चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Monday, November 26, 2007

जिन्दगी कुछ ठहर सी गई...

दोस्तों आयोजन के इस चक्कर में जिन्दगी कुछ ठहर ही गई है...कुछ खुशीयाँ आपके साथ बाँटना भूल गई थी...अभी कुछ समय पूर्व (२ नवम्बर) को मेरे ब्लोग का जिक्र राजस्थान पत्रिका मे हुआ था इसके बाद(४ नवम्बर)मेरी एक रचना अमर उजाला में प्रकाशित हुई थी...मेरे लिये ये बेहद खुशी की बात थी मगर मै आपके साथ इसे बाँट ना पाई... आशा करती हूँ आप सभी का प्यार व स्नेह हमेशा मिलता रहेगा...






सुनीता(शानू)

Wednesday, November 21, 2007

लिजिये प्रस्तुत है कवि गौष्ठी के कुछ विडियो



विडियो से हमारा ब्लोग खुल नही रहा था इसीलिये
हमने हटा दिये है....


आप सभी को यह जानकर खुशी होगी कि आप सभी के सहयोग से हमारी गौष्ठी सफ़ल रही...और उन्हे मै कैसे भूल सकती हूँ प्रतीक शर्मा जी होशंगाबाद से जिन्होने नेट पर इस काव्य-गौष्ठी को प्रसारित करने में हमारी मदद की...कुछ इन्टरनेट की परेशानी वश मैं विडियो अपलोड नही कर पाई थी...मगर निराश न हो हाजिर है आप सभी के लिये कार्यक्रम की एक रिपोर्ट...






इस सम्मेलन की शाम जो रौनक बन कर आये...उन सभी की मै तहेदिल से कृतज्ञ हूँ...




संजय गुलाटी मुसाफ़िर जी ने किया कार्यक्रम का शुभ-आरम्भ...मगर उन्होने बहुत सोच-समझ कर राकेश जी के सम्मानित हाथों में सौपं दिया....






अभिनंदन समारोह






और अब राकेश जी के पुण्य हाथो से शुरुआत हुई हमारे कार्यक्रम की...

सबसे पहले हुआ राकेश जी द्वारा संचालन
और विनोद पाराशर जी का काव्यपाठ


महेश चंद्र गुप्त जी(खलिश) ने भी समा बांध दिया ...

राजीव तनेजा जी को हम कैसे भूल सकते है....पहला काव्य पाठ किया था उन्होने...

और नन्हा कवि अक्षय चोटिया क्या बात है


अजय जी आज आप गज़ल गाना भूल गये शायद....खैर बहुत सुन्दर कविता ने सभी को खुश कर दिया...

अविनाश वाचस्पति जी और पवन चंदन जी को हम दो नाम एक शख्स समझा करते थे...
बहुत सुन्दर सुनाया आप दो ने...

दिनेश रघुवंशी जी बहुत ही सुन्दर गीतकार है
उनका यहाँ आना हमारे लिये खुशी की बात थी और आपके साथ ज्योति कलड़ा जी का भी हार्दिक अभिनन्दन करते है...


अरे पंगेबाज से हमने पंगा नही लिया था...अरूण भाई आपका नाम तो समीर भाई ने लिया था...मगर आपकी कविता भी सबके मन को भा गई...
जिन्हे सुनने के लिये आप बेताब है लिजिये मिलिये सभी के प्रिय हमारे गुरुदेव समीर लाल जी


और हमने भी सुना ही दी एक कविता...अरे नही नही हमे तो विशेष डिस्काउंट मिला था ३ कवितायें सुनाने का...:)


सजीव जी की कवितायें भी उन जैसी ही सजीव है...


निखिल और शैलेश एक उभरता हुआ सितारा...आप सभी आशीर्वाद दे हम सभी को...


मोहिन्दर भाई क्या कहने....

अन्त मे परम आदरणीय हमारे गुरू के भी गुरु...
राकेश जी आपकी ही प्रतिक्षा में हैं हम सभी...


महफ़िल तो रौशन हो चुकी है मगर वो शक्स कहाँ है जो परवान हुई इस महफ़िल को समय की सीमा में बाधँ सके...
एक बार फ़िर आये कुँवर बेचैन साहब सभी की बेचैनी कम करने...


