मेरी माँ
माँ बनकर ये जाना मैनें,
माँ की ममता क्या होती है,
सारे जग में सबसे सुंदर,
माँ की मूरत क्यूँ होती है॥
जब नन्हे-नन्हे नाजु़क हाथों से,
तुम मुझे छूते थे...
कोमल-कोमल बाहों का झूला,
बना लटकते थे...
मै हरपल टकटकी लगाए,
तुम्हें निहारा करती थी...
उन आँखों में मेरा बचपन,
तस्वीर माँ की होती थी,
माँ बनकर ये जाना मैनें,
माँ की ममता क्या होती है॥
जब मीठी-मीठी प्यारी बातें,
कानों में कहते थे,
नटखट मासूम अदाओं से,
तंग मुझे जब करते थे...
पकड़ के आँचल के साये,
तुम्हें छुपाया करती थी...
उस फ़ैले आँचल में भी,
यादें माँ की होती थी...
माँ बनकर ये जाना मैनें,
माँ की ममता क्या होती है॥
देखा तुमको सीढ़ी दर सीढ़ी,
अपने कद से ऊँचे होते,
छोड़ हाथ मेरा जब तुम भी
चले कदम बढ़ाते यों,
हो खुशी से पागल मै,
तुम्हे पुकारा करती थी,
कानों में तब माँ की बातें,
पल-पल गूँजा करती थी...
माँ बनकर ये जाना मैनें,
माँ की ममता क्या होती है॥
आज चले जब मुझे छोड़,
झर-झर आँसू बहते हैं,
रहे सलामत मेरे बच्चे,
हर-पल ये ही कहते हैं,
फ़ूले-फ़ले खुश रहे सदा,
यही दुआएँ करती हूँ...
मेरी हर दुआ में शामिल,
दुआएँ माँ की होती हैं,...
माँ बनकर ये जाना मैने,
माँ की ममता क्या होती है॥
सुनीता(शानू)
Sunday, May 13, 2007
मेरी माँ
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सबसे पहले आप सभी को नव-वर्ष की हार्दिक शुभ-कामनायें... कुछ हॉस्य हो जाये... हमने कहा, जानेमन हैप्पी न्यू इयर हँसकर बोले वो सेम टू यू माई डिय...
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एक छोटा सा शहर जबलपुर... क्या कहने!!! न न न लगता है हमे अपने शब्द वापिस लेने होंगे वरना छोटा कहे जाने पर जबलपुर वाले हमसे खफ़ा हो ही जायेंगे....
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बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. माँ की ममता को शब्दों में बाँधना संभव नहीं. आपने बहुत खूबसुरती से भाव उकेरे हैं, नमन!!
ReplyDeleteसुन्दर कविता लिखी है आपने
ReplyDeleteak beti ki bhavnao ki isse sundar abhiyakti or kya ho sakti he .
ReplyDeleteमॉं का नाम आते ही, सच मे संसार का सबसे प्यारा रिस्ता याद आ जाता है। एक मॉं अपने बच्चे का लाख पीड़ा के बाद भी जन्म देना चहती है। यह उसे अपनी संतान के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
ReplyDeleteअनुपम कृति के लिये बधाई।
माँ की ममता याद दिलाने वाली एक सुंदर कविता। इतनी सुंदर कविता रचने के लिये बधाई।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteसुंदर भाव ......
सुन्दर कविता ....
बधाई।
baut hi marmik hai
ReplyDeleteसुनीता जी इस धरा की जननी के लिये जो उदगार आपके कोमल ह्रदय से निकले हैं वे बहुत मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteहैं बहुत सुन्दर शब्दों में आपने अपनी सशक्त लेखनी द्वारा ममत्व के मह्त्त्व पर प्रकाश दाला हैं इसके लिये आप निश्चित रूप से बधाई की पात्र हैं
बहुत सुन्दर कविता! बहुत सुन्दर फोटो!
ReplyDeletehi Real aapne Maa ko sunder shabdoo me dhaal diya..hai...congrats..
ReplyDeleteसच इसे पढकर जाना कि पुरुष किस खुशी से वंचित है, वाकई मन को छूने वाली और एक लालसा जगाने वाली कविता है यह, जो हर पुरुष के मन में एक खाली जगह छोडती है
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteमाँ बनकर ये जाना मैनें,
ReplyDeleteमाँ की ममता क्या होती है,
सारे जग में सबसे सुंदर,
माँ की मूरत क्यूँ होती है॥
भावुक मन की सरल एवं निर्दोष भावनाओं वाली माँ की कविता अच्छी लगी
सुन्दर अभिव्यक्ति,मन को छूने वाली कविता है
ReplyDeletehi mum, apne bahut hi sweet line likhi hai es "duniya ki sabse payari mum ke liye" apki es poem ne meri late mother ki yado ko taja kar diya hai. I m very very miss our late mother todays. thnks for sweet poems.
ReplyDeleteSanju
माँ को शत-शत नमन!!!
ReplyDeleteशानू जी
ReplyDeleteसचमुच आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है
मां का प्यार एक अनुभूति है जिसे महसूस किया जा सकता है आपने उसे शव्दो का रूप दिया साधुवाद ! अपने बच्चे को आचल से छुपाते हुए अपने आप एव अपनी मा को याद करना एव निष्छल आशिर्वाद देना सुखद अनुभुति है । ममत्व नारी की वेदना पर प्रेम की जीत है । ममत्व एसा प्रेम है जो प्रेमी के प्रेम को भूला देती है और यह अहुभूति मा बनकर ही जाना जा सकता है । आपने उत्कृष्ठ प्रयाश किया है वो भी एसे विषय पर जो प्रेम का मूल है ।
बहुत सुंदर कृति ! बधाई!
