बढे जा रही हैं उम्र और
मेरी उम्र के साथ-साथ बढ रहे हो
तुम भी
और तुम्हारे साथ जी रही हैं
मेरी उम्मीदें, मेरे ख्वाब
मै एक अलग ढँग की माँ हूँ
शायद अपनी माँ से भी अलग
मैने तुम्हें भी पा लिया था
बचपन के अनछुये ख्वाबों में
वो ख्वाब
जो शायद कम ही देखे जाते हैं
वो ख्वाब
जिनमें नहीं होता कोई राजकुमार या प्रेमी
हाँ अगर प्रेम था तो
सूर्य की तेज़ किरणो से
चाँद भी मेरे प्रेम में
झाँकता था बादलों की ओट से
प्रेम था तो माटी से
जो सर्र से सरकती थी मेरे हाथों से
किसी रेशमी परीधान सी
मेरे प्रेम की गवाही
ये पागल मस्त हवायें भी दे सकती हैं
जिनके साथ मेरे ख्वाब
आसमान की ऊँचाईयों को छू पाते थे
शायद मै भी आजमाना चाहती थी
कुन्ती की तरह
ईश्वरीय शक्तियों को
मैने भी बुन लिये थे ख्वाब
माँग लिया था तुम्हें सपनों में ही
और शायद इसीलिये
एक रोज तुम सचमुच आ गये
मेरे ख्वाबों को आकार देने
एक खूबसूरत शिल्पकार से तुम
तुम्हारे आते ही बदल गई थी जिंदगी
तुम्हारे आते ही मैने देखा था
तुम्हारे पिता की आँखों में खुशियों का सैलाब
तुम्हारे आने की महक से
फ़ैल गई थी माटी की सौंधी खुशबू
धूप के साथ बरसता था पानी
तो कभी चाँद की चाँदनी झाँक रही थी
हमारी खिड़की से
तब लटका दिया था तुम्हारे गले में
नजर बट्टू नानी ने
कि बचाये रखना बाहर की तेज़ हवाओं से
धूप में झुलस न जाये देखना कहीं
और यह कह कर बंद कर दिये थे
खिड़की के दरवाजे कि
काली रात को चली आती हैं
अलाये-बलायें
और तुम एक पाँव पर दूसरा पाँव धरे
जब मुस्कुराते नजर आये
मैने कहा था माँ से
देखो न ये तो वही रूप है
जिसे मैने कई मर्तबा देखा है
हाँ माँ भी जानती थी सब कुछ
माँ से कभी कुछ छुप नही पाता
जैसे नहीं छुप पाये तुम भी
है न आदित्य!
सुनीताशानू
बहुत बढ़िया कविता सुनीता जी बिल्कुल निशब्द.....
ReplyDeleteशुभकामनाएं आदित्य के लिये।
ReplyDeleteLucky u adi��
ReplyDeleteIse acha kuch nai h aunty...beautifully wrtn
बहुत अच्छी कविता सुनीता जी , हमारी ओर से आदित्य जी को शुभकामनाये और बधाई
ReplyDeleteबहुत ही बढ़ियाँ और रूहानी कविता। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदित्य को।
ReplyDeleteमां के प्यार की गहराई मापने का पैमाना आज तक ईजाद नहीं हुआ मगर शब्दों से रिसती ममता का एहसास किया जा सकता है
ReplyDeleteशुभकामनाएं आदित्य को और बधाई आपको
ReplyDeleteचिरंजीव आदित्य को आत्मीय बधाई और अनन्त शुभकामनाएं
ReplyDeleteऑफिस जाते हुए प्रथम पहर में कविता पढ़ी...बाहर हल्की बूंदाबादी है...कार के शीशे पर पानी की बूंदें ठहरी हुई है....बाहर धुंधला सा दिख रहा है...पर कविता में माँ का बेटे से आगाध प्रेम साफ-साफ दिख रहा है...वाह आदित्य, सचमुच तुम बड़े जरूर हो गये हो...पर मां के अंतस में तुम्हारे बाल गोपाल के दिन वैसे ही जीवित है..ये सारा अलाएं बलाएं तो तुम्हारे पास न फटकेंगी....तुम जिंदगी के कर्तव्य पथ पर हो, माता गुरू सदृश्य तुम्हारे साथ हैं..ऐसे मैं तुम्हें हम क्या सिखा सकते हैं...सुनिता जी की वजह से जीवन पथ पर जिस ढृढंता की आवश्यकता होगी है, वो तुम्हारे अंदर होगी ही..फिर इतने सपनों के साथ परवरिश हुई है, तो तुम्हारे अंदर भावनाओं को समझने का सहज गुण विकसित हो चुका है...