आदरणीय आप सभी को सूचित करते हुए अपार हर्ष हो रहा है की हमारे गुरूदेव श्री समीरलाल जी अपनी उड़न तश्तरी पर सवार होकर श्री राकेश जी के साथ १२ तारीख को दिल्ली आ रहे है...अतः हमने उनके स्वागत में अपने आवास (प्रताप नगर...दिल्ली-७) १२ तारीख की शाम ४ बजे एक छोटी सी गोष्ठी रखी है जिसमें आप सभी सादर आमन्त्रित है...कृपया जो लोग काव्य-गोष्ठी मे हिस्सा लेना चाहते है अपना नाम दर्ज करायें...
लेकिन आमन्त्रित सभी हैं इस मौके को आप न छोडे़ .....और जो भी इस मेल-मिलाप मे हिस्सा लेना चाहते है ४ तारीख तक अपना नाम दर्ज करायें ताकी हम उसी प्रकार से व्यवस्था कर सकें...
आवास का पता आप सभी को अगली पोस्ट में दे दिया जायेगा...आयोजन दोपहर ३ बजे से जब तक आप चाहें...तब तक रहेगा...
सुनीता(शानू)
कृपया ध्यान दे...आप सभी आमंत्रित है सिर्फ़ कवि ही नही....
Tuesday, October 30, 2007
Sunday, October 28, 2007
आईये एक बार फ़िर ले चलें हास्य की दुनियाँ में
करवा चौथ
एक दिन लक्ष्मी जी से आकर, बोले उल्लूराज।
सारी दुनियाँ पूजे तुमको, मुझे पुजा दो आज॥
मै वाहन तेरा हूँ माता, कभी न पूजा जाता।
कोई नही फ़टकने देता जिस घर में मै जाता॥
ऎसा करो उपाय कि माता मै भी पूजा जाऊँ।
ज्यादा नही एक दिन तो माँ,मै भी देव कहाऊँ॥
उल्लू जी की बातें सुनकर, लक्ष्मी जी यों बोली।
मेरे प्यारे उल्लू राजा, बहुत हुई ठिठौली...
नाम तुम्हारा सारे जग में मुझसे भी ज्यादा आता।
कभी-२ अच्छे से अच्छा उल्लू का पट्ठा कहलाता॥
बात करो मत पूजन की,एक दिन तेरा भी है आता।
दीवाली के ग्यारह दिन पहले ही उल्लू पूजा जाता॥
करवा चौथ का दिन होता है एसा महान प्यारे।
इस दिन पूजे जाते हैं दुनियाँ भर के उल्लू सारे॥
सुनीता(शानू)...:)
एक दिन लक्ष्मी जी से आकर, बोले उल्लूराज।
सारी दुनियाँ पूजे तुमको, मुझे पुजा दो आज॥
मै वाहन तेरा हूँ माता, कभी न पूजा जाता।
कोई नही फ़टकने देता जिस घर में मै जाता॥
ऎसा करो उपाय कि माता मै भी पूजा जाऊँ।
ज्यादा नही एक दिन तो माँ,मै भी देव कहाऊँ॥
उल्लू जी की बातें सुनकर, लक्ष्मी जी यों बोली।
मेरे प्यारे उल्लू राजा, बहुत हुई ठिठौली...
नाम तुम्हारा सारे जग में मुझसे भी ज्यादा आता।
कभी-२ अच्छे से अच्छा उल्लू का पट्ठा कहलाता॥
बात करो मत पूजन की,एक दिन तेरा भी है आता।
दीवाली के ग्यारह दिन पहले ही उल्लू पूजा जाता॥
करवा चौथ का दिन होता है एसा महान प्यारे।
इस दिन पूजे जाते हैं दुनियाँ भर के उल्लू सारे॥
सुनीता(शानू)...:)
Sunday, October 14, 2007
ऎ जिन्दगी
ऎ जिन्दगी तुझको अब मैने पुकारा नहीं
सारे जहाँ में तुझको कोई भी प्यारा नहीं
खो गई हूँ खुदी में,जब मिली खुद से मै
लेकिन लबो पर नाम भी अब तुम्हारा नहीं
छोड़ दे तनहा मुझको अब ना तड़पा मुझे
ऎसा नहीं कि तुझ बिन अब मेरा गुजारा नहीं
तेरी बेवफ़ाई कि तुझको, मै दूँ क्या खबर
मेरे दिल का एक टुकड़ा भी अब तुम्हारा नहीं
मेरी पलकों पे ठहरे अश्क न बहेंगे कभी
वेवजह मिट्टी मे मिलना इनको गवाँरा नहीं
मेरी खामोशियों को न बहला चली जा अभी
मेरी यादों का एक लम्हा भी अब तुम्हारा नहीं
जिन्दगी ख्वाब है ख्वाब बन मिली थी कभी
मेरी पलको को ख्वाबों का भी अब सहारा नहीं
तेरी चाहत नही,तुझसे कोई तमन्ना भी नहीं
तेरे गुलशन का कोई फ़ूल भी अब बेसहारा नहीं...
