Tuesday, February 12, 2013
तुम यहीं कहीं हो पास मेरे
यादों की स्याही से लिखा था
जो खत तुमने
हर शब्द चूमा है
अधरों ने
तुम्हें याद कर
कि जैसे उभर आई हो
तस्वीर तुम्हारी
इन शब्दों में
तुम दूर हो मुझसे
यह कह भी दिया
किसने तुम्हें
साँसों का कहना है
कि ये
तुमसे होकर
समा जाती है
मुझमें
जब भी उठती है सीने में
एक लहर-सी
तुम आते हो
और हाथ अपना रख
कर देते हो
चुप उसे
हर सिहरन का होना भी
अहसास दिलाता है
कि तुम यहीं कहीं हो
पास मेरे।
शानू (मन पखेरु उड़ चला फिर काव्य-संग्रह से)
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सुंदर एहसास सुनीता जी ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...
बहुत प्यारे कोमल से एहसास ...
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteबहुत सुंदर...हृदयस्पर्शी ....
ReplyDeleteप्रेम का भीना सा एहसास लिए ... कोमल भाव लिए ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteकुछ अपने से एहसास...
अनु
क्या बात है ...प्यार का एक अलग ही अंदाज़ ...बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूसूरत, कोमल एहसास ... दिल को छूता हुआ निकल गया...
ReplyDelete~सादर!!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 14-02 -2013 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
आज की नयी पुरानी हलचल में ..... मर जाना , पर इश्क़ ज़रूर करना ...
संगीता स्वरूप
.
रोमांटिक रचना | बेहद प्रभावी और खूबसूरत शब्द | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
क्या खूब कहा आपने या शब्द दिए है
ReplyDeleteआपकी उम्दा प्रस्तुती
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
आज 19/02/2013 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
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