आप सभी का कोटि-कोटि आभार...

http://www.youtube.com/shanoo03

इस लिन्क पर जाकर आप अपनी कविता सुन सकते है

सुनीता(शानू)


Wednesday, November 14, 2007

सादर-अभिनंदन

आप सभी जिन्होने इस कवि-गौष्ठी को सफ़ल बनाने में मेरा साथ दिया है मै हृदय से नमन करती हूँ,

और बहुत से लोग जो नेट पर हमे देख सुन रहें थे उनका भी हार्दिक अभिनंदन करती हूँ,किसी भी कार्य की सफ़लता में कुछ बातें जरूरी होती है....विश्वास,लगन,और गुरूजनो का आशीर्वाद....यही इस कार्यक्रम की सफ़लता का राज है...मुझे आप सब पर और खुद पर पूरा विश्वास था और गुरूजनो का आशीर्वाद हमारे साथ था...तो कैसे न होती कामयाबी....मुझे बहुत से लोगो की व्यक्तिगत टिप्पणीयाँ मिली है मगर मै जानती हूँ उन पर आप सभी का हक है ...अतः यहाँ प्रकाशित कर रही हूँ....



कविता के सागर से निकली संवेदनाओं की खुश्बू मुझ तक पहुंची। बधाई। छोटी-छोटी कोशिशें कितना बड़ा काम कर जाती हैं, इतिहास हमें इनके उदाहरण देता है। यह आयोजन भी आने वाले दिनों में उसी इतिहास का हिस्सा होगा। कविता में बदलाव के सारे बड़े संदभॆ ऐसे ही छोटी-छोटी पगडंडियों से गुजरते हैं। समय सारी कोशिशो को अपने रजिस्टर में लिखता रहता है। ऐसे दौर में जब महानगरों में अतिथि के सत्कार से पहले उससे होने वाले ळाभ गिनने की रवायत चल रही हो, इस तरह के आयोजन को धारा के विपरीत एक जरूरी कोशिश के तौर पर दजॆ किया जाना चाहिए। हिंदी भाषा और हिंदी भाषी समाज दोनों पर अपने समय से पीछे चलने का आरोप है। तकनीकी से परहेज और कूप-मंडूक होने के तकॆ अक्सर दिए जाते हैं। लेकिन कमाल है साहब, हिंदी और तकनीकी के संगम ने होशंगाबाद, अमेरिका और दिल्ली सबको एक जगह जुटा दिया। मैं आप सब के लिए सिफॆ एक लफ्ज लिखना चाहूंगा-

जिंदाबाद।।।।

-प्रताप सोमवंशीस्थानीय संपादक,

अमर उजाला हिंदी दैनिक, ८९ इंडस्टियल

एस्टेट कानपुर


एक श्रोता एसे भी थे जो फोन पर ही कवि-गौष्ठी का आनंद ले रहे थे...


सुनीता जी नमस्कार,
मै कई दिनों से आपके घर होने वाले आयोजन की प्रतिक्षा कर रहा था,आज मैने इन्टरनेट के माध्यम से आपके आयोजन में जुड़ने की काफ़ी कोशिश की किंतु नाकामयाब रहा.तब मुझे एक उपाय सूझा,मैने सीधे आपके दिये हुए टेलिफोन पर नम्बर लगाया,जिन सज्जन ने फोन उठाया उनसे मैने कवि सम्मेलन सुनने की ख्वाहिश अर्ज की जिसे उन्होने स्वीकार कर लिया...और इस तरह मुझे फोन पर कवि सम्मेलन सुनने का मौका मिला.

मै ज्योति अरोड़ा जी के पहले काव्यपाठ कर रहे कवि की कविता अधूरी सुन पाया,अतः टिप्पणी नही कर सकूँगा.ज्योति जी की रचनायें सुनी,उनमें नयोचित कोमलता के साथ एक दबा हुआ सुप्त ज्वालामुखी अपनी पूर्ण ऊष्मा और ऊर्जा को संजोये परिलक्षित होता है

ज्योति जी के बाद संजीव जी का गीत सुबह के शीतल पवन झकोरों से उठती ताजगी का एहसास दे गया,वरिष्ठ गीतकार कुअर बेचैन तो जीवन्त किवंती (लिविंग लीजेण्ड) है-समकालीन समग्र भारतीय साहित्य की एसी निधी -जिसने शब्दो को अपने इशारों पर नचाया है और उन्हे जनसामान्य के समेकित सरोकारों को प्रतिध्वनित करने के लिये विवश किया है,समीर जी की कविता उनकी व्यापक सोच का सार्थक प्रतिबिम्बन करने में और साधारण सी अभिव्यक्तियों में छुपी कविता को निरायास अनावृत करने में कामयाब रही हैं

राकेश जी की रचनायें उनके विराट साहित्यिक व्यक्तित्व के अनुरूप रहीं.