इसलिये कुछ अतिरिक्त तो हम कुछ सीखा नहीं पाएंगे...बस इतना कहूंगा कि कभी तुम्भाहें लगता होगा कि भावनाएं कमजोरी की निशानी होती है..मतलब वो फिल्मी डॉयलॉग कि मर्द को दर्द नहीं होता सरिखा...पर ऐसा है नहीं....जिस तरह के भावनात्मक गुण बचपन में किसी न किसी तरह से, चाहे लोरी सुनाकर, कहानी किस्से सुनाकर, तेल मालिश करते वक्त परमपिता से माॉगते हुए, जो भावनाओं और अच्छाईयों का गुण बच्चे अंदर विकसित होता है, और कालातंर में युवा के आंखों में झलकता है,तो वो कमजोरी की निशानी नहीं होती, ये उस विशाल हिमालय की सदृश्य है जो अनेक नदियों से आच्छदित है, बारिश से भीगा रहता है, बर्फ से ढका भी रहता है, फिर भी अटल कहलाता है, पर्वतराज कहलाता है....इसलिये अब कई बार माता पिता बालक से बन जाते हैं, तो उन भावनाओं को तुम बाखूबी समझते हो....तो बस ये ही है वो लेक्चर जो कविता पढ़ते वक्त सहज निकलता चला गया और हमने कह दिया 😂😊😊😊😊 मेरी शुभकामनाएं हमेशा आपके साथ हैं....
ReplyDeleteममत्व से भरी भेद प्यारी रचना।
ReplyDeleteBhut badhiya
ReplyDeleteBahut badhiya
ReplyDeleteAdbhud kavita adbhud prem
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है सुनीता जी बेटे के जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है सुनीता जी बेटे के जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ
बहुत खूब
ReplyDeleteबधाई जन्म दिन की भांजे को
ह्रदयंगम। जब अन्तस् से भावनाएं बरसती हैं तो शब्द स्वयं कविता अंगीकृत कर लेते हैं। फिर तो यह माँ का अपने पुत्र के प्रति स्नेहिल निस्त्राव है। अमृत बिंदु छलकना ही थे जो भरपूर छलके।
ReplyDeleteमाँ की कल्पनाएं जब साकार होती है ,वह भी एक संतान के रूप में तो वह हर पल उसी में और उसी के लिए जीती है । बहुत सुंदर लिखा था । आदित्य ढेर सारा प्यार और शुभाशीष ।
ReplyDeleteखूबसूरत भाव हैं एक माँ के सच्चे दिल से निकले जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आदित्य
ReplyDeleteखूबसूरत माँ की खूबसूरत कविता।
ReplyDeleteसुंदर एवं भावपूर्ण - आदित्य को शुभाशिष
ReplyDeleteआदित्य को जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो,
ReplyDeleteलाजवाब कवीता सुनिताजी
हृदयस्पर्शी ... जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें आदित्य
ReplyDeleteAmazing aunty i m completely speechless heart touching lines like ur ❤️ come out from Ur words Aditya is actually very lucky boy.happy birthday Aditya forward my wishes to him.
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें :)
ReplyDeleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'शुक्रवार' १२ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteनिमंत्रण
ReplyDeleteविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
सुन्दर ममतामयी रचना
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
Very Nice article ! great job. Thanks for sharing.
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