गूगल से साभार
करामाती इंजेक्शन
होटल के एक कमरे में प्यारे लाल ठहरे
अभी आये भी नही थे उन्हे
खर्राटे गहरे
कि इतने में आवाज सुनी
किसी के रोने की
किसी के सिससने की
किसी के दर्द से कलपने की
साँप के फ़ुफ़कारने की फ़िर-
हल्की सी घुटी-घुटी एक चीख आई
डर के प्यारे लाल ने बत्ती जलाई
और जोर से चिल्लाये
कौन है भाई?
ये होटल है या भूत प्रेत का डेरा
आवाज सुन कर दौड़ता आया बेयरा
साहब क्या लाऊँ फ़रमाया
इतनी रात क्यों हमे जगाया
गुस्से में प्यारे लाल लाल हुए
बोले-
कैसा ये होटल है बतलाओ
क्या हो रहा इतनी रात समझाओ
वरना मै अभी पुलिस बुलाऊँगा
तुम सबको हवा जेल की खिलवाऊँगा
वेटर जो चुप खड़ा था
जोर से हँस दिया
प्यारे लाल ने गुस्से मे आ झापड़ जड़ दिया
कमबखत हमारा मजाक उड़ाता है
देर रात मुसाफ़िरों को डराता है
वेटर बोला लगता है आप
नही जानते कुछ माई बाप
नही यहाँ होता है कोई पाप
नही बगिया में है कोई साँप
ये तो इंजेक्शन का कमाल है
तभी तो कच्चा टमाटर भी हो जाता लाल है
सेब आम पपीते लौकी तुरई खीरे
जो खायेंगे आप सवेरे
ये करामाती इंजेक्शन
एक रात में करामात दिखलाता है
नवजात शिशु को ताकतवर बनाता है
प्यारे लाल झल्लाये
दिल किया एक इंजेक्शन इसे भी लागायें
फ़ल सब्जियां क्या इसान भी अब कृत्रिम हो गया है
दवाओ से फ़लता-फ़ूलता है दवाएं ही खाता है
विज्ञान का चमत्कार
परखनली का इंसान
भगवान की बनाई सृष्टि का
बन बैठा भगवान।
सुनीता शानू
बहुत सटीक और सार्थक व्यंग
ReplyDeleteबहुत सार्थक व्यंग|
ReplyDelete:) बढ़िया ..
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
परखनली का इंसान .....बन बैठा भगवान. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई हो
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य से परिपूर्ण चुटीली कविता है, इंजेक्शन की महिमा के सहारे इंजेक्शनवालों (कृत्तिमता) पर प्रहार.
ReplyDeleteधन्यवाद.
achcha vyang hai.
ReplyDeleteबहुत धारदार व्यंग्य है!
ReplyDelete--
भारत के पूर्व राष्ट्रपति
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिन
शिक्षकदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
kya baat hai..
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteक्या सुन्दर तरीके से शब्दों में पिरोया है आपने मन की बात को ।
एकदम सन्नाट!!
ReplyDeleteBahoot hi gahara vyang hai...
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 7- 9 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह क्या शाददार याद दिलाई है उस इंजेक्शन की..कहीं ये कविता पढ़कर कोई अपने बच्चे को नहीं लगा दे....हीहीहीहहीहीही........एक महीने बाद आपको आपके जन्मदिन की बधाई..अच्छा है जी हम बीबी के कहर से बचे गए.........अकेला मस्त राम सही है हम तो जी.....
ReplyDeleteपर सन्नाटा तोड़ती रहिए..पिछली बार खुद शिकायत की फिर एक महीने बाद आईं..
ReplyDeleteसुदंर व्यंग्य।
ReplyDeleteबहुत सटीक !!
ReplyDeleteसुंदर हास्य रचना व्यंग का पुट लिए ..... मज़ा आ गया ...
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/2010/09/270.html
ReplyDeleteyahan bhi apni post dekhen
achcha hai...achcha hai...
ReplyDeletesundar hasye, aur jordar vyang
ReplyDeletebadhai
सुंदर हास्य और खतरनाक व्यंग्य,
ReplyDeleteआप के खजाने से निकाल तक इस नगीने को हम तक पहुंचाने के लिए यशवंत भाई का बहुत बहुत आभार
्शानदार व्यंग्य्।
ReplyDeletebahut hi achchi prastuti.
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