्ति,शिवलिंग पर अपने सुविचार
    प्रकट कीजियेगा.

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  24. बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम
    पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम
    जो साथ खेले थे इक्का दुक्का हम
    आज भी वो नीम पीपल बरगद बुलाते है
    तनहाई में अक्सर हमें वो याद आते हैं।
    बहुत सुंदर अभिब्यक्ति /यादों के साथ किसी की याद में पल पल याद करती हुई शानदार रचना /बधाई आपको /

    please visit my blog.thanks.
    www.prernaargal.blogspoy.com

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  25. ये लीजिये दुबारा आगये हैं आपकी 'नई पुरानी हलचल' से यहाँ.
    क्या कमाल का लिखतीं हैं आप.
    पिछली बार तो कचोरियों के झाँसे में आये थे.
    पर आपकी कविता बार बार पढकर भी मन नहीं भरता.

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  26. Wo jab yaad aaye, bahut yaad aaye!

    khoobsurat tabadla-e-khayaal hai ye aapka!

    sundar!

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  27. जी शानू जी,एक बार फिर से आपकी इस 'पुरानी कविता' को पढ़ने के लिए नई पुरानी हलचल से.

    पहली बात तो यह है कि कविता पुरानी जरूर है पर पढने पर हर बार नई लगती है.दूसरी बात यह है कि आपने इसे पढ़ने पर कचौरियाँ खिलाने का वादा भी किया हुआ है.

    आप् मेरे ब्लॉग पर 'नई पुरानी हलचल'पर मेरी पोस्ट सम्मलित करने के लिए आयीं, अच्छा लगा.परन्तु,यदि आप अलग से टिपण्णी भी कर देंगीं तो बहुत बहुत अच्छा लगेगा.

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  28. बचपन में बनाये उस घरौंदे की कसम पेड़ से तोड़ी कच्ची इमली की कसम........बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति... ।

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  29. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
    --
    शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ!

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  30. चर्चा मंच के माध्यम से यहाँ आई हूँ|
    बेहतरीन प्रस्तुति...बधाई|

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  31. देख कर आईने भी टूट जाते हैं ...
    गज़ब का आत्मविश्वास है :)
    इमली , पीपल और बरगद के साथ जुडी खुशनुमा यादें ...
    सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  32. बहुत सुंदर भावाव्यक्ति .....

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  33. सुंदर भावों से भरी रचना.

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  34. रचना मे जिक्र किया है नीम, पीपल और बरगद का लेकिन तस्वीर लगाई है बबूल के पेङ की. कुछ समझ मे नही आया.

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  35. आज अपने एक ब्लॉग ‘टेक एग्रीगेटर‘ का स्टैट चेक करते हुए यहां आ पहुंचा और एक बार फिर आपका कलाम पढ़ा और वाक़ई बचपन के पीपल, नीम और बरगद याद आ गए।
    आप का एक बार फिर से शुक्रिया अदा करने को जी चाहता है।

    शुक्रिया !!

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य