चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Monday, July 18, 2011

चलो एक हॉस्य हो जाये




वैसे तो कुछ दिन से तबीयत ठीक नही फ़िर भी सोचते हैं आपको अपने साथ-साथ क्यों रूलायें थोड़ा हम भी हँस लें, थोड़ा आपको भी हँसाये...:)

शीर्षक है मुहावरों की मार( कविता का नायक है प्रभुदयाल, आज प्यारेलाल छुट्टी पर गया हुआ है)

बात-बात पर प्रभुदयाल
खाता था मार
जबसे मुहावरों का
चढ़ा उसे बुखार,
करता क्या बेचारा
आफ़त का था मारा
रिक्शा चलाता था
दो जून की रोटी भी
मुश्किल से कमाता था
बढ़ते-बढ़ते बढ़ गया
मकान का किराया
कर्ज बन कर चढ़ गया,
तंग आकर सेठजी ने बुलाया
सिर पर पाँव रख प्रभु
दौड़ा-दौड़ा आया

क्यों भई प्रभु
क्या कर रहा है
मालूम भी है तुझपे
किराया कितना चढ़ रहा है
प्रभु बोला सेठजी
क्या बतलाऊँ
दाल-रोटी का जुगाड
मुश्किल से कर पाता हूँ
आजकल परिवार को
यही खिला पाता हूँ
सेठजी गुस्साये...
जोर से चिल्लाये
क्या बे!
नब्बे रूपये किलो की दाल खाता है
पैसे नही हैं कहकर उल्लू बनाता है
प्रभु बेचारा
अपनी ही बात में फ़ंस गया
जीभ को जैसे साँप डस गया
फ़िर भी साहस जुटा कर
बोला
अन्नदाता माईबाप
मेरा कुसूर बतलायें आप?
ये तो है प्रभु की माया
वरना मुझ गरीब ने
 क्या था कमाया...
सेठजी गुस्से से हो गये लाल
चिल्लाये..
ओ नमकहराम प्रभुदयाल
माया का नाम लेते शर्म नही आती
जिस थाली में खाया
उसी में छेद किया
मालकिन का नाम भी
तूने बेअदबी से लिया
प्रभु आफ़त का मारा
फ़िर पिट गया बेचारा

अब तो प्रभु ने
हाथ जोड़ दिये
पाँव पकड़ लिये
पर सेठजी अडे रहे
अपनी बात पर डटे रहे
प्रभु ने भी हार न मानी
बात मनवाने की ठानी

सेठजी के पास आकर
बोला फ़ुस्फ़ुसाकर
सेठजी काहे बात बढ़ा रहे हैं
मुझ गरीब से मुँह लड़ा रहे हैं,
आप शान्ति के साथ बैठकर भी
कर सकते हैं बात
अब तो सेठजी
शर्म से हो गये लाल
कहीं सेठानी न कर दे बवाल
जब खुलने लगी पोल
बोले प्रभु धीरे से बोल
नौकरानी से बात करवायेगा
खुद पिटेगा मुझे भी पिटवायेगा

प्रभु जोर से बोला
सरकार...
अपनी जान बचाइये
सेठानी सब सुन रही है
भाग जाईये...
अबके सेठानी ने
जोर की लात जमाई
सेठ के साथ हो गई
प्रभु की भी पिटाई
भागते-भागते चिल्लाया
लो आज तो
चने  के साथ घुन भी पिस गया।

39 comments:

  1. मजेदार, मुहावरे का प्रयोग अब कभी नहीं ..

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  2. हा-हा-हा बढिया प्रयोग , मजा आया, प्रणाम

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  3. अरे क्‍या हो गया आपको ??
    वैसे तबियत खराब के बावजूद हंसा रही हैं सबको .. कमाल है !!

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  4. बेहतरीन....


    तबीयत को क्या हुआ? शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना....

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  5. वाह बहुत खूब!
    अच्छा लिखा है आपने!