सुनीता(शानू)
सारे जहाँ में तुझको कोई भी प्यारा नहीं
खो गई हूँ खुदी में,जब मिली खुद से मै
लेकिन लबो पर नाम भी अब तुम्हारा नहीं
छोड़ दे तनहा मुझको अब ना तड़पा मुझे
ऎसा नहीं कि तुझ बिन अब मेरा गुजारा नहीं
तेरी बेवफ़ाई कि तुझको, मै दूँ क्या खबर
मेरे दिल का एक टुकड़ा भी अब तुम्हारा नहीं
मेरी पलकों पे ठहरे अश्क न बहेंगे कभी
वेवजह मिट्टी मे मिलना इनको गवाँरा नहीं
मेरी खामोशियों को न बहला चली जा अभी
मेरी यादों का एक लम्हा भी अब तुम्हारा नहीं
जिन्दगी ख्वाब है ख्वाब बन मिली थी कभी
मेरी पलको को ख्वाबों का भी अब सहारा नहीं
तेरी चाहत नही,तुझसे कोई तमन्ना भी नहीं
तेरे गुलशन का कोई फ़ूल भी अब बेसहारा नहीं...
सुनीता(शानू)
Tuesday, October 2, 2007
विचारों की श्रंखला
विचारों की श्रंखला
टूटती ही नही
एक आता है एक जाता है
दिन भर हावी रहते है
लड़ते रहते है
अपने ही वज़ूद से
और
विचारों का आना-जाना
पीछा नही छोड़ता
नींद में भी
पिघलते रहते हैं
रात भर
स्वप्न में भी
और
नींद खुलने के साथ
हावी हो जाता है
एक नया विचार
पूरे दिन की कशमकश में
जीतता वही है
जो ताकतवर होता है
वकीलो की तरह
झूठी सच्ची दलीलों की तरह
आत्मा विरोध करती है
सरकारी वकील की तरह
मगर सबूतों के अभाव में
दिन-भर की लड़ी हुई
थकी माँदी निर्बल आत्मा से
झूठी बेबुनियाद दलीले
जीत जाती है
जैसे बीमारी के कीटाणु
बीमार शरीर को ही
जल्दी शिकार बनाते हैं
और शरीर को सजा हो जाती है
मनोविकारों से पीड़ित रोगी
जो दिमाग का संतुलन खो बैठते है
खुद को पाते है...
शून्य में
सुनीता शानू
Monday, October 1, 2007
एक गीत बापू जयंती पर...

बापू ने दिया हमको बस एक ही नारा
अंग्रेजो भारत छोड़ो, हिन्दुस्तान हमारा...
एक अकेला वीर वो एसा
जिसने क्रांति का झण्डा फ़हराया
सत्य,अहिन्सा,और शांती का
जिसने देश में दीप जलाया
बलिदानी भारत भूमि को वो बापू प्यारा...
हिन्दुस्तान हमारा...
ना हिन्दू ना मुस्लिम कोई
ना सिख ना ईसाई
बापू को प्यारे सब मजहब
सब हिन्दूस्तानी भाई
हरिजनो को भी बापू ने दिया सहारा
हिन्दुस्तान हमारा...
एक खादी का लंगोट पहन
सबके दिल पर राज किया
विदेश माल को फ़ूंका
खादी का प्रचार किया
चरखे कि आवाज ने लोगो को पुकारा
हिन्दुस्तान हमारा...
सच्चाई पर अड़ा रहा
अपनी नींद उड़ा कर
देश कि खातिर जेल गया
सारे सुख लुटा कर
हर मुश्किल में डटा रहा कभी न हिम्मत हारा
हिन्दुस्तान हमारा...
दांडी की यात्रा कर
अपने हाथो नमक बनाया
सारे देश को सत्याग्रह का
जिसने पाठ पढ़ाया
आज़ादी का मतवाला वो सारे देश का प्यारा
हिन्दुस्तान हमारा...
अंग्रेजो से टक्कर लेकर
सत्य की ज्योत जलाई
देकर अपने प्राण जगत में
वीरो की गती पाई
याद रहेगा बापू हमको वो बलिदान तुम्हारा
हिन्दुस्तान हमारा...
सुनीता(शानू)
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पंछी ! तुम कैसे गाते हो-? अपने सारे संघर्षों मे तुम- कैसे गीत सुनाते हो-? जब अपने पंखों को फ़ैला- तुम...
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एक छोटा सा शहर जबलपुर... क्या कहने!!! न न न लगता है हमे अपने शब्द वापिस लेने होंगे वरना छोटा कहे जाने पर जबलपुर वाले हमसे खफ़ा हो ही जायेंगे....