ReplyDeleteशानू जी बिलंव के लिये माफ़ करें क्योंकि में दो दिन ओनलाईन नही हुआ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विषय है और उतनी ही सुन्दर कविता है..
"मां ही गंगा, मां ही जमुना, मां ही तीरथ धाम
मां का सर पर हाथ जो होवे, क्या ईश्वर का काम"
सुंदर कविता है , मां होना क्या होता है ये सचमुच मां बनने के बाद ही किसी स्त्री को ठिक से मालुम हो सकता है और हम पुरुष तो उस अहसास को कभी भी नही पा सकते मात्र वंदना ही कर सकते है मां की |
ReplyDeleteBAHUT KHUB
ReplyDeleteAAPKI KAVITA ME JAAN HAI !
I AM IMPRESSED
कभी सुनहली धूप है,
ReplyDeleteकभी गौधुली शाम है जिंदगी,..
शुक्रिया...आपका ब्लॉग देखा
मा पर बहुत मार्मिक कविता लिखी है आपने...बधाई
सभी लोग बहुत कुछ लिख चुके हैं, मैं तो सिर्फ़ यही कहूँगा कि आप बेहतरीन कवियित्री हैं..ऐसे ही जारी रखें.. राजनीति और घटनाओं पर लिख-लिख कर हमारी कलम तो भोथरी हो चुकी है, कोमल भावनायें उकेरना हमारे बस की बात नहीं, लेकिन आप जैसों का सान्निध्य रहेगा तो शायद वह भी सीख जायें... आमीन..
ReplyDeleteur poem is so nice ,so lovely on this beautiful word and relation keep writing .................and now I am giving the comment to ur poem.......
ReplyDeleteजब हम याद करते है अपनी माँ तो उसके हर स्पर्श को सहलाते हैं पर जब यह तस्वीर उलट जाती है तो सारी अभिव्यक्ति भी अपने स्थान से दूसरे मनोविज्ञान की ओर खिंचती है…।बहुत सुंदर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण है इस कविता में जो उस ओर की करूणा को निकट लाती है…बधाई…।
ReplyDeletebahut hi achhi kavita hai,
ReplyDeletemaa ko kuchh shbdon main simetna sahas ka kaam hai.
माँ की जितनी तारीफ की जाए कम है, कविता मनोरम है। बधाई
ReplyDeletelot of thanks to u Sunitaji it was such a wonderful poem....i really appriciated.....i think u r a mother coz a mother known fellings of mother lov......thanks for the beautiful poem likes u...i promise u that i'll read all the lines in front of my mom n i am sure she is impress......thaks again........
ReplyDeleteRegards,
Aditya
आपकी ममता की अभिव्यक्ति सुन्दर है.
ReplyDeleteऔर कविता अपनी बात कहने में सफल.
श्रेय आपके ममत्व और आपकी लेखनी को.
साभार्
सिद्धार्थ
अनुपम, मनमोहक चित्र और हृदय को उद्वेलित करते भाव, सटीक शब्द चयन... बधाई!
ReplyDeleteसबने इतना कहा है मैं क्या कहूं..बस ये की एक स्त्री के लिये मां बनना.. खुद की पूर्णता को पाने के समान है.. और तभी हम सम्झ पाते हैं अपनी मां को.. और तभी और जुड़ जाती हैं बेतियां मां से..
ReplyDeleteबहुत ख़ूब लिखा है आपने।
ReplyDeleteअत्यंत मर्मश्पर्शी कविता है।
नमन है आपको।
बहुत ही सुन्दर कविता।
ReplyDeleteभाव दिल को छू गए।
माँ बनकर ये जाना मैनें,
ReplyDeleteमाँ की ममता क्या होती है,
सारे जग में सबसे सुंदर,
माँ की मूरत क्यूँ होती है॥
पहली बार आपके ब्लाग पर आया। सारी कवितायें पढ़ी ऊपर से नीचे तक।
एक गहरी सी टीस के साथ आपका कवि यात्रा में है। शुभकामनायें।
bahut hee sundar kavita likhee hai..maa ka perspective bahut acchhca diya hai aapne.
ReplyDeletebahut khoob, very well written.
ReplyDeleteMy New Blog
माँ ने जिन पर कर दिया, जीवन को आहूत
ReplyDeleteकितनी माँ के भाग में , आये श्रवण सपूत
आये श्रवण सपूत , भरे क्यों वृद्धाश्रम हैं
एक दिवस माँ को अर्पित क्या यही धरम है
माँ से ज्यादा क्या दे डाला है दुनियाँ ने
इसी दिवस के लिये तुझे क्या पाला माँ ने ?
आपमें एक बहुत प्यारा गीतकार बसा है , कृपया गीत नियमित तौर पर लिखा करें...यह रचना इतनी प्यारी लगी कि अपनी लय में कोशिश की है शायद आप पसंद करें !
ReplyDeleteआपको और पवन भाई को नमस्कार !
माँ बनकर यह जाना मैंने
माँ की ममता क्या होती है !
सारे जग में सबसे सुंदर
माँ की सूरत क्यों होती है !
उन आँखों में खुद को पाकर , मैं भौचक हो जाती थी !
नन्हें नन्हे नाज़ुक हाथों
जब तुम मुझको छूते थे
कोमल कोमल बांहों का
तुम झूला बना लटकते थे
मैं हर पल टकटकी लगाए , तुम्हें निहारा करती थी !
देखा तुमको धीरे धीरे
मेरे कद से लम्बे होते
मुझे याद है, जब पहले
दिन उंगली मेरी छोड़ी थी
डगमग उठते कदम देख कर मैं पागल हो जाती थी !