ओढ़ चुनर सतरंगी
जो बदला रंग धरती का
नीला हठीला आसमां भी
अचानक हो गया रंगीन
कि आज होली है...
चाँदी से उजले मतवाले बादल
ज्यौं बिनौलों से गुथे हुए
चमकीले रूई के फ़ूल
कि अभी-अभी
निकल भागी है उजली कपास
कि आज होली है...
दूर कहीं कलरव करती
चली परिन्दों की बरात
बजी बाँस में शहनाई सी
बह चली महकती
रंगीन पुरवाई
कि आज होली है...
और कहीं छाई है लाली
जैसे गोरी का सिन्दुरी रूप
कहीं सरसों के बागानों सी
चिलचिलाती धूप
खिलखिलाई
कि आज होली है...
पूरब ने पश्चिम में फ़ेंका
एक दहकता लाल गुब्बारा
चोट लगी पर काम तो आया
ढलता सूरज मुस्काया
हर पल जीवन हो सतरंगी
कि आज होली है...
सुनीता शानू
Waah ! Bahut hi sundar shabd chitran kiya hai aapne..Sundar rangbhari kavita...
ReplyDeleteAapko sapariwaar holee kee shubhkaamnaye.
बाकी सब तो सुंदर है
ReplyDeleteपर गुब्बारा फेंक कर
काम किया जाने का
अंदर है
गुब्बारों पर रोक है।
सुनीता जी होली की बधाई । सुन्दर अति सुन्दर ये रचना ।
ReplyDeleteबढ़िया रचना!!
ReplyDeleteहोली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!
अद्भुत रचना...वाह.
ReplyDeleteहोली की ढेरों रंग बिरंगी शुभकामनाएं.
नीरज
सुन्दर रचना,
ReplyDeleteहोली की ढेरों रंग बिरंगी शुभकामनाएं..
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं आपने। सुनीता जी आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteपूरब ने पश्चिम में फ़ेंका
ReplyDeleteएक दहकता लाल गुब्बारा
चोट लगी पर काम तो आया
ढलता सूरज मुस्काया
हर पल जीवन हो सतरंगी
कि आज होली है...
waah atusunder,holi mubarak
happy holi
ReplyDeleteMujhe to bas itna hi samajh aaya ki---
ReplyDeleteकि आज होली है...
सुन्दर रचना..
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाऐं..
होली पर्व का अब मज़ा आया आपको सपरिवार शुभकामनाएँ + बहुत बधाई
ReplyDelete- लावण्या
अनुपम रंगों की बौछार
ReplyDeleteकरती रचना के लिये
आपका आभार
हमारी ओर से बधाई करें स्वीकार
अति सुंदर रचना.
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है
सुनीताजी शुभ होली।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती
सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeletebadhiya rachna Sunita ji aap ko bhi holi ke dher saari shubhkaamnaayein
ReplyDeleteबादलों की उपमा कपास के फूल से ,परिंदों का झुंड बारात ,बांस में बांसुरी के वजाय शहनाई ,चिलचिलाती धूप की तुलना सरसों के बागानों से ,चारों ओर प्रकृति विखेर दी
ReplyDeleteaap to bahut achchha likhti hain.keep it up dear.
ReplyDeleteलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए बधाई
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
http://www.rachanabharti.blogspot.com
कहानी,लघुकथा एंव लेखों के लिए मेरे दूसरे ब्लोग् पर स्वागत है
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रेखा चित्र एंव आर्ट के लिए देखें
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ReplyDeleteलगातार लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं
सुन्दर रचना के लिए बधाई
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बहुत बाड़िया... वाकई मे पड़कर आनंद आगय..
ReplyDeleteमे कुछ जान ना चाहता हूँ वो ये हे की.. आप कौनसी टाइपिंग टूल यूज़ करते हे…?
रीसेंट्ली मे यूज़र फ्रेंड्ली टूल केलिए डुंड रहा ता और मूज़े मिला “क्विलपॅड”…..आप भी इसीका इस्तीमाल करते हे काया…?
सुना हे की “क्विलपॅड” मे रिच टेक्स्ट एडिटर हे और वो 9 भाषा मे उपलाभया हे…! आप चाहो तो ट्राइ करलीजीएगा…
http://www.quillpad.in
दीवाली आ रही है
ReplyDeleteऔर
आप अभी तक
होली की मुबारकबाद ही बांट रही हैं
कुछ पटाखे
फुलझडि़या भी छोडि़ए