सोचती हूँ
फ़ैसला हो जाये अब तो
कैसा फ़ैसला?
जो सबका रखवाला है
नही करेगा अपनी रखवाली
सौप देगा कैसे
जन्मभूमि अपनी
रक्षक तो वही एक है
तो वही करेगा
वही करेगा
फ़िर भी आने दो फ़ैसला
कैसा फ़ैसला?
साच को आँच कैसी
हर घड़ी अग्नि-परीक्षा कैसी
टूटेगा कब तक
विश्वास राम का
लेने दो फ़िर भी
जिसके हक में हो फ़ैसला
फ़िर वही... फ़ैसला!
कैसा फ़ैसला?
तुमसे नही माँगा जब कुछ
मेरा मुझे सौंपने में
अब विलम्ब क्यूं
राम जाने
रामदीन का
कब होगा निपटारा
अलादीन से
दोनो बंदे
एक दीन के
फ़िर जाने अब
क्या होगा फ़ैसला
फ़िर वही रट
बचकानी बात
कैसा फ़ैसला???
ha..ha..ha..
ReplyDeletegreat sensitivity...
an admirer
शुक्रिया कुलवंत जी आपने पढ़ा और समझा। वैसे २८ लोगो ने पढ़ा चिट्ठाजगत पर किन्तु अधिकतर लोग वह पढ़ते है जहाँ बवाल हो। सभी का शुक्रिया।
ReplyDeleteदेखिये अपने को बचा ही लिया राजा राम ने ....
ReplyDeleteअच्छी रचना.
ReplyDeleteलीजिए आ गया फैसला.
आ गया फैसला
ReplyDelete-
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बच्चो के उत्साहवर्धन हेतु एक लघु प्रयास, कृपया आप अवश्य पधारे :
मिलिए ब्लॉग सितारों से
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletemast, ekdam sahi.
ReplyDeletelijiye dharm ke veer ne ram lala ka faislaa de hi diya na....
राम जाने
ReplyDeleteरामदीन का
कब होगा निपटारा
अलादीन से
दोनो बंदे
एक दीन के
फ़िर जाने अब
क्या होगा फ़ैसला
फ़िर वही रट
बचकानी बात
बहुत अच्छी प्रस्तुति !
आदरणीया सुनीता शानू जी
ReplyDeleteफ़ैसला आ भी गया , सच साबित हो भी गया …
लेकिन फिर भी धर्मखाते में अपने हिस्से में से राजी राजी राम ने निकाल कर दे दिया है …
दसों दिशाओं में गूंजायमान हो रहा है …
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सच में बचकानी बात्!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeletebeshaq bahut hi sundar bat keh di appne, ab kaisa faisla
ReplyDeletebadhai
बहुत अच्छी रचना है .................. राम चन्द्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आएगा, मेरा जन्म कहा हुआ है हाई-कोर्ट बताएगा
ReplyDeletebahut badiya kavita! achha laga aapke blog pe aakar
ReplyDeleteराजा राम ने अपनी जगह तो बचा ही ली । अब आगे लडाई न हो किसी भी बात पर । आखिर अयोध्या के लोगों को भी हक है शांति से मेहनत करते हुए जीने का ।
ReplyDeleteक्या करें, आपके ब्लॉग पर आने का मौका तब मिला, जब फैसला आ चुका है। अब क्या कहें, तब आए होते तो कुछ अवश्य कह जाते। अब तो बस इतना सा अनुरोध है कि नियमित बनी रहिए। आपने कविता के माध्यम से जो संदेश दिया है वह दिल में उतर गया है। आगे भी अपनी लेखनी को जारी रखने का प्रयास करिए। गैपिंग कुछ ज्यादा ही हो गयी है। हम आपकी नई रचना का इंतजार कर रहे हैं- आपका एक नया फॉलोअर...
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