
साठ साल के इस बूढे भारत में,
क्या लौटी फ़िर से जवानी देखो,
आजादी की खातिर मर-मिटे जो,
क्या फ़िर सुनी उनकी कहा्नी देखो...
कहाँ गये वो लोग जिन्होने,
आजादी का सोपान किया था,
लगा बैठे थे जान की बाजी,
आजाद हिन्दुस्तान किया था...
मेरे भारत आजाद का कैसा,
बना हुआ ये हाल तो देखो,
अमीर बना है और अमीर,
गरीब कितना फ़टेहाल ये देखो...
माँ बहन की अस्मत को भी,
सरे-आम नीलाम किया है,
बेकारी और भुखमरी ने,
अंतर्मन भी बेच दिया है...
क्या पाया क्या खोया हमने,
छूट रही जिन्दगानी देखो,
आतंकवाद और भ्रष्टाचार की,
बढ रही रवानी देखो...
अमर शहिदो की शहादत को,
आज ही क्यूँ याद किया है,
क्यूँ आज नही फ़िल्मी चक्कर,
जो राष्ट्र-गान को याद किया है...
शराब और शबाब में डूबे,
मचा रहे धमाल ये देखो,
किन्तु राष्ट्र-गान की खातिर,
तीन मिनट में बेहाल ये देखो...
अब भी जागो ए वतन-वासियो,
याद करो वो कुर्बानी,
जिस देश में एक दूजे की खातिर,
आँखों से बहता था पानी...
आज लहराये तिरंगा हम सब,
और तिरंगे की शान तो देखो,
आओ आजादी का जश्न मनाये,
अमर शहिदो के नाम ये देखो...
सुनिता(शानू)