आयोजन की सूत्रधार सुनीता(शानू) की कविता के नये तेवर जहाँ एक ओर नव-समाज की वैचारिक बारिकियों,प्ररुतियों और मनोदशा के नये सिरे से विश्लेष्णात्मक पड़ताल करते हैं वहीं दूसरी तरफ़ अपने बौध्विक दायित्वों से भी नावाकिफ़ नही हैं,वास्तव में व्यंग्य का उध्देश्य हँसाने की अपेक्षा मर्म पर चोट करने का ज्यादा है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में सुनीता जी की रचना प्रेम का प्रमाणपत्र एक सफ़ल रचना हैं.


शेष रचनाकारों को मै सुन नही पाया लेकिन उम्मीद है कि उनकी रचनाओं ने भी कवि सम्मेलन की ऊँचाईयां प्रदान की होगी, इस सफ़ल आयोजन हेतु आपको कोटिशः बधाइयां.

भवदीयः

आनन्द कृष्ण, जबलपुर.



आप सभी को जिस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार है बह कुछ ही दिनो में आप विडियो सीडी के द्वारा देख और सुन सकेंगें....

सुनीता(शानू)

Thursday, November 8, 2007

कृपया ध्यान दिजियेगा...

आप सभी कवियों व श्रोताओ को सूचित किया जाता है कृपया आयोजन स्थल का पता नोट कर लें सभी के ई मेल एड्र्स नही आये है अतः मेरे लिये बहुत मुश्किल है आप सभी को बता पाना...जिनके है उन्हे मेल की जा सकती है मगर बाकि लोग पता व फोन नम्बर नोट कर लिजिये...

मंगलमय हो दीपो की माला
आप खुशियाँ खूब मनायें
भूली-बिसरी व्यर्थ की बातें
दिल से आज हटायें
गायें गीत नया ही कोई
छेड़े नया तराना
बस इतना है नम्र निवेदन
मुझको भूल न जाना

आप सभी को दीपावली बहुत-बहुत मुबारक हो...

Wednesday, November 7, 2007

निवेदन

सभी ब्लॉगर भाईयों,बहनो,दोस्तों.... से अनुरोध है अपना ई-मेल पता व फोन नम्बर शीघ्र दे दें..
जो लोग काव्य गोष्ठी में आ रहे है उनके नाम कल आ गये थे...और भी आना चाहते है तो आपका स्वागत है...
http://shanoospoem.blogspot.com/2007/11/blog-post_06.html


सुनीता(शानू)


Tuesday, November 6, 2007

कवियों और श्रोताओं के नाम...

आदरणीय हो सकता है कि फ़िर कोई गलती हो गई हो...माफ़ी चाहती हूँ...मै जिनके नाम लिख रही हूँ उन्होने अपनी उपस्थिती दर्ज करवा दी है...मगर जो संकोच वश नही करवा रहे है वो भी आमंत्रित है...अगर कोई गलती से अभी भी लिस्ट में रह गये हो बुरा न माने आप सभी सादर आमंत्रित है...

कवि + श्रोता

१.राकेश खंडेलवाल जी
२.समीर लाल जी
३.प्रत्यक्षा जी
४.डॉ.व्योम जी
५.महेश चंद्र खलिश जी
६.विजेंद्र एस विज जी
७संगीता मनराल जी
८.आलोक पुराणिक जी
९.अविनाश वाचस्पति जी
१०.नीरज दीवान जी
११.अरूण अरोड़ा जी
१२.सजीव सारथी जी
१३.अजय यादव जी
१४.भुपेंद्र राघव जी
१५.पवन चंदन जी
१६.चिराग जैन जी
१७.विनोद पाराशर जी
१८.अक्षय चोटिया जी
२०.सुनीता(शानू)
२१.अमित कुमार जी( दहिया बाद्शाह पोयट्री क्लब )
२२.विंग कमांडर प्रफ़ुल बक्षी जी
२३.कवि दिनेश रघुवंशी जी
२४.कवि सुनील जोगी जी(अभी पक्का नही)
२५.जज राजकुमार जी
२६.रिपुदमन जी(अभी पक्का नही)
२७.संजय गुलाटी जी मुसाफ़िर
२८.प्रो. अरविंद चतुर्वेदी जी

