बस एक छोटी सी कोशिश...
मन को मनाने के अंदाज निराले है
हुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं
उसने कसम दी तो न पी अभी तक
हाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
दिल की बात जुबां पर लाये भी कैसे
ये भीड़ नही बस उसके घरवाले हैं
बात छोटी सी भी वो समझे नही
चुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
इन्तजार की भी होती है हद दोस्तों
रूक न पायेंगे हम जो मतवाले हैं॥
सुनीता शानू
बात छोटी सी भी वो समझे नही
ReplyDeleteचुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
खुबसूरत शेर ,क्या बात है हर शेर लाजबाब , वाह वाह.....
मतवाले चुप नही रहेंगे
ReplyDeletesundar bahut kuchh kahtee hai aapkee lekhnee
मन को मानाने के अंदाज़ सच ही निराले होते हैं ... आज कल कहाँ मन भटक रहा है ? सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबात छोटी सी भी वो समझे नही
ReplyDeleteचुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
बढ़िया रचना प्रस्तुति है ... आभार
मन को मनाने के अंदाज निराले है
ReplyDeleteहुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
बहुत सुन्दर गज़ल्।
ReplyDeleteउसने कसम दी तो न पी अभी तक
ReplyDeleteहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
वाह वाह जी वाह । इच्छ शक्ति ऐसे ही मज़बूत होती है ।
बहुत बढ़िया अंदाज़ ।
khubsurat gazal..
ReplyDeleteबात छोटी सी भी वो समझे नही
ReplyDeleteचुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
बेजोड़ पंक्तियाँ ...बहुत सुंदर
आज आपका ब्लॉग पहली बार नई पुरानी हलचल के माध्यम से देखा. अच्छा लगा.MEGHnet
ReplyDeleteचर्चा में आज नई पुरानी हलचल
ReplyDeleteसने कसम दी तो न पी अभी तक
ReplyDeleteहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
वाह! सुन्दर....
सादर बधाई...
बेहतरीन.......वाह!!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर प्रस्तुत की गई है आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
ReplyDeleteआप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /
bahut sunder blog hai aapka yahan aakar bahut sukun mila...nice post..
ReplyDeleteउसने कसम दी तो न पी अभी तक
ReplyDeleteहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
...........isi me zindagi ka falsafaan hai.....par log galat erth nikalte hai....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut khub !
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल ..... हरेक शेर बढ़िया
ReplyDeleteसभी शेर अलग अलग अंदाज़ लिए बहुत खूबसूरत हैं ... ये शेर खास लगा ...
ReplyDeleteबात छोटी सी भी वो समझे नही
चुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
उसने कसम दी तो न पी अभी तकहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
ReplyDelete........बहुत बढ़िया अंदाज़ ।
ननिहाल की कुछ यादें
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
ReplyDeleteमन को मनाने के अंदाज निराले है
ReplyDeleteहुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं
दिल की बात जुबां पर लाये भी कैसे
ये भीड़ नही बस उसके घरवाले हैं
इन्तजार की भी होती है हद दोस्तों
रूक न पायेंगे हम जो मतवाले हैं॥
Bahut shunder rachna ek ek shabd jaise sach ho.......Sarwbhaumik ..bahut pasand aayee.. isi tarah likhty rahe aap sada.
Deepotsav ki aseem shubhkamnawon sahit
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल....
ReplyDeleteइन्तजार की भी होती है हद दोस्तों
ReplyDeleteरूक न पायेंगे हम जो मतवाले हैं॥
सुनीता जी, आप लाजबाब लिखतीं हैं.
पर आपके आने की इंतजार में
हम तो बेक़रार हैं ,जी.
सोच रहा हूँ अब लिखना बंद ही कर दिया जाये.
आपके सफल ब्लॉग के लिए साधुवाद!
ReplyDeleteहिंदी भाषा-विद एवं साहित्य-साधकों का ब्लॉग में स्वागत है.....
कृपया अपनी राय दर्ज कीजिए.....
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http://pgnaman.blogspot.com
हरियाणवी बोली के साहित्य-साधक अपनी टिपण्णी/सदस्यता के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....
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आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद.
ReplyDeleteयह जानकारी टिप्पणी बटोरने हेतु नही है बस यह जरूरी लगा की आपको ज्ञात हो आपकी किसी पोस्ट का जिक्र यहाँ किया गया है कृपया अवश्य पढ़े आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल
ReplyDelete
ReplyDelete♥
आदरणीया सुनीता शानू जी
सस्नेहाभिवादन !
मन को मनाने के अंदाज निराले है
हुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं
वाऽऽह ! अच्छा अंदाज़ है कहने का …
ख़ूबसूरत रचना के लिए आभार !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
उसने कसम दी तो न पी अभी तक
ReplyDeleteहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
bahut khoob ....
