दोस्तों कल एक कविता सुनाने का मौका मिला ...आपके सामने प्रस्तुत है...
आज़ादी की होली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानों ने होली
आज सजा है सर पे उनके बलिदानो का सेहरा
चाँद सितारों से मिलता है नादानों का चेहरा
आँख में आँसू आ जाते है देख के सूरत भोली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानो ने होली
महक उठी है आजादी हर धड़कन हर साँस में
छा गई है मस्ती एसी आज़ादी की आस में
नया सवेरा लाने निकली परवानो की टोली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानो ने होली
मर कर भी जिन्दा रहते है देश पे मिटने वाले
सर पर बाँध कफ़न आये है आज़ादी के मतवाले
आज लगा दी सबने अपने अरमानो की बोली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानो ने होली
आज चले है माँ के प्यारे देश की आन बचाने
जान हथेली पर ले आये आजादी के परवाने
हँसते-हसँते चढ़े फ़ाँसी पर हिम्मत भी न डोली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानो ने होली
सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरू ने जो दिया बलिदान
ऋणी रहेगा सदा तुम्हारा सारा हिन्दुस्तान
नमन उन्हे है जिन वीरो ने खेली खून की होली
पहन वसन्ती चोला निकली मस्तानो की टोली
आजादी की खातिर खेली दिवानो ने होली
सुनीता शानू
सुनीता जी ,देशभक्ति के जज्बात को बहुत ही अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है।
ReplyDeleteबधाई
nishab hun,bahut hi sundar
ReplyDeleteबहुत-बहुत अच्छी कविता।
ReplyDeleteसुनीता जी आपकी कविता ने बिल्कुल उस मंजर को आंखों के सामने कर दिया।
देर से ही सही होली की शुभकानाएं।
shukriya.....isliye kyunki aaj ki peedhi is din ko shayad yad nahi rakh pati hai.....
ReplyDeletehats off to you.
शहीद दिवस पर भावभीनी रचना.
ReplyDelete@ डा. आर्य, नई पीढ़ी के उत्पादक भी तो हम ही हैं.
बहुत धन्यवाद एक अच्छी ओर भावभीनी कविता के लिये,
ReplyDeleteshahido.n ko namam
ReplyDeleteachhi kavita hai. maja aa gaya parhkar..bahut barhiya
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता,बधाई!
ReplyDeleteAre wah bahut khoobsurat likhe hai.. .. bahut khoob.. lazwaab... mubarakbaad deta hun kabool pharmaayen..
ReplyDeletekavi kulwant
अच्छी कविता। बधाई!
ReplyDeleteमाननिय सुनीताजी,
ReplyDeleteअत्यन्त भावात्त्मक पुर्ण राष्ट्रभक्ति गीत रचनाके लिये आपको धन्यवाद.
आपके हृदयमें जो राष्ट्रभक्तिकी ज्योत प्रदीप्त हैं उनका ये स्वयंभु प्रमाण आपके रचित भावपूर्ण और हृदय स्पर्शीत राष्ट्रभक्ति गीतों हैं| १८५७ के स्वातन्त्र्य ग्राम के १५१वीं वर्ष जयंतिके महापर्व वर्षमें आपकी ये कृति राष्ट्रप्रेमीओंके लीए एक अणमोल भेट हैं| आप ऐसे ही गीतोंका
रसास्वाद् भविष्यमे भी हंमेशा कराति रहे ऐसी हमारी अन्तरेच्छाके साथ शुभेच्छा एवम् शुभकामना |
हेमंतकुमार पाध्या
युनायटेड किंगडम