चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Tuesday, September 3, 2019

तुम्हारी उदासी






तुम जब भी उदास होते हो 
मै उन वजहों को खोजने लगती हूँ जो बन जाती है 
तुम्हारी उदासी की वजह 
और उन ख़ूबसूरत पलों को 
याद करती हूँ 
जो मेरी उदासी के समय
तुमने पैदा किये थे
मुझे हँसाने व रिझाने के लिये
काश! कभी तो मिटेंगे एक साथ ये उदासी के काले बादल
जब हम दोनों को
नहीं करना होगा जतन
एक दूसरे को हँसाने का
हम मिलकर हंसेंगे एक साथ

अंतिम सत्य