प्यार में अक्सर दिल बेचैन होता है,...
यादों में दिलबर के दिल का चैन खोता है...
एक अकुलाहट, बेताबी सी रह्ती है सीने में,
एक झुन्झलाहट,छ्टपटाहट रहती है जीने में,
व्याकुल तन-मन इस कदर अधीर होता है,
यादों में दिलबर के दिल का चैन खोता है...
एक रौला,एक हलचल में,होंठ खुले रह जाते हैं
बिन बोले हि बात अधूरी सी कह जाते हैं
बेचैन निगाहों में आसुँओ का सैलाब होता है,
यादों में दिलबर के दिल का चैन खोता है...
बन्द पिन्जर में पन्छी सा मन फ़ड़फ़ड़ाता है
चलते-चलते राह पथिक सब भूल जाता है,
इन्तजारे,बेताबी में तिलमिलाना भी खूब होता है,
यादों में दिलबर के दिल का चैन खोता है...
सुनिता(शानू)
चलते-चलते राह पथिक सब भूल जाता है,
ReplyDeleteइन्तजारे,बेताबी में तिलमिलाना भी खूब होता है,
vaah , bhaut achcha hai
Your poems are a true reflection of human nature. They reflect a comprehensive understanding and visionary expression of our way of life. Well done and keep it up. May victory be yours always!
ReplyDeleteदिले बेताब को सीने से लगाना होगा
ReplyDeleteआज पर्दा है तो कल सामने आना होगा
बहुत अच्छा लिखा है आपने दिल की बेताबी के बारे मे
आलोक जी, रमेश जी,मोहिन्दर जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुनीताजी आपकी कविता अच्छी लगी लिखती रहें......
ReplyDeleteस्वागत है आपका सुनीता जी हिन्दी चिट्ठाजगत में।
ReplyDeleteनए चिट्ठाकारों के स्वागत पृष्ठ पर भी जाएं।
इसके अतिरिक्त परिचर्चा की सदस्या बनकर महफिल को भी रोशन करें।
हिंदी चिठ्ठा जगत में आपका स्वागत
ReplyDeleteदिल की बैचेनी को बखुबी बयां करती है आपकी रचना. किस तरह कोई प्रेयसी अपनी मन की भावनाओ का आवेश अनुभव करती है और क्या पिडा महसुस करती है , इसका अच्छा चित्रण है |
ReplyDeleteबेचैन निगाहों में आसुंओ का सैलाब होता है,
ReplyDeleteयादों में दिलबर के दिल का चैन खोता है...
बन्द पिन्जर मे पन्छी सा मन फ़ड़फ़ड़ाता है
चलते-चलते राह पथिक सब भूल जाता है,
bahut khoob ,,too good lines
"बन्द पिन्जर में पन्छी सा मन फ़ड़फ़ड़ाता है
ReplyDeleteचलते-चलते राह पथिक सब भूल जाता है,"
ह्म्म्म्म्म्,
गंभीर भाव बहुत सुन्दरता से व्यक्त कर दिये आपने
आप तो इस विधा में भी पारंगत हैं
सस्नेह
गौरव शुक्ल
वाह वाह , सही!!
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