चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Friday, September 5, 2008

और मै रूठ पाऊँ...



चिट्ठाजगत
-हर रोज-
-दिन निकलने के साथ-
-मेरे पास होते हैं कई सवाल-
-तुम्हारे लिये-
-खोज-खोज कर-
-सहेज लेती हूँ उन्हे-
-कि तुम्हारे कुछ कहने से पहले ही-
-पूछूंगी तुमसे-
-उन सवालों के जवाब-
-परंतु मेरे कुछ कहने से पहले ही-
-तुम समझ जाते हो-
-मेरी हर बात-
-और बिन कहे ही-
-रख देते हो जवाबों का पुलिंदा-
-मेरे हाथों में और-
-तुम्हारी मीठी-मीठी-
-बातों का जादू-
-समेट देता है मुझे-
-मेरे शब्दो के साथ-
-चिपक जाती है जीभ तालू में-
-और सोचती हूँ-
-आखिर झगडा़ किस बात पर हो-
-कि तुम मुझे मनाओ-
-और मै रूठ पाऊँ...
सुनीता शानू

22 comments:

  1. आपने बेहतरीन कविता लिखी है सानू।

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  2. Mere kuchh kahne se pahle hi samjh jate ho meri har baat, bahut achhi panktiyan hain, poori kavita uttam hai. Sunitaji badhai swikar karen.

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  3. बहुत खुब...

    रंजन
    aadityaranjan.blogspot.com

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  4. वाह भई क्या बात है? सुनीता जी इस रचना के लिए बधाई ।आपने बहुत अच्छी तरह से अभिव्यक्ति को प्रस्तुत किया है।धन्यवाद

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  5. aapko pahale bhi paDha hai, achchha likhti hain!

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  6. हमेशा की तरह से एक सुन्दर कविता,
    धन्यवाद

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  7. बहुत उम्दा, क्या बात है!

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  8. वाह सुनीता जी
    बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।

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  9. सृजनशीलता कायम रहे ।

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  10. -आखिर झगडा़ किस बात पर हो-
    -कि तुम मुझे मनाओ-
    -और मै रूठ पाऊँ...

    यहाँ पर कविता अपने चरम पर लगी
    अच्छी कविता
    बेहतरीन

    वीनस केसरी

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  11. Aap abhi kaisi hain? Tabiyat kaisi hai..?
    yeh kavita ..bhavon ki itnai saralta ke sath..utkrishtata ka namuna hi nahi hai.. sochane ko mazboor karti hai...
    ek gaana yaad aata hai.. tum roothi raho mai manata rahun...
    jhagada karne ke to bahut se karan hote hain.. kisi bhi bat par jhagad lo...

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  12. जब आपको सब सवालों के जबाब बिना मांगे ही मिल गये तो आप रूठना क्यों चाहती हैं उनसे? ये बात समझ मे नही आई.

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  13. aapne bahut pyara likha hai mmmmmmmmmmooooooooooosssssssssssssssiiiiiiiiiiiiiiiiiii

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  14. अनकहे शब्दो मे बहुत कुछ कह गयी आप
    www.qatraqatra.yatishjain.com

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  15. सादर ब्लॉगस्ते!

    कृपया निमंत्रण स्वीकारें व अपुन के ब्लॉग सुमित के तडके (गद्य) पर पधारें। "एक पत्र आतंकवादियों के नाम" आपकी अमूल्य टिप्पणी हेतु प्रतीक्षारत है।

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  16. मैंने आपकी पाँचों रचनाएं पढी इनमे सबसे ज़्यादा मन पखेरू वाली लगी /परन्तु इसके बाद कोई रचना प्रस्तुत नहीं की /अच्छी रचनाओं का बैसे ही तोबहुत आभाव है और अच्छे साहित्यकार एकदो रचनाये लिख कर बंद कर देते है और पाठक बेचारे सत्साहित्य से बंचित रह जाते है

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  17. बेहतरीन कविता .बधाई स्वीकारें.

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  18. हिन्दी - इन्टरनेट की तरफ से दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

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  19. ऐसा लगता है कि आपका ब्‍लाग जगत से मोहभंग जैसा कुछ हो गया है तभी तो कोई पोस्‍ट नहीं कुछ नहीं ।

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  20. nice written.....
    especially
    "aakhir kis baat par jhagda ho...
    ki tum mujhe manao"...
    congratulations..

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य