30.मोहिन्दर जी
३१.निखिल आनंद गिरी


श्रोता

१.राजीव तनेजा जी
२.राजीव अविवाहित
३.मैथिली जी
४.शैलेश जी
५.कमलेश मदान जी
६.सृजन शिल्पी जी
७.नीरज शर्मा जी
८.राजेश रोशन जी
९.मसिजीवी जी
१०.नीलीमा जी
११.सुजाता जी
१२.अतुल जी
१३.रंजना भाटिया जी
१४.जगदिश भाटिया जी
१५. रमेश जी
१६.विनोद बहल जी
१७.संदीप कपूर ओम जी
१८.मीनू जी
१९.अविनाश जी मौहल्ला
२०.अमित जी
२१.यशवंत जी

२२.महेन्द्र जी
२३. बालकिशन जी
२४.पारुल
२५.पुनित ओमर

कृपया जिन लोगो का नाम याद नही आ रहा है वे भी आयें...
सभी कवि श्रोता भी है अतः यह न सोचे कि श्रोता कम है...


आप सभी लोगो से अनुरोध है मुझे अपना ई मेल एड्रस अवश्य दे दें...ताकि मै आप सभी को मेरा फोन नम्बर व आयोजन स्थल का पता दे सकूं...

कृपया जिन बंधुँओ को जानकारी है लाईव ब्रोडकास्ट की कृपया मदद करें मुझे इस बारे में ज्यादा जानकारी नही है...क्यों कि बहुत से लोग दूर है और चाहते है समीर भाई और राकेश भाई के साथ हमारी गोष्ठी...तो कृपया वो लोग मदद करें और आगे आयें...

सादर

सुनीता(शानू)

Sunday, November 4, 2007

लिजिये प्रस्तुत है आमंत्रित कवियों और श्रोताओ की लिस्ट

जैसा कि मैने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा था,कि ४ तारीख तक आप सब मुझे अपना नाम कवि या श्रोता के रूप में दर्ज करवा दें...तो अभी तक जिन लोगो ने अपना नाम ई-कविता , अनुभूति व हिन्द-युग्म गुगलसमूह मेल के जरिये प्रेषित किया है , और जिन्होने चिट्ठे पर आकर दर्ज करवाया है
सभी के नाम मै यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ...आशा करती हूँ वह सब समय पर पहुँच जायेंगे...आप सब को मै व्यक्तिगत मेल के जरिये अपना पता व फोन नम्बर दे दूँगी...कृपया जिन आदरणीय के ईमेल पते चिट्ठे पर नही है वह मुझे भेज दें...ताकी मै आपको आने का पता दे सँकू...वैसे तो प्रताप नगर मेट्रो स्टेशन है आराम से पहुँचा जा सकता है फ़िर भी कौन किस और से आयेगा इसका ध्यान रखकर एक नक्शा बनाया जायेगा...मै आप सब को यथा समय मेल कर दूँगी....

बहुत से लोग अभी भी अपने आने का दर्ज नही करवा पाये है उन सबसे निवेदन है एक-दो दिन में जल्द बता दें...आप समझिये मेरी परेशानी को
...आप सब के आने का पक्का होने पर ही सभी के खाने का प्रबंध हो पायेगा...सबकी पसंद की व्यवस्था होगी वेज /नान वेज...तो कितने लोगो की व्यवस्था करनी है इसमे आप अपनी आमद लिखवा कर मेरे साथ सहयोग किजिये...आपकी अति कृपा होगी...
कहीं ऎसा न हो की बैठने की कुर्सी कम पड़ जाये...जगह बहुत है मगर सीट उतनी ही लगवाई जायेगी जितने लोग आयेंगे... बाहर से आने वालो को अगर वो रूकना चाहते है तो अपने ठहरने कि व्यवस्था खुद ही करनी होगी...



आने वाले कवियों मे मुख्य है
.....................................................


राकेश खंडेलवाल जी
समीर लाल जी
प्रत्यक्षा जी

विजेंद्र एस विज जी
संगीता मनराल जी
महेश चंद्र गुप्त जी


संजय गुलाटी मुसाफ़िर जी
अविनाश वाचस्पति जी
नीरज दीवान जी


सजीव सारथी जी
अजय यादव जी
बी राघव जी

पवन चंदन जी
अक्षय चोटिया (ग्यारह साल का कवि)


श्रोता गण...
..................

