चाय के साथ-साथ कुछ कवितायें भी हो जाये तो क्या कहने...

Saturday, March 14, 2020

रुपायन में प्रकाशित...दोहे फ़ागुन के...


5 comments:

  1. होली पर इससे खूबसूरत और कुछ नहीं पढ़ा | एक दिन सामने रूबरू सुनेंगे आपको

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    1. हां अजय 18 के बाद हम सब मिलते हैं, ब्लाग पर मीटिंग के लिए।

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  2. बढ़िया दोहे।
    कभी तो दूसरों के ब्लॉग पर भी अपनी टिप्पणी दिया करो।

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  4. अति सुंदर, सरस एवं मनोरंजक गीत। यह काव्य पढ़कर ही आनन्द उठा रहे हैं। क्योंकि कोरोना के भय से इस वर्ष होली-रंग-गुलाल के सारे कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

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स्वागत है आपका...

अंतिम सत्य