बहुत सुंदर
ReplyDeleteमन को मनाने के अंदाज निराले है
हुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं
आपको पढना वाकई अच्छा लगता है
सुनीता जी अपनी हलचल से
ReplyDeleteआपने फिर से यहाँ पहुचाया .
सितम्बर से नया नही कुछ,
आधा नवम्बर होने को आया
फिर भी शान से कहत हो शानू जी
'जो मचाइबे हलचल हमार कोई का करिहे?'
यह कैसा अंदाज है मन को मनाने का.
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है ... नयी पुरानी हलचल कल शनिवार 19-11-11 को | कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें...
ReplyDeleteकहतें है कि यह दुनिया गोलमगोल है.
ReplyDeleteयह पोस्ट भी सच में बहुत अनमोल है.
कभी अनुपमा जी की हलचल से
और कभी आपकी हलचल से यहीं
चला आता हूँ.
मन को मनाने का अंदाज फिर फिर
पढकर ठिठक जाता हूँ.
सुनीता जी, अब कुछ तो रहम कीजिये
बात कुछ आगे बड़े वह शुभ कर्म भी कीजिये.
माना कि बहुत बहुत व्यस्त रहतीं है आप
पोस्ट लिख कर एक और,हरिये अब मेरा संताप.
मन को मनाने के अंदाज निराले हैं
ReplyDeleteखट्टे हैं अंगूर या फिर मुँह में छाले हैं.
:)
बात छोटी सी भी वो समझे नही
ReplyDeleteचुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
बहुत सुंदर प्रस्तुती /एक एक पंक्ति लाजबाब है /बहुत बधाई आपको /
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है जरुर पधारें /
www.prernaargal.blogspot.com
हलचल... हलचल... हलचल...
ReplyDeleteकभी सुनीता जी की
कभी अनुपमा जी की
कभी संगीता जी की
पर मजाल की यह पोस्ट टस से मस भी हो.
अंगद के पैर की तरह जम गई है
आखिर क्यूँ न जमें,आपकी चाय जो खूब बिक रही है जी.
लगे रहो मुन्ना भाई ...नही नही सुनीता बहिन.
समय मिले तो मेरी नई पोस्ट पर जरूर आईयेगा.
हनुमान लीला पर आपका इंतजार है जी.
हलचल... हलचल... हलचल...
ReplyDeleteकभी सुनीता जी की
कभी अनुपमा जी की
कभी संगीता जी की
पर मजाल की यह पोस्ट टस से मस भी हो.
अंगद के पैर की तरह जम गई है
आखिर क्यूँ न जमें,आपकी चाय जो खूब बिक रही है जी.
लगे रहो मुन्ना भाई ...नही नही सुनीता बहिन.
समय मिले तो मेरी नई पोस्ट पर जरूर आईयेगा.
हनुमान लीला पर आपका इंतजार है जी.
अंतस के भावों से सुंदर शब्दों में पिरोयी गयी आपकी रचना बेहद ही अच्छी लगी । मरे नए पोस्ट "आरसी प्रसाद सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteAti sundar.. ek achchi koshish.. khoobsurat prayaas...
ReplyDeletemangal-kaamnaayen
सुन्दर भाव .मनभावन रचना बधाई .
ReplyDeleteबात छोटी सी भी वो समझे नही
ReplyDeleteचुप रहेंगे भला जो कहने वाले हैं
इन्तजार की भी होती है हद दोस्तों
रूक न पायेंगे हम जो मतवाले हैं॥
सोचा था कुछ नया मिलेगा अबकी बार
पर'उफ़'आपकी चाय ने लगता है जकड रक्खा है
'हास्य सम्मलेन' में खूब बिखेरियेगा जलवे
हमने भी आपकी इसी पोस्ट को ही पकड़ रक्खा है
"टिप्स हिंदी में" ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
ReplyDeleteटिप्स हिंदी में
bahut khoob...bahut sundar
ReplyDeletewelcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली
संगीता जी की हलचल से मैं यहाँ हूँ.
ReplyDeleteआप क्यूँ नही आई अब तक मेरी
पोस्ट 'हनुमान लीला भाग-२' पर अब तक.
क्या नए साल में झूंठा वादा मन को मनाने का निराला अंदाज होगा ?
क्या कहूँ इतनी सुन्दर गजल ..कि शब्द नहीं ..आभार
ReplyDeleteउसने कसम दी तो न पी अभी तक
ReplyDeleteहाथ में पकड़े लो खाली प्याले है
दिल की बात जुबां पर लाये भी कैसे
ये भीड़ नही बस उसके घरवाले हैं
Vah sunita ji ... ak prabhavshali gazal ke liye abhar .
नीले फ़लक पे लिक्खे बादल के रिसाले हैं
ReplyDeleteअंदाजे बायाँ आपके क्या खूब निराले हैं
.... बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ... मेरा अभिनंदन स्वीकारें।