tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post8675853288083005037..comments2024-03-27T14:14:46.377+05:30Comments on मन पखेरू उड़ चला फिर: आईये एक बार फ़िर ले चलें हास्य की दुनियाँ मेंसुनीता शानूhttp://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-24874557864772206372013-05-10T15:10:04.676+05:302013-05-10T15:10:04.676+05:30Sunita Shanoo ji,
Nameste,
Karwa C ke bahane, aac...Sunita Shanoo ji, <br />Nameste,<br />Karwa C ke bahane, aacha majak kiya hum puruso ke sath, bahut maja aaya.<br />Thanks.ummedmalviyahttps://www.blogger.com/profile/05410605574523948583noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-37701216521443440472007-11-05T07:32:00.000+05:302007-11-05T07:32:00.000+05:30उल्लू ऐसे ही नहीं पुज जातापूजने वाले से होता है दि...उल्लू ऐसे ही नहीं पुज जाता<BR/>पूजने वाले से होता है दिल का गहरा नाता।<BR/><BR/>पसंद आई, कविता तताई।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-18033789444280021972007-10-30T19:13:00.000+05:302007-10-30T19:13:00.000+05:30आपको प्रणाम, बड़ी हिम्मत दिखाई जो खुले आम उल्लुओं क...आपको प्रणाम, बड़ी हिम्मत दिखाई जो खुले आम उल्लुओं की सभा में उल्लु को उल्लु कह दिया , सुना तो यही था कि अंधे को अंधा कहो तो उसे गुस्सा आता है यहां तो सब खुश हो रहे हैं , ये आप के लेखन का ही कमाल है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-78145880651977171592007-10-30T00:43:00.000+05:302007-10-30T00:43:00.000+05:30हा हा!! बहुत सही!! पूज लिया कि नहीं. :)हा हा!! बहुत सही!! पूज लिया कि नहीं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-87913765477847716472007-10-29T20:03:00.000+05:302007-10-29T20:03:00.000+05:30बहुत सुंदर और प्रसन्श्नीय है आपकी कविता, नि: संदेह...बहुत सुंदर और प्रसन्श्नीय है आपकी कविता, नि: संदेह हास्यपूर्ण है,मज़ा आ गया.रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-73654547703886573992007-10-29T17:28:00.000+05:302007-10-29T17:28:00.000+05:30एक और उल्लू की तरफ से बधाई स्वीकार करेंएक और उल्लू की तरफ से बधाई स्वीकार करेंSagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-15650805349487842962007-10-29T14:47:00.000+05:302007-10-29T14:47:00.000+05:30@ पर मैं हरिराम जी की बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि ...@ पर मैं हरिराम जी की बात से बिल्कुल सहमत हूँ कि शुभ लक्ष्मी या तो पद्मासना है या ऐरावत पर बिराजमान है। उल्लू को काली लक्ष्मी का वाहन है।नीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-63491318800546012792007-10-29T14:21:00.000+05:302007-10-29T14:21:00.000+05:30हा ...हा.....हा....मज़ा आ गयाहा ...हा.....हा....<BR/>मज़ा आ गयाKavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-45855577987520939912007-10-29T13:55:00.000+05:302007-10-29T13:55:00.000+05:30बहुत खूब सुनीता जी. बात वही है पर अंदाजे बयां निरा...बहुत खूब सुनीता जी. बात वही है पर अंदाजे बयां निराला है. उल्लूओं के विशेष पर्व पर बधाईयां.कामोद Kaamodhttps://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-50786010790699350562007-10-29T12:45:00.000+05:302007-10-29T12:45:00.000+05:30हा हा हा । कविता के बहाने उल्लूओं (पतियों) को खूब...हा हा हा । कविता के बहाने उल्लूओं (पतियों) को खूब लपेटा है। पर सारी समझदार पत्नियां (उल्लूओं की) पूजा करती है और उनमें आप भी होंगी। चुटीला व्यंग्य है। <BR/>करवा चौथ की शुभकामनाऍंनीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-80346584361694226852007-10-29T12:33:00.000+05:302007-10-29T12:33:00.000+05:30अच्छी भड़ास निकाली है आपने आज के दिल लेकिन कैसे य...अच्छी भड़ास निकाली है आपने आज के दिल लेकिन कैसे यकीन करें कि रात चांद निकलने पर आप थाली भर शुभकामनाएं लिये दिन भर की भूखी प्यासी किसी अपने की सलामती के लिए दुआएं नहीं मांग रही होंगी. बधाई सरस रचना के लिएकथाकारhttps://www.blogger.com/profile/05339019992752440339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-61622244684865658162007-10-29T10:45:00.000+05:302007-10-29T10:45:00.000+05:30देवियों की पूजा तो 24/7 या हरदिन हरसमय होती है, चल...