चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Tuesday, August 1, 2017

इंतज़ार


इंतज़ार तेरे पास आने का
इंतज़ार तुझे देख भर लेने का
इंतज़ार तुम्हे गले से लगा लेने का
इंतज़ार तुम्हारा माथा चूम कर हौले से हाथ दबाने का
इंतज़ार यह कहने का कि मै हूँ तुम्हारे लिये
इंतज़ार तुझसे मिलने का
मिलकर शिकायत करने का
कि तुम अब तक अकेले कैसे रहे
शिकायत यह भी कि
तुमको अब तक याद आई नहीं
आई भी तो उतनी नहीं ही आई होगी
जितनी की मुझे आती है
काश याद का कोई पैरामीटर हो
तो कही जाये वो तमाम बातें
तुम्हारे बग़ैर बीती हुई रातें
और जमाने भर की शिकायतें
शायद कहते वक्त
जुबां का साथ न दे पाये
आँख दे जाये धोखा और दिल बंद करदे धड़कना
और भी बहुत सी बातें हैं
मेरे-तुम्हारे इस इंतज़ार में
सुनो... सच कहूँ तो...
तुम्हें भी यह समझना होगा कि
मेरे तुम्हारे दरमियाँ
कभी दूरी होती ही नही है...।
#सुनीता शानू

2 comments:

  1. खूबसूरत शिकायतें ...

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  2. Yaad rakho tou bahut pass hain hum,
    Bhool Jao tou fasle hain bahut,

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अंतिम सत्य