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एक छोटा सा शहर जबलपुर... क्या कहने!!! न न न लगता है हमे अपने शब्द वापिस लेने होंगे वरना छोटा कहे जाने पर जबलपुर वाले हमसे खफ़ा हो ही जायेंगे....
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सबसे पहले आप सभी को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें... कुछ हॉस्य हो जाये... हमने कहा, जानेमन हैप्पी न्यू इयर हँसकर बोले वो सेम टू यू माई डिय...
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bahut hi badiya sunita ji. jindagi ki sachhai phool or kanton ki jubani. sadhuvad.
ReplyDeletekabhi mere blog (meridayari.blogspot.com)par bhi daura karen.
बहुत बढिया रचना है।सुख के साथ दुख तो रहता है।बहुत सुन्दर कहा है_
ReplyDelete"गुलाब सी खूबसूरत
महक ही देखी मगर
न देख पाई
गुलाब की हिफ़ाजत करते
उन बेहिसाब काटों को..."
बेहिसाब काटों का...क्या बात है
ReplyDeleteसुनीता शानू जी
ReplyDeleteअभिवंदन
आज आपका ब्लॉग पहली बार देखा
पहली बार आपकी रचना " जिन्दगी " के रूप में पढने का सौभाग्य मिला.
निश्चित रूप से महकती हुई रचना में दुःख रूपी कांटे दिल को दुखी करते
प्रतीत हुए.
एक भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए बधाई.
आपका
डॉ विजय तिवारी " किसलय "
जबलपुर म. प्र.
और सच भी यही है !बहुत बढिया रचना !
ReplyDeletebahut sundar
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना ...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteBahut kamaal ke vichar...aksar hum ytharth se muhn mod lete hain...
ReplyDeleteneeraj
"खाली बरतन सी जिंदगी" अच्छा लगा |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
न देख पाई
ReplyDeleteगुलाब की हिफ़ाजत करते
उन बेहिसाब काटों को..."
bahut khoob.... kya baat hai
बहुत अच्छे !
ReplyDeleteरात है....तभी दिन का एहसास है
ReplyDeleteदुख हैँ...तभी सुख का मज़ा भी है
बुराई है...तभी अच्छाई भी है...
सार्थक कविता
गुलाब की हिफाजत करने वाले कांटो को न देख पाना =बहुत गहरी बात कहदी जो हमारे घर दे बुजुर्गों पर भी और देश के रक्षकों पर भी लागू होती है
ReplyDeletedear madam,
ReplyDeletei came first time to your blog and read the posts , this one is very impressive . and I enjoyed the poem
Pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
Vijay
जब हम को खालीपन का एहसास हो जाता है तो वह हमें पूर्णता की ओर ले जाने का जरिया बन जाता है.
ReplyDeleteसस्नेह -- शास्त्री
बहुत ही सुंदर रचना का रसास्वादन आपने कराया सुनीताजी!...धन्यवाद!
ReplyDeleteसच है कि जूही के फूलों की महक में हम गुलाब के काँटों को भूल जाते है...
ReplyDeleteवैसे मुझे आपके ब्लॉग के नाम ने ही यहाँ तक खीच लिया...
बहुत ही खुबसूरती से लिखी है यह रचना बहुत ही सुंदर और ऊपर फोटो सोने पे सुहागा बधाई हो
ReplyDeleteकाबिलेतारीफ बेहतरीन
ReplyDeletepahli baar padha ..bahut achcha laga ..zindgi ke kareeb...
ReplyDeleteकाँटों के बीच
ReplyDeleteहोते हुए भी
गुलाब मन को
लुभाते हैं
सुन्दर कविता ,
और क्या लिखूं