देवियों की पूजा तो 24/7 या हरदिन हरसमय होती है, चलिए एक दिन ही सही पति-'देव' तो बने!<BR/><BR/>@राजीव जी,<BR/>असल में उल्लू का अर्थ है 'उल्टा लटकने वाला'। चिमगादड़ उल्टा लटके रहते हैं, रात्रिचर होता है। आरम्भ में इसी का नाम उल्लू था। शायद अपभ्रंश या भ्रम वश रात्रिचर पक्षी 'घुघ्घू' को उल्लू कहा जाने लगा। उलटी-बुद्धि वाले या बेवकूफों के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा यह शब्द। काली-लक्ष्मी(Black-money) का वाहन है यह। सफेद-लक्ष्मी (White-money) का वाहन तो श्वेत हाथी 'ऐरावत' होता है।हरिरामhttps://www.blogger.com/profile/12475263434352801173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-22052725352270710522007-10-29T02:27:00.000+05:302007-10-29T02:27:00.000+05:30सुनीता जी, यह रहस्य तो आपने खूब बताया... मगर वे उल...सुनीता जी, यह रहस्य तो आपने खूब बताया... मगर वे उल्लू हुए क्यों?... कौन सा ऐसा मूर्खतापूर्ण कार्य करने से वे उल्लू हो गये... वही कार्य, जो न किया होता तो इस पूजन के अधिकारी न होते... ;)<BR/><BR/>(इस प्रतिक्रिया को हास्य मिश्रित ही माना जाय)Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-34000103736316411462007-10-29T01:27:00.000+05:302007-10-29T01:27:00.000+05:30@बहुत खूब...सही खिचाई की है आपने ...आप खीचती रहें ...@बहुत खूब...सही खिचाई की है आपने ...आप खीचती रहें और हम खिचते रहेराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-2770734643652850282007-10-28T23:40:00.000+05:302007-10-28T23:40:00.000+05:30अच्छा मौका हाथ लगा है आपके कि हास्य के बहाने बहुतो...अच्छा मौका हाथ लगा है आपके कि हास्य के बहाने बहुतोंँ को लपेटे में लेने के लिया -- शास्त्री<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती हैShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-52276127466883799842007-10-28T23:07:00.000+05:302007-10-28T23:07:00.000+05:30बहुत खूब!!बहुत खूब!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-19540044731864720192007-10-28T16:49:00.000+05:302007-10-28T16:49:00.000+05:30:) :) :) :) खूब कहा ! बहुत सुन्दर रूप मे हास्य व्य...:) :) :) :) खूब कहा ! बहुत सुन्दर रूप मे हास्य व्यंग्य .... ! संजय जी , काश सभी आप जैसे सोचे.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-30569170585357993982007-10-28T16:46:00.000+05:302007-10-28T16:46:00.000+05:30क्या खूब लिखा है आपने। अच्छा अंदाज़ है व्यंग्य प्र...क्या खूब लिखा है आपने। अच्छा अंदाज़ है व्यंग्य प्रहार का, मज़ा आया पढ़ कर।arbudahttps://www.blogger.com/profile/17056310326068841113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-45177228772742980792007-10-28T16:02:00.000+05:302007-10-28T16:02:00.000+05:30अच्छा लपेटा है शानू जी पतियों को, बहुत खूब, हास्य ...अच्छा लपेटा है शानू जी पतियों को, बहुत खूब, हास्य se भरपूर रचना के लिए बधाई.<BR/> <BR/>देखिये रामधारी सिंह दिनकर जी कुरुक्षेत्र में क्या कहते है -<BR/><BR/>यह् परीक्षित भूमि, यह् पोथी पठित, प्राचीन <BR/>सोंचने को दे उसे अब बात कौन नवीन ?<BR/>यह् लघुग्रह भूमिमंडल, ब्योम यह् संकीर्ण, <BR/>चाहिए नर को नया कछु और जग विस्तीर्ण. <BR/>घुट रही नर बुद्धि की है साँस; <BR/>चाहती वह कुछ बड़ा जग कुछ बड़ा आकाश.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-12014076697445448982007-10-28T15:12:00.000+05:302007-10-28T15:12:00.000+05:30पूरी उल्लू बिरादरी का लक्ष्मी जी को प्रणाम.कृपा बन...पूरी उल्लू बिरादरी का लक्ष्मी जी को प्रणाम.<BR/>कृपा बनाए रखें...क़ायदे से तो पतियों को भी एक दिन के लिये अपनी सहचरी के लिये दिन भर भूखा रहना चाहिये..क्यॊंकि पूरे साल भर जो दोनो समय गरम गरम फ़ुलके बना कर पूरे नेह और समर्पण से आहार देती हो उसका भी मान रखा जाना चाहिये एक दिन...sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.com