वैसे तो कुछ दिन से तबीयत ठीक नही फ़िर भी सोचते हैं आपको अपने साथ-साथ क्यों रूलायें थोड़ा हम भी हँस लें, थोड़ा आपको भी हँसाये...:)
शीर्षक है मुहावरों की मार( कविता का नायक है प्रभुदयाल, आज प्यारेलाल छुट्टी पर गया हुआ है)
बात-बात पर प्रभुदयाल
खाता था मार
जबसे मुहावरों का
चढ़ा उसे बुखार,
करता क्या बेचारा
आफ़त का था मारा
रिक्शा चलाता था
दो जून की रोटी भी
मुश्किल से कमाता था
बढ़ते-बढ़ते बढ़ गया
मकान का किराया
कर्ज बन कर चढ़ गया,
तंग आकर सेठजी ने बुलाया
सिर पर पाँव रख प्रभु
दौड़ा-दौड़ा आया
क्यों भई प्रभु
क्या कर रहा है
मालूम भी है तुझपे
किराया कितना चढ़ रहा है
प्रभु बोला सेठजी
क्या बतलाऊँ
दाल-रोटी का जुगाड
मुश्किल से कर पाता हूँ
आजकल परिवार को
यही खिला पाता हूँ
सेठजी गुस्साये...
जोर से चिल्लाये
क्या बे!
नब्बे रूपये किलो की दाल खाता है
पैसे नही हैं कहकर उल्लू बनाता है
प्रभु बेचारा
अपनी ही बात में फ़ंस गया
जीभ को जैसे साँप डस गया
फ़िर भी साहस जुटा कर
बोला
अन्नदाता माईबाप
मेरा कुसूर बतलायें आप?
ये तो है प्रभु की माया
वरना मुझ गरीब ने
क्या था कमाया...
सेठजी गुस्से से हो गये लाल
चिल्लाये..
ओ नमकहराम प्रभुदयाल
माया का नाम लेते शर्म नही आती
जिस थाली में खाया
उसी में छेद किया
मालकिन का नाम भी
तूने बेअदबी से लिया
प्रभु आफ़त का मारा
फ़िर पिट गया बेचारा
अब तो प्रभु ने
हाथ जोड़ दिये
पाँव पकड़ लिये
पर सेठजी अडे रहे
अपनी बात पर डटे रहे
प्रभु ने भी हार न मानी
बात मनवाने की ठानी
सेठजी के पास आकर
बोला फ़ुस्फ़ुसाकर
सेठजी काहे बात बढ़ा रहे हैं
मुझ गरीब से मुँह लड़ा रहे हैं,
आप शान्ति के साथ बैठकर भी
कर सकते हैं बात
अब तो सेठजी
शर्म से हो गये लाल
कहीं सेठानी न कर दे बवाल
जब खुलने लगी पोल
बोले प्रभु धीरे से बोल
नौकरानी से बात करवायेगा
खुद पिटेगा मुझे भी पिटवायेगा
प्रभु जोर से बोला
सरकार...
अपनी जान बचाइये
सेठानी सब सुन रही है
भाग जाईये...
अबके सेठानी ने
जोर की लात जमाई
सेठ के साथ हो गई
प्रभु की भी पिटाई
भागते-भागते चिल्लाया
लो आज तो
चने के साथ घुन भी पिस गया।
मजेदार, मुहावरे का प्रयोग अब कभी नहीं ..
ReplyDeleteहा-हा-हा बढिया प्रयोग , मजा आया, प्रणाम
ReplyDeleteअरे क्या हो गया आपको ??
ReplyDeleteवैसे तबियत खराब के बावजूद हंसा रही हैं सबको .. कमाल है !!
बेहतरीन....
ReplyDeleteतबीयत को क्या हुआ? शीघ्र स्वास्थय लाभ की कामना....
वाह बहुत खूब!
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने!
तबियत खराब है और मुहावरों का प्रयोग ज़बरदस्त है ... :):) बढ़िया हास्य
ReplyDeletebahut badiya prastuti...
ReplyDeleteधन्यवाद सुनील जी,अंतर सोहिल, संगीता पुरी जी, संगीता स्वरूप जी, समीर भाई शास्त्री जी, कविता जी।
ReplyDeleteसमीर भाई कई दिन हो गये सर्दी लगी और बुखार खाँसी हो गया मगर ठीक होने का नाम ही नही ले रहा।
ReplyDeleteहंसना स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक है :) यही आजमा रही हैं क्या?
