चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Tuesday, June 16, 2020

छुपे हुए ख़त

मोहब्बत के अवशेष
सब कुछ खत्म होने के बाद भी
कुछ अवशेष बचे रह जाते हैं 
जो बताते हैं कि खत्म कुछ नहीं होता
रबर से मिटाने पर भी काग़ज़ पर
अक्षर अपना निशान छोड़ जाते हैं
वैसे ही तुम्हारा आना और
मेरी प्रोफाइल में झांकना दर्ज होगा एक सदी में
कि यह तुम्हारे सकुशल होने का संदेश भर है
जब कभी सोशल मीडिया की फाइलें खंगाली जाएंगी
न जाने कितने प्रेम पत्र मिलेंगे 
कुछ सेव कुछ डिलीट किए 
कुछ छूट गए होंगे 
तुम्हें जवाब देने की प्रतिक्षा में
ये अवशेष मोहब्बत की नई दास्तान सुनाएंगे
इन्हें कम मत आंकिए 
यह किसी की अंतिम सांसों का हिसाब होंगे
इनमें जी रही होगी एक सभ्यता
जो खामोशी से दफ़न हो गई होगी
यह हरगिज़ कम नहीं होंगे
मोहन-जोदड़ो या हड़प्पा की खुदाई से मिले अवशेषों से भी।

अंतिम सत्य