गुगल से साभार स्पेशल केक मँगाया है आपके लिये बस खाते जाईये....
पत्नी बोली पतिदेव जी तुम पर भारी पड़ जाँऊगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाऊँगी।
दफ़्तर की खींचा तानी से जब थककर घर को आओगे,
एक चाय की प्याली भी तुम अपने हाथ बनाओगे।
कौन पिलायेगा फ़िर तुमको चाय वो अदरक वाली,
एक हाथ से प्यारे मोहन नही बजती है ताली।
चुन्नू,मुन्नू बंटी को भी सौप तुम्हे ही जाँऊगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाँऊगी।
टूटे पड़े बटन शर्ट के ये पतलून भी फ़टी हुई,
कौन धोयेगा गंदे कपड़े धोबन भी छुट्टी गई,
ढूँढ न पाओगे रखा कहाँ है कुर्ता और पाजामा,
आज पड़ेगा प्यारे तुमको ऎसे ही दफ़्तर जाना,
कपड़ो की अलमारी पर भी मै ताला कर जाऊँगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाऊंगी।
आलू गोभी,लौकी,बैंगन सब तुमको नाक चिड़ायेंगे,
बिना पकाये ये सारे तो ऎसे ही सड़ जायेंगे,
नही पकेगी दाल मूँग की कड़वा करेला खाओगे,
बच्चों के संग होटल जा अपनी जान बचाओगे,
बचे हुए जो घी के लड्डू वो भी साथ ले जाऊँगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाँऊगी।
टेबल पर बरतन पड़े हैं रखा है झूठा अचार,
लीची लुड़की फ़र्श पर और सोफ़े पर अखबार,
मित्रों को बुलाकर जो घर में दंगल मचाओगे,
बर्तन भी खुद रगड़ोगे चोट दिल पर खाओगे,
सच कहती हूँ अबके गई तो नानी याद दिलाऊँगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मै मायके चली जाऊँगी।
सुनीता शानू
क्या धमकी भरी कविता है ! मान गये रंजू जी, शायद पतिदेव भी मान ही गये होंगे ।
ReplyDeleteजनमदिन का केक बडा बढिया था । मुबारकाँ जी मुबारकाँ
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी लगी... पढते पढते ख्याल आया की बिलकुल सच्ची बातें लिखी हैं अगर पत्नियाँ मायके चली जाए तो हम पतियों का क्या हो!
अरे वाह!! जन्म दिन की बहुत मुबारकबाद और शुभकामनाएँ. पार्टी जरा नोट करके रखी जाये दिसम्बर के लिए. :)
ReplyDeleteजन्मदिन की घणी घणी बधाई
ReplyDeleteढेर सारी शु्भकामनाएं
हा हा हा हा हा हा ...सबसे पहले तो जन्म दिन की ढेरों बधाइयाँ...कोई अपने जन्म दिन पर भी मैके जाता है? कैसी बातें कर रही हैं...मैके कल जाइयेगा आज पार्टी में जाइये और खूब मौज मस्ती कीजिये...मैके के लिए तो साल भर पड़ा है....बहुत ही मजेदार रचना लिखी है आपने...बधाई...
ReplyDeleteहाँ केक वाकई स्वादिष्ट है...थोडा सा और लेलूं?
नीरज
सबसे पहले तो जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ ...इतना स्वादिष्ट था केक कि मजा आ गया :)
ReplyDeleteफिर कविता वो भी इतनी धमकी भरी ...हा हा ...अब तो पार्टी देनी पड़ेगी..
आशा जी,राजीव जी,समीर भाई, ललीत जी एवं नीरज जी आप सभी को मेरा नमास्कार। यहाँ आने केक खाने और कविता सुनने के लिये धन्यवाद। और आशा जी आप तो लगता है रंजू जी को बहुत मिस करती हैं:)
ReplyDeleteकेक वाकई स्वादिष्ट है, खत्म ही नहीं हुन्दा :-)
ReplyDeleteजनमदिन वाले दिन धमकी, ये अच्छी बात नहीं है
हा हा
मुझे खबर ही नहीं थी। खैर, अब आपके जनमदिन को कैलेंडर में जोड़ लिया गया है
बधाई व शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसुनीता जी,
आरजू चाँद सी निखर जाए।
जिंदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आप को जन्म् दिन की बहुत बहुत बधाई, ओर देखो हम ने आप की सुंदर कविता मन लगा कर पढी है अब जल्दी से एक असली केक भी चाय के संग खिला दो, अरे चाच ओर केक फ़्रिज मै रख दो जब कभी आये तो खा लेगे. धन्यवाद
ReplyDeleteदेर से पहुचने के लिए क्षमा,
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनांए.
हास्य कविता के लिए धन्यवाद।
जन्मदिन की बधाई और इतनी मजेदार कविता के लिए धन्यवाद कविता तो याद करके रखनेवाली है आगे हमें भी अपनी बात मनवाने के काम आएगी कॉपी राइट का केश तो ना कीजियेगा |
ReplyDeleteder se aaya lekin happy wala bday hai jee. mithaai udhar rahi, apan cake nai khate ;)
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनाऍं । धमकियों के साथ केक भी खिलाओ जी।
ReplyDeleteजमाना तो है नौकर बीबी का!
