आँखों ने आँखों से कह दिया सब कुछ
मगर जुबाँ खामोश रही...
जब दिल ने दिल की सुनी आवाज़
धड़कन खामोश रही...
आँखो के रास्ते दिल में उतरने वाले
ऎ मुसाफ़िर
अब बाहर जा नही सकते
तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई...
सुनीता शानू
मगर जुबाँ खामोश रही...
जब दिल ने दिल की सुनी आवाज़
धड़कन खामोश रही...
आँखो के रास्ते दिल में उतरने वाले
ऎ मुसाफ़िर
अब बाहर जा नही सकते
तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई...
सुनीता शानू
आँखों ने आँखों से जब कहा कुछ
ReplyDeleteजुबाँ खामोश रही...
बहुत सुंदर कविता लगी बधाई
आँखो के रास्ते दिल में उतरने वाले
ReplyDeleteऎ मुसाफ़िर
अब बाहर जा नही सकते
तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई...
bahut hi sundar ehsas hai is kavita ka.simply beautiful.
बेहतरीन!!! उम्दा-क्या बात है!
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteवाह वाह !!
ReplyDeleteक्या खूबसूरती से बयां किया है।
और फोटो भी बहुत ही अच्छी लगी।
अति सुन्दर। बहुत खूब। सच ही कहा है किसी ने कि ये आंखे होती है दिल की ज़ुबान। सुनिता, सच में तुम्हारी हर कविता की अपनी ज़ुबान होती है
ReplyDeleteरमेश
अभिव्यक्ति सुन्दर है
ReplyDeleteसुनीता जी, आपकी यह रचना आकार में बहुत छोटी होते हुए भी संप्रेषण की दृष्टि से एक समग्र व सार्थक रचना है. इस रचना के अभिधेयार्थ में ही इसके समस्त व्यंग्यार्थ भी निहित हैं. शब्द असीम शक्ति के संवाहक होते हैं और उनमें छिपी ऊर्जा का का संसाधन कर पाना एक साधना है. आपकी साधना फलीभूत हो रही है. आपके शब्द अब अपने अर्थ विस्तरित कर निस्सीम नभ में ऊंची परवाज़ करने लगे हैं. आपके ब्लॉग का नाम "मन पखेरू उड़ चला" अब सार्थक व चरितार्थ हो उठा है.
ReplyDeleteएक साहित्यिक किंवदंती है की जो रचनाकार एक सार्थक व सम्पूर्ण बिम्ब व प्रतीक की खोज कर लेता है उसका कवित्व सफल हो जाता है. उसके द्वारा की गई जीवन की व्याख्याएँ दिशा-दर्शन करती हैं. रचनाकार की समग्र रचनाधर्मिता ही इसी आधार पर निर्भर है. आपकी रचना जीवन के एक रूप, पक्ष और आयाम को सुपरिभाषित करने में कामयाब है. अपनी ऊर्जा को बनाए रखें. शुभकामनाओं सहित-
anandkrishan@yahoo.com
चित्र ने आपके
ReplyDeleteसब कुछ कह दिया
आपने जो कहा
तो सब सर्द हो गया
जमाना बेदर्द हो गया.
सुनीता जी वाह कया सुन्दर कविता हे,हर पक्ति दिल के करीब हे, बहुत धन्यवाद
ReplyDelete'अब पलकें बन्द हो गईं' और आपकी कविता दिल में उतर गई... बहुत सुन्दर
ReplyDelete"तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
ReplyDeleteउठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई"...
"तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
ReplyDeleteउठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई"
मोहक रुमानियत लिए है आपकी रचना..
"तुम्हारे प्यार की खुशबू से तृप्त
ReplyDeleteउठती गिरती साँसे देख कर
अब पलके बंद हो गई"
मोहक रुमानियत लिए है आपकी रचना..
shanoo ji, rng bolte hain...bahut der tk dekhta rha...ki sunta rha...kya, kya bataoon ki kya..?
ReplyDeleteबहुत सुंदर चित्र खींचा है आपने शब्दों के माध्यम से. सरल लेकिन मन छू लेने वाली रचना है. बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteआकाश
गोया की .......कविता पढूं या इस चित्र को देखूं ....
ReplyDeleteदोनों अपने आप मे एक कविता है........
चार पंक्तियों में वजन आ गया है..बेहद खूबसूरत..
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