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  6. तबियत खराब है और मुहावरों का प्रयोग ज़बरदस्त है ... :):) बढ़िया हास्य

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  7. धन्यवाद सुनील जी,अंतर सोहिल, संगीता पुरी जी, संगीता स्वरूप जी, समीर भाई शास्त्री जी, कविता जी।

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  8. समीर भाई कई दिन हो गये सर्दी लगी और बुखार खाँसी हो गया मगर ठीक होने का नाम ही नही ले रहा।

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  9. हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक है :) यही आजमा रही हैं क्या?

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  10. meri tabiye ise padh kar acchhi ho gayi . ummeed hai apki likh kar acchhi ho gayi hogi. :)

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  11. हा हा हा ! कविता तो मज़ेदार है जी .

    गर्मी के मौसम में सर्दी लगे
    और खांसी हो जाए
    तो डॉक्टर के पास क्यों न जाएँ .

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  12. हा...हा...हा....
    बहुत ही बढ़िया....मजेदार...
    मैं भी मुहावरों का बहुत प्रयोग करता हूँ ...ऊप्स!...सॉरी...करता था...
    अब सोचना पड़ेगा.. :-)

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  13. वाह खराब तबियत मे ये हाल है तो सही मे क्या होगा………।

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  14. हा हा हा हा ...कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें...

    नीरज

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  15. मामला शांति का था इसलिए ठंडा हो गया
    हा हा प्रभुदयाल बच गया और सेठ पिट गया।

    शांति कीजै प्रभु त्रिभुवन में
    जल में थल में नील गगन में
    अंतरिक्ष और अग्नि पवन में
    शांति कीजै प्रभु त्रिभुवन में

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  16. सेठ जी की बीवी से पिटाई हो गयी.. ये तो एक विडम्बना है, इसमे हास्य कहां?

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  17. आकाश जी आपको हँसी न आने का कारण कहीं कुछ ओर तो नही...:)

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  18. बहुत ही मज़ेदार:)

    Get well soon.

    सादर

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  19. वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ..बधाई के साथ शुभकामनाएं ।

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  20. बहुत सुंदर प्रस्तुति/ आपने जो लिखा बहुत अच्छा लिखा /मुहावरों के साथ हास्य का सयोंजन मजा आ गया पढ़कर /बधाई आपको/जल्दी स्वस्थ हो जाइये यही दुआ है /




    please visit my blog.thanks.

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  21. सुनीता जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ...हलचल का आभार ...हसांना हर किसी के बस की बात नहीं है ...इतना कोमल हास्य .....बहुत मज़ा आया पढ़कर .....आप शीग्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें ...प्रभु से प्रार्थना है ...हाहा ..इस रचना के नायक से नहीं..असली नायक से ....!!
    ऐसे ही हसी के फव्वारे छोडती रहें ..
    शुभकामनायें ....

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  22. सुनीता शानू said...
    आकाश जी आपको हँसी न आने का कारण कहीं कुछ ओर तो नही...:)

    *****
    सम्भव है. लेकिन कारण वो नही है जो आप सोच रही हैं

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  23. आपकी किसी रचना की हलचल है ,शनिवार (२३-०७-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ...!!कृपया आयें और अपने सुझावों से हमें अनुग्रहित करें ...!!

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  24. वाह सुनीता क्या बात है मजेदार,परन्तु अफ़सोस कि बेचारे सेठ जी की पिटाई हो गयी। बधाई के साथ शुभकामनाएं।

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  25. This comment has been removed by the author.

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  26. कविता और उसके भाव तो अच्छे हैं । सर्दी -जुकाम चाहे किसी मौसम का हो उससे बचने का सर्वोत्तम उपाय है-5 या 7 पट्टियाँ तुलसी की ले और 3 या 5 दाने काली मिर्च के तथा थोड़ी सी अदरक सब को कूट कर भिगो दें एवं एक केपी पानी मे चौथाई रहने तक उबाले -सोते समय मीठा या फीका पी लें । 2-3 दिन मेन पूर्ण लाभ होगा।

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  27. कल 25/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  28. मजेदार । गेहूं के सात घुन भी पिस गया । हा हा हा ।

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  29. बहुत ही बढ़िया....मजेदार...

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  30. आपका जन्मदिन 06 अगस्त आप सब को मुबारक हो। हम आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करते हैं।

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  31. Aapko janamdin kee bahut bahut haardik shubhkamnayen!

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  32. This comment has been removed by the author.

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य