मुश्किल होगा
तुम्हारे बिन जीना
कल्पना करना भी
पाप होगा शायद
तुम जानते हो सब...
बच्चों की कसम भी
खा गई थी वो...
आँखों में आँसू
दिल में हलचल कि
कैसे कटेगी
वासंती उम्र
कैसे पूरी होंगी
तमाम ख्वाहिशे
तुम्हारे बगैर...
किन्तु,परन्तु सभी शब्दों ने
झकझोर कर रख दिया
कि अचानक
किसी ने
कंधा थपथपाया
जाने वाले के साथ भी
भला कोई जाता है।
तुम्हे जीना ही होगा
खुद के लिये
सँवरना ही होगा
और
दायित्व की जंजीरों ने
जकड़ लिया
इस कदर कि
खा गई वह
फ़िर एक बार
बच्चों की कसम
जी ही लेगी
अब
तुम्हारे बगैर...
यही जीजीविषा है,
ReplyDeleteजो न जीने देती,
न मरने देती।
jeena hai , apne pratiroop ko sanwarne ke liye , ghumphirke yahi zindagi hai
ReplyDeleteजीना इसी का नाम है
ReplyDeleteजाने वाले के साथ भी
ReplyDeleteभला कोई जाता है।
तुम्हे जीना ही होगा
खुद के लिये
सँवरना ही होगा
कई बार जीना मुश्किल होता हे, लेकिन फ़िर भी जीना पडता हे, बहुत भावूक रचना, धन्यवाद
बहुत भावपूर्ण...
ReplyDeleteबेहद सुन्दर यही जिंदगी का वलय है... जो घूमता रहता है... जीवन समेटे बढ़ाते हुवे ... सुन्दर कविता ..
ReplyDeleteयही ज़िंदगी है ...सुन्दर , भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeletevery nice....kitne dino baad...!!
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना ,बधाई
ReplyDeleteअच्छी कविता !
ReplyDeleteसंवेदना से भरपूर !
सशक्त अभिव्यक्ति !
बधाई !
**************
दायित्व की जंजीरों ने
जकड़ लिया
इस कदर कि
खा गई वह
फ़िर एक बार
बच्चों की कसम
जी ही लेगी
अब
तुम्हारे बगैर...
कैसे पूरी होंगी तमाम ख्वाहिशें तुम्हारे बगैर... बहुत खूब। होली की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, बधाई
ReplyDeleteबहुत दिनो बाद इधर आना हुआ और चंचल शानू को गंभीर मुद्रा में देखा.... अर्थपूर्ण कविता...
ReplyDeleteभावुक कर गई आपकी सुन्दर रचना.
ReplyDeleteनारी तुमे हो प्रतिरूप,
ReplyDeleteउस महामहिम का,
जो रहता है हम सब के बीच,
परन्तु दिखाई नहीं देता,
कठिन काम वो तुम से ही कराता है,
किसी को दुलार तो कहीं संवेदना पहुंचाता है,
किसी को शक्ती देता है तो कहीं हिम्मत बंधाता है,
प्रेम करना भी तो वो तुम्हे ही सिखाता है,
चट्टान सा अडिग, आसमान सा असीम,
वो तुम्हे ही बनाता है,
तुम ही हो उसका मूर्त रूप,
पल पल याद दिलाता है |
बहुत बढ़िया....
ReplyDeleteVivek Jain vivj2000.blogspot.com
भावों से लबरेज़.
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|
ReplyDeletetera sara jeevan maun gaya hai paglee!
ReplyDeletejaane waale ke sang kaun gaya hai paglee!
ro-ro kar halkaan n hona ab tu,
maa-baabu ka maan n khona ab tu!!!!
बेहद दर्द है इन शब्दो मे.बहुत ही अच्छी रचना!
ReplyDeletebebasi ka khoobsoorat chitran
ReplyDeletebahut khub...........jina tho hoga har haal mei...kaise bhi ho
ReplyDeleteभावपूर्ण
ReplyDeleteसुनीताजी आपको वैवाहिक वर्षगाँठ की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
duniya me aayen hain to jeena hi parega...:)
ReplyDeleteसुनीता जी आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा. आपसे अनुरोध है की भारतीय ब्लॉग लेखक मंच से भी जुड़े और सहयोग करे. editor.bhadohinews@gmail.com
ReplyDeletehttp;//shayaridays.blogspot.com
ReplyDeletemujhe apka blog bahut bahut pasand aaya
यही तो जिंदगी है, वरना जीवन तो निरर्थक सा प्रतीत होता है
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत भाव हैं।
ReplyDeleteसादर
यही है ज़िन्दगी और उसके सच जिनसे मूंह नही मोडा जा सकता।
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही बढि़या ..।
ReplyDeleteyahi is jeewan ka yatharth hai. bahut samvedansheel rachna.
ReplyDeleteagar iska sheershak 'baccho ki kasam' hota to kaisa lagta ?
बहुत बढ़िया....
ReplyDelete