मेरी नर्म हथेली पर
अपने गर्म होंठों के अहसास छोड़ता
चल पड़ता है वो
और मै अन्यमनस्क सी
देखती हूँ अपनी हथेली
काश वक्त रूक जाये,
बस जरा सा ठहर जाये
लेकिन तुम्हारे साथ चलते
घड़ी की सुईयां भी दौड़ती सी लगती है
धीरे से मेरा हाथ मेरी गोद में रखकर,
हौले से पीठ थपथपाता है वो
अच्छा चलो-
अब चलना होगा,
सिर्फ प्रेम के सहारे ज़िंदगी नहीं कटती,
कुछ कमाई करलें
तो प्रेम भी बना रहे,
लेकिन मैने कब माँगा है तुमसे कुछ!
वह सिर्फ मुस्कुराया और चल दिया
मै देखती रही...
बढता, गहराता, इठलाता, खूबसूरत प्रेम
जो मेरे बदन से लिपटी रेशमी साड़ी सा 'मुलायम,
घर में बिछे क़ालीन सा शालीन,
और भारी-भरकम वेलवेट के गद्दों सा गुदगुदा बन गया था
मेरी नर्म हथेली पर नमी सी थी
दूर कहीं लुप्त हो गई थी
इमली के पेड़ पर पत्थर से उड़ती चिड़िया,
लुप्त हो गई थी
दो जोड़ी आँखे जो कोई फ़िल्मी गीत गुनगुनाती
एक आवारा ख़्वाब बुना करती थी,
हाँ प्रेम को ताउम्र बनाये रखना
ही जरूरी होता है...।
शानू
अपने गर्म होंठों के अहसास छोड़ता
चल पड़ता है वो
और मै अन्यमनस्क सी
देखती हूँ अपनी हथेली
काश वक्त रूक जाये,
बस जरा सा ठहर जाये
लेकिन तुम्हारे साथ चलते
घड़ी की सुईयां भी दौड़ती सी लगती है
धीरे से मेरा हाथ मेरी गोद में रखकर,
हौले से पीठ थपथपाता है वो
अच्छा चलो-
अब चलना होगा,
सिर्फ प्रेम के सहारे ज़िंदगी नहीं कटती,
कुछ कमाई करलें
तो प्रेम भी बना रहे,
लेकिन मैने कब माँगा है तुमसे कुछ!
वह सिर्फ मुस्कुराया और चल दिया
मै देखती रही...
बढता, गहराता, इठलाता, खूबसूरत प्रेम
जो मेरे बदन से लिपटी रेशमी साड़ी सा 'मुलायम,
घर में बिछे क़ालीन सा शालीन,
और भारी-भरकम वेलवेट के गद्दों सा गुदगुदा बन गया था
मेरी नर्म हथेली पर नमी सी थी
दूर कहीं लुप्त हो गई थी
इमली के पेड़ पर पत्थर से उड़ती चिड़िया,
लुप्त हो गई थी
दो जोड़ी आँखे जो कोई फ़िल्मी गीत गुनगुनाती
एक आवारा ख़्वाब बुना करती थी,
हाँ प्रेम को ताउम्र बनाये रखना
ही जरूरी होता है...।
शानू
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
अति सुन्दर कविता..बधाई
ReplyDeleteबेहद सुन्दर. लिखते रहिये.
ReplyDeleteसुन्दर कविता ......
ReplyDeleteबहुत खूब दीदी।
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