ReplyDeleteजन्म-दिवस पर आपके, देता हूँ आशीष।
ReplyDeleteपल-पल, क्षण-क्षण आपका, भला करें जगदीश।।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. केक बडा स्वादिष्ट और कविता बहुत ही चटपटी और कुरकरी लगी. जन्मदिन पर केक के साथ इस कविता का लाजवाब कंबिनेशन किया आपने.
ReplyDeleteपुन: बहुत बहधाई औरत बहुत शुभकामनाएं.
रामराम
आप जियें हज़ारों साल...साल के दिन हों पचास हज़ार...जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ ...
ReplyDeleteकविता बहुत बढ़िया रही...मजेदार
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. केक बडा ही स्वादिष्ट है और कविता बहुत ही चटपटी और मजेदार है ! हम ने भी जन्मदिन पर केक बनाया ओर खाया बहुत ही बढिया था पर तुम्हारे केक से थोडा छोटा था !तुम्हारी कमी भी बहुत खली हमे भी ओर केक को भी......
ReplyDeleteपत्नियाँ मायके चली जाए तो इन पतियों का क्या होगा? कविता ने तो पतियों को डरा हीदियाहोगा!
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. केक बडा ही स्वादिष्ट है और कविता बहुत ही चटपटी और मजेदार है ! हम ने भी जन्मदिन पर केक बनाया ओर खाया बहुत ही बढिया था पर तुम्हारे केक से थोडा छोटा था !तुम्हारी कमी भी बहुत खली हमे भी ओर केक को भी......
ReplyDeleteपत्नियाँ मायके चली जाए तो इन पतियों का क्या होगा? कविता ने तो पतियों को डरा हीदियाहोगा!
ek zordaar dhamaake ke sath wapisee....
ReplyDeletemany heartiest congratulations for your haapy happy Birhday... and for your coming back to the world of poetry...
aap ke samman me ek programme rakhana chahate hain...
kulwant
आलू गोभी,लौकी,बैंगन सब तुमको नाक चिड़ायेंगे,
ReplyDeleteबिना पकाये ये सारे तो ऎसे ही सड़ जायेंगे,
नही पकेगी दाल मूँग की कड़वा करेला खाओगे,
बच्चों के संग होटल जा अपनी जान बचाओगे,
बचे हुए जो घी के लड्डू वो भी साथ ले जाऊँगी,
अगर न मानी बात मेरी तो मायके चली जाँऊगी।
सुनीता शानूजी,
कितनी कुशलता से आप शब्द और छंद संयोजन कर लेती हैं। बहुत बहुत साधुवाद और बधाइयां। प्रायः ऐसा कौशल कम ही देखने मिलता है।
सुनीता जी!
ReplyDeleteकभी नहीं से देर भली....
जन्म दिन की अनंत-अशेष बधाई. आपने तो आधा किस्सा ही बताया है, पूरा किस्सा तो यह था.
पत्नी जी के जन्म दिवस पर, पति जी थे चुप-मौन.
जैसे उन्हें न मालूम है कुछ, आज पधारा कौन?
सोचा तंग करूँ कुछ, समझीं पत्नी: 'इन्हें न याद.
पल में मजा चखाती हूँ,भूलेंगे सारा स्वाद'..
बोलीं: 'मैके जाती हूँ मैं, लेना पका रसोई.
बर्तन करना साफ़, लगाना झाड़ू, मदद न कोई..'
पति मुस्काते रहे, तमककर की पूरी तैयारी.
बाहर लगीं निकलने तब पति जी की आयी बारी..
बोले: 'प्रिय! मैके जाओ तुम, मैं जाता ससुराल.
साली-सासू जी के हाथों, भोजन मिले कमाल..'
पत्नी बमकीं: 'नहीं ज़रुरत तुम्हें वहाँ जाने की.
मुझे राह मालूम है, छोडो आदत भरमाने की..'
पति बोले: 'ले जाओ हथौड़ी, तोड़ो जाकर ताला.'
पत्नी गुस्साईं: 'ताला क्या अकल पे तुमने डाला?'
पति बोले : 'बेअकल तभी तो तुमको किया पसंद.'
अकलवान तुम तभी बनाया है मुझको खाविंद..''
पत्नी गुस्सा हो जैसे ही घर से बाहर निकलीं.
द्वार खड़े पीहरवालों को देख तबीयत पिघली..
लौटीं सबको ले, जो देखा तबियत थी चकराई.
पति जी केक सजा टेबिल पर रहे परोस मिठाई..
'हम भी अगर बच्चे होते', बजा रहे थे गाना.
मुस्काकर पत्नी से बोले: 'कैसा रहा फ़साना?'
पत्नी झेंपीं-मुस्काईं, बोलीं: 'तुम तो हो मक्कार.'
पति बोले:'अपनी मलिका पर खादिम है बलिहार.'
साली चहकीं: 'जीजी! जीजाजी ने मारा छक्का.
पत्नी बोलीं: 'जीजा की चमची! यह तो है तुक्का..'
पति बोले: 'चल दिए जलाओ, खाओ-खिलाओ केक.
गले मिलो मुस्काकर, आओ पास इरादा नेक..
पत्नी ने घुड़का: 'कैसे हो बेशर्म? न तुमको लाज.
जाने दो अम्मा को फिर मैं पहनाती हूँ ताज'..
पति ने जोड़े हाथ कहा:'लो पकड़ रहा मैं कान.
ग्रहण करो उपहार सुमुखी हे! आये जान में जान..'
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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
sundar dhamkee. bahut khoob.
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