ये ज़िंदगी किताब है
बस इक हसीन ख्वाब है
पढ़ी गई, कि छोड़ दी,
आधी पढी ऒ मोड़ दी
जो जान के अंजान है
कहे कि दिल नादान है
पल-पल यही खिताब है
गलतियाँ बेहिसाब है
खाई कसम ओ तोड़ दी
रंगत भी सब निचोड़ दी
ये छाँव है वो धूप है
ये प्रीत है वो भूख है
चेहरे पे इक नकाब है
फिर भी ये लाजवाब है
ये ज़िंदगी किताब है
बस इक हसीन ख्वाब है...
पा ली कभी खो दी
हँस दी कभी रो ली
छीन ली या बाँट दी
पल में उम्र गुजार दी
प्यार है एतबार है
या बनावटी श्रंगार है
मोतियों सी आब है
ये कुदरती नवाब है
लिपट गई सिमट गई
खुल गई बिखर गई
इश्क है जुनून है
पानी है या खून है
बंदिशो की अजाब है
फिर भी आफ़ताब है
ये ज़िंदगी किताब है
बस इक हसीन ख्वाब है...
शानू
बहुत खूब , खूबसूरत अभिव्यक्ति है !!
ReplyDeleteलिपट गई सिमट गई
ReplyDeleteखुल गई बिखर गई
खूबसूरत लाईन है
bahut khoobsoorat ...
ReplyDeleteAre kitab hai ya kivita
ReplyDeleteWonderfully unique Thoughts !
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