चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Tuesday, September 3, 2019

तुम्हारी उदासी






तुम जब भी उदास होते हो 
मै उन वजहों को खोजने लगती हूँ जो बन जाती है 
तुम्हारी उदासी की वजह 
और उन ख़ूबसूरत पलों को 
याद करती हूँ 
जो मेरी उदासी के समय
तुमने पैदा किये थे
मुझे हँसाने व रिझाने के लिये
काश! कभी तो मिटेंगे एक साथ ये उदासी के काले बादल
जब हम दोनों को
नहीं करना होगा जतन
एक दूसरे को हँसाने का
हम मिलकर हंसेंगे एक साथ

Wednesday, August 21, 2019

रिश्ते






रिश्ते निभाये जा रहे हैं 
सीलन, घुटन और उबकाई के साथ
रिश्ते निभाये जा रहे हैं 
दूषित बदबूदार राजनीति के साथ
रिश्तों में नही दिखती जरूरत अपनापन
रिश्ते दिखने लगे हैं दंभ के चौले से
मेरी तमाम कोशिशें नाकाम करने की ख़्वाहिश में
रिश्तों ने ओढ़ ली है काली स्याह चादर
डर है कहीं ये साज़िशें अपने नुकीले डैनो से 
तोड़ न दे संसार हमारा। 
सुनीता शानू

अंतिम सत्य