ReplyDeletemeri tabiye ise padh kar acchhi ho gayi . ummeed hai apki likh kar acchhi ho gayi hogi. :)
ReplyDeleteहा हा हा ! कविता तो मज़ेदार है जी .
ReplyDeleteगर्मी के मौसम में सर्दी लगे
और खांसी हो जाए
तो डॉक्टर के पास क्यों न जाएँ .
हा...हा...हा....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया....मजेदार...
मैं भी मुहावरों का बहुत प्रयोग करता हूँ ...ऊप्स!...सॉरी...करता था...
अब सोचना पड़ेगा.. :-)
majedar...
ReplyDeleteवाह खराब तबियत मे ये हाल है तो सही मे क्या होगा………।
ReplyDeleteहा हा हा हा ...कमाल की रचना...बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
मामला शांति का था इसलिए ठंडा हो गया
ReplyDeleteहा हा प्रभुदयाल बच गया और सेठ पिट गया।
शांति कीजै प्रभु त्रिभुवन में
जल में थल में नील गगन में
अंतरिक्ष और अग्नि पवन में
शांति कीजै प्रभु त्रिभुवन में
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 21 - 07- 2011 को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज- उसकी आँखों में झिल मिल तारे -
सेठ जी की बीवी से पिटाई हो गयी.. ये तो एक विडम्बना है, इसमे हास्य कहां?
ReplyDeleteआकाश जी आपको हँसी न आने का कारण कहीं कुछ ओर तो नही...:)
ReplyDeleteबहुत ही मज़ेदार:)
ReplyDeleteGet well soon.
सादर
वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ..बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति/ आपने जो लिखा बहुत अच्छा लिखा /मुहावरों के साथ हास्य का सयोंजन मजा आ गया पढ़कर /बधाई आपको/जल्दी स्वस्थ हो जाइये यही दुआ है /
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
सुनीता जी पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ...हलचल का आभार ...हसांना हर किसी के बस की बात नहीं है ...इतना कोमल हास्य .....बहुत मज़ा आया पढ़कर .....आप शीग्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें ...प्रभु से प्रार्थना है ...हाहा ..इस रचना के नायक से नहीं..असली नायक से ....!!
ReplyDeleteऐसे ही हसी के फव्वारे छोडती रहें ..
शुभकामनायें ....
स्वस्थ हास्य , मजेदार.
ReplyDeleteसुनीता शानू said...
ReplyDeleteआकाश जी आपको हँसी न आने का कारण कहीं कुछ ओर तो नही...:)
*****
सम्भव है. लेकिन कारण वो नही है जो आप सोच रही हैं
आपकी किसी रचना की हलचल है ,शनिवार (२३-०७-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ...!!कृपया आयें और अपने सुझावों से हमें अनुग्रहित करें ...!!
ReplyDeleteवाह सुनीता क्या बात है मजेदार,परन्तु अफ़सोस कि बेचारे सेठ जी की पिटाई हो गयी। बधाई के साथ शुभकामनाएं।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete<"http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/>
ReplyDeleteकविता और उसके भाव तो अच्छे हैं । सर्दी -जुकाम चाहे किसी मौसम का हो उससे बचने का सर्वोत्तम उपाय है-5 या 7 पट्टियाँ तुलसी की ले और 3 या 5 दाने काली मिर्च के तथा थोड़ी सी अदरक सब को कूट कर भिगो दें एवं एक केपी पानी मे चौथाई रहने तक उबाले -सोते समय मीठा या फीका पी लें । 2-3 दिन मेन पूर्ण लाभ होगा।
ReplyDeleteकल 25/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
मजेदार । गेहूं के सात घुन भी पिस गया । हा हा हा ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया....मजेदार...
ReplyDeleteआपका जन्मदिन 06 अगस्त आप सब को मुबारक हो। हम आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करते हैं।
ReplyDeleteAapko janamdin kee bahut bahut haardik shubhkamnayen!
ReplyDeletebahut majedaar ...bahut acha laga..
ReplyDeletebahut hi mazedar...........
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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