
है दिल फेंक आशिक जमाने में बहुत,
अपने दामन को बचा कर रखिये।
न ठहर जाये अश्क आँखों में कहीं,
अपनी पलकों को झुका कर रखिये।
इश्क में मिलती है बस तनहाई यहाँ,
अपने दिल को गुलशन बना कर रखिये।
गम में रोना न पड़ जाये उम्र भर तुझको,
उस सितमगर को मेहमां बना कर रखिये।
बेवफ़ा हैं ये जमाने के रहनुमा सारे,
दिल के आईने में खुद को सजा कर रखिये।
ऎसा न हो लग जाये चोट दिल पर कोई,
अपने दिल को पत्थर सा बना कर रखिये।
बदनाम न कर दे दुनियाँ की जालिम नजरे,
खुद को दुनियाँ की से नजरों से बचा कर रखिये।
सुनीता शानू