सैंड टू ऑल की गई
तुम्हारी तमाम कविताओं में
ढूँढती हूँ वो चंद पंक्तियाँ
जो नितान्त व्यक्तिगत होंगी
जो लिखी गई होंगी
किसी ख़ास मक़सद से
किन्हीं ख़ास पलों में
सिर्फ मेरे लिये
नहीं होगा उन पर
किसी और की वाह वाही का ठप्पा भी
लेकिन
सैंड टू ऑल की गई सारी कवितायें
बिछी पड़ी हैं सबके आगे
सुनो!
कुछ नया लिखो न
सिर्फ मेरे लिये...
शानू
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (31-07-2017) को "इंसान की सच्चाई" (चर्चा अंक 2682) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
क्या पता लिख ली गई हो सामने रखने का अवसर तलाशा जा रहा हो ..
ReplyDeleteहर इंसान की दिली ख़्वाविश होती हैं किसी एक के लिए वो खासमखास हो...कोई बात तो हो जो वो सिर्फ उसी के लिए कहे... उसीके लिए करे...इसी भावना को बहुत ही खुबसुरती से पेश किया हैं आपने...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरती से पेश किया
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