मैथिली जी
अरूण अरोड़ा जी
शैलेष जी
कमलेश मदान जी
सृजन शिल्पी जी
नीरज शर्मा जी
राजेश रोशन जी
राजीव कुमार जी (अविवाहित)
पवन चंदँन जी


इसके अलावा कुछ मान्यवर एसे है जिन्हे मै बुलाना चाहती हूँ मगर वो आ नही पा रहे...या तो वो दूर है या मजबूर है...कुछ ने मेरे चिट्ठे पर टिप्पणी भी की है...
उनसे अनुरोध करती हूँ भविष्य में एक बार जरूर आने का कष्ट करें...इस वक्त मै ज्यादा जोर नही दे सकती क्योंकि यह दिपावली का पर्व है सभी व्यस्त भी होते है...

जिनके नाम इस प्रकार से है...

सारथी जे सी फिलिप
कवि कुलवन्त जी
संजीव तिवारी जी
संजीत त्रिपाठी जी
अफ़लातून जी
संजय भाई पटेल जी
संजय बेगानी जी
हर्षवर्धन जी
आशीष जी
महाशक्ती जी
पंकज अवधिया जी
दीपक भारतदीप जी
घुघूति जी
अनिता कुमार जी
मीनाक्षी जी
आशा जी
ममता जी
इन सब का नाम मैने दूसरी काव्य गौष्ठी के लिये रिजर्व कर लिया है तब कोई भी बहाना नही चल पायेगा...:)


फ़ुर्सतिया जी,हरिराम जी आलोक पुराणिक जी,जगदिश भाटिया जी मसिजीवी,मौहल्ला, अतुल जी,अरविन्द चतुर्वेदी जी,नीलिमा जी, सुजाताजी,रचना जी,काकेश जी, अमित जी,और मेरे हिन्द-युग्म के सभी सदस्य...क्या बात है भाई किस बात पर नाराज है आप सब...और बहुत से एसे लोग है जिनका नाम शायद मै भूल रही हूँ कृपया याद दिलायें...भूलने के लिये माफ़ी चाहती हूँ

आप सभी का सहयोग अपेक्षित है...मेलजोल की भावना हमे आपस में एक सूत्र में पिरोये रख सकती है...कृपया आप सीधे मेरे ब्लोग पर सम्पर्क करें कि आप अवश्य आ रहे है...



सुनीता(शानू)

Saturday, November 3, 2007

आईये ले चले चक्रधर के हास्य अखाड़े में


हमें तो मालूम ही न था कि ऎसी गज़ब कुश्ती होगी...बाईस पहलवान कवियों जिनमें दो अन्य कवियित्रीयाँ भी होंगी...सबने मिलकर हम पर अपनी कविताओं के साथ आक्रमण कर डाला...मगर हम भी डट कर उनका मुकाबला करते रहे....

लेकिन भैया हमारे साथ ऎक नाईन्साफ़ी हो गई हमारी प्रतियोगी कविता जो हम तीन दिन से रट रहे थे हमसे पहले एक ब्लागरिया कवि मित्र सुना गये...
हमने उनसे पूछा यह क्या गज़ब किया अब हम क्या सुनायेंगे...बहुत शर्मिंदा हुए और हमसे क्षमा मागंगे लगे...खैर तूफ़ानो में चलते है वो ही वीर सूरमा निकलते है हम अपनी दूसरी कविता को लेकर चकल्लस के अखाड़े मे उतर ही गये....
मगर अफ़सोस हमे तीसरा स्थान मिला..और उस तीसरे स्थान का भी निखिल आनंद गिरी के साथ बँटवारा हो गया...शुक्र है वो हमारे हिन्द-युग्म का ही सदस्य था वरना.........वरना क्या कर लेते भैया...ना तो चोरों का कोई ईलाज़ है न ही प्रतियोगी का...बाकी दो कवियित्रीयाँ भी अपना-अपना परचम फ़हरा ही गई जिनमे से एक हमारी हिन्द-युग्म की रंजना भाटिया थी...जो कह रही थी कि मेरा गला खराब है और आखिर गले में खराबी के साथ कविता सुना ही आई....

तो दोस्तों बस इतना ही बताऒ कि उस कविता चोर का क्या किया जाये...क्या कविता चोर से डर कर कविता ब्लोग पर पोस्ट न की जाये...या कोई आपकी कविता आपके ही मुँह पर सुना आये और आप मुँह ताकते रह जायें....


चलो जीत तो लाये है आप लोगो के लिये प्रतियोगिता का तीसरा ईनाम...अब कुछ तालीयाँ आप भी बजाईये....

१२ नवम्बर को आप सबका हार्दिक स्वागत है कृपया आप सभी कवि व श्रोता ४ तारीख तक अपनी उपस्थिती दर्ज करवायें...


सुनीता(शानू)

अंतिम सत्य