चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Monday, June 25, 2012

मेरी गुड़िया कहाँ है तू


बचपन में गुड़िया के साथ खेलना बहुत पसंद था।  बस यूंही बचपन की याद में लिख डाला कुछ ऎसे ही बैठे ठाले...


वैसे समझने वाला ही समझ पायेगा मैने ये क्यों लिखा है...बहुत दुख की बात है कि सब कुछ लुटा कर भी मेरी गुड़िया की कोई खबर नही :(

पारुल 



मेरी गुड़िया तू कब लौटेगी बता
एक दिन जब ब्याह कर गई थी तू
अब तक खबर तेरी आई भी नही न

वो झमनियें का गुड्डा बड़ा ही था नटखट
फेरों में भी की थी बहुत उसने खटपट
कहीं उसने तुझको सताया तो नही न

वो टीणू भी तुझको सताता था गुड़िया
हँसी कितनी तेरी उड़ाता था गुड़िया
फिर उसने मुह चिढ़ाया तो नही न

माँ की साड़ी से बनाई थी कुछ साड़ी
वो सबकी सब रखी थी बक्से में तुम्हारे
किसी ने वो बक्सा चुराया तो नही न

दीदी का दुप्पटा भी बहुत काम आया
जब मिन्को बनियाइन ने गोटा लगाया
वो दुप्पटा हवा से फटा तो नही न

बाबा के पाजामे से बनी कुछ चादरें भी
सोमा धोबन ने धोकर रखी थी बक्से में
उनसे झाड़न किसी ने बनाया तो नही न

कहा था माकली ने भेजेगी वो तुझको
मगर पीठ मोढे भी न भेजा तुझको
कोई रस्म उसने निभाई ही नही न

तेरी शादी में किसी ने नही कुछ छोड़ा
गुल्लक भी मेरा मोटू ने फोड़ा
तू नही तो गुड़िया बचा कुछ नही न

रोती है आँखे तुझको विदा कर
मेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?

सुनीता शानू 

नोट:-
कविता के सभी किरदार अपने परिवार में अपने बच्चों के साथ खुश हैं:) किसी को फ़िक्र नही मेरी गुड़िया की :)



27 comments:

  1. दहशत के लावे हैं --- हवा में उड़ते एहसासों के परखचे

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  2. रश्मि प्रभा जी मै जानती थी आप समझ पायेंगी। आपका आशीर्वाद मिला दिल खुश हो गया।
    सादर
    सुनीता शानू

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  3. जाने क्या क्या न बयां कर दिया आपने सुनीता दी गुडिया के बहाने ।पोस्ट को महसूस किया जा सकता है ...........वही कर रहा हूं

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    1. हाँ अजय बहुत कुछ याद आता रहा घिरते रहे कई संशय उतार दिया उन्हे कागज़ पर बस और कुछ नही.

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  4. रोती है आँखे तुझको विदा कर
    मेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
    चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?

    गुड़िया तुम्हारी अब गुड़िया नहीं है
    एह्सांसों की महज मीठी पुड़िया नहीं है
    अरसे से तुमने भी तो बुलाया नहीं न?

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    1. धन्यवाद एम वर्मा जी।
      अरसे से बुला रही हूँ भूल पाती नही
      उसकी सूरत दिल से कभी जाती नही
      जाने कितनी गुंड़ियाये जली राख हो गई
      गुड़िया अब मेरी लौट कर आती नही

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  5. दी.... आपकी कविता दिल को छू गई.. बहुत ही अच्छी लगी...

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  6. लिक से अलग हट के रचना ...
    शुभकामनायें गुडिया को !

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  7. पुरानी सुहानी यादें मन को सकूं पहुंचाती हैं .
    निर्मल रचना .

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  8. इस रचना को पढ़कर हृदय विचलित सा हो गया ...ओह ...क्या लिखूं ...!!बस गुड़िया जहाँ रहे खुश रहे ...सच मे सुनिता जी ...हम कितनी भी तरक्की कर लें आज भी कितनी गुड़ियाँ है ...जो कष्टों के दलदल मे धसी हैं |

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  9. एक अजीब सी दहशत हो गयी कविता पढ़ कर ...
    गुडिया को इस तरह याद आना ही था !!
    आप किस कशमकश/आशंका से गुजर रही है , हर माँ समझती होगी !

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  10. गुड़िया की सुध ली ..... और कितनी सारी आशंकाएं व्यक्त कर डालीं ... बहुत मार्मिक रचना

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  11. दीदी इसे ले जा रही हूँ
    शनिवार 30/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

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  12. रोती है आँखे तुझको विदा कर
    मेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
    चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न?
    गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट लेखन ... आभार

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  13. आँखें नाम हो आई,
    कई मीठी, कड़वी यादे साथ आई,
    तेरी गुडिया तेरी ही ना सही,
    इस जीवन मैं मेरी गुडिया भी होम हो आई

    अंदर तक छु गई आपकी रचना, माँ हूँ एक और कई रिश्ते भी हैं, जहा मैं भी अपनी एक गुडिया ( प्यार का नाम भी गुडिया था) इस जामाने के नाम खो आई

    सादर

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  14. लेकिन हाँ ....छिपे दर्द ने कहानी बयान करदी ......रीति आँखों में फिर से वह नमी भर दी ..... तेरा माथा तो न चूम पाऊँगी मैं.....तेरे ज़िक्र ने वह चोट फिर हरी कर दी .....बहुत ही मार्मिक और दुखद सुनिताजी

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  15. बहुत ही अच्छी लगी आपकी कविता

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  16. रोती है आँखे तुझको विदा कर
    मेरी गुड़िया कहाँ है कहाँ है बता
    चूल्हे में किसी ने जलाया तो नही न

    आपकी गुड़िया को बहुत सारा प्यार ... गुड़िया ठीक है आप परेशान न हों !!

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  17. kabhi kabhi yaaden dil ko chhuti hai.. aur fir mahsusa bhi ja sakta hai. aap waise bhi dil se jeete ho di:)

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  18. सुन्दर रचना. अपनी खुद की भावनाओं को यहाँ पा रहा हूँ.

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  19. प्रभावशाली रचना ...गुड़िया के माध्यम से बहुत कुछ बयां करती ।

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  20. मेरे लिए ऐसी गुडियों की कहानी एक धधकता सत्य है, कहानी नहीं.
    घुघूतीबासूती

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  21. sundar, bahut hi gehre bahv liye huye aapki ye rachna! yahi kahi aas-paas si ghoomti huyI! aapki ye gudiya1

    badhai!

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  22. सुन्दर रचना

    आज आपका ब्लॉग अपने टूलबार मे जोड़ लिया है :)

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  23. सुन्दर रचना

    आज आपका ब्लॉग अपने टूलबार मे जोड़ लिया है :)
    Gyan Darpan

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  24. बडी ही भावनात्मक रचना है जी

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य