tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post6891284641359374616..comments2024-03-27T14:14:46.377+05:30Comments on मन पखेरू उड़ चला फिर: चलिये थोड़ा हास्य हो जायेसुनीता शानूhttp://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-84151951021292536222007-08-19T21:07:00.000+05:302007-08-19T21:07:00.000+05:30सुनीता जी,आपकी यह कविता और उसका रंग संयोजन, दोनों ...सुनीता जी,<BR/>आपकी यह कविता और उसका रंग संयोजन, दोनों ही बहुत आकषॆक है। आज यूं ही नेट पर हिंदी कविता सचॆ कर रहा था। आपकी कविता भी उसी तलाश का हिस्सा है। हाई-५ के जरिए मुलाकात और अब इस ब्लाग साइट पर आपको पढ़ना, अच्छा लगा। लिखते रहिए, यही हमें एक रिश्ते से बांधता है।<BR/>मुझमें तुझमें बस एक रिश्ता है,<BR/>तेरे अंदर भी छटपटाहट है।pratapsomvanshihttps://www.blogger.com/profile/00486250070319998318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-54284823111970760662007-07-29T00:45:00.000+05:302007-07-29T00:45:00.000+05:30bahut badiya, bade dino bad ek accha hasyvyang pad...bahut badiya, bade dino bad ek accha hasyvyang pada. kuch aur hasya ki ummed haiYatish Jainhttps://www.blogger.com/profile/14283748451497318321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-8758308456682728792007-07-25T19:18:00.000+05:302007-07-25T19:18:00.000+05:30ज्यादा पढी गयी ब्लौग साइट देख रहा था. आपकी हास्य...ज्यादा पढी गयी ब्लौग साइट देख रहा था. आपकी हास्य,व्यंग्य,व अन्य सारे रसों से भरी मीट की रपट एक बार फिर पढने में आई. मज़ेदार!!!<BR/>हां,अगली मीट तो आप खुद आयोजित करने वाली थीं, हम तो प्रतीक्षा रत है कि कब आये बुलावा और पीने को मिले 'उम्दा' किस्म की चाय!!!डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-79441197092282911682007-07-19T13:29:00.000+05:302007-07-19T13:29:00.000+05:30waah kyaa baat hai.waah kyaa baat hai.आकाशhttps://www.blogger.com/profile/02794960077591228241noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-28458014761980524272007-07-18T12:43:00.000+05:302007-07-18T12:43:00.000+05:30सुनीता जी, ये गदहा लेखन पर आपका व्यंग बेमिसाल है.प...सुनीता जी, ये गदहा लेखन पर आपका व्यंग बेमिसाल है.पर यह मानसिकता तो समाज के हर अंग मे मौज़ूद है, फ़िर लेखकों में होना कोई अटपटा तो नही!!!!!<BR/>-Dr.RGडाॅ रामजी गिरिhttps://www.blogger.com/profile/08761553153026906318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-52204854347002015332007-07-18T08:49:00.000+05:302007-07-18T08:49:00.000+05:30रपट को हास्य-व्यंग्य कविता की शकल देना अच्छा है, थ...रपट को हास्य-व्यंग्य कविता की शकल देना अच्छा है, थोड़ा इसे और विस्तार मिल जाता तो अच्छा था। क्योंकि व्यंग्य में भी सम्पूर्णता अभिलक्षित है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-33535235523475750832007-07-17T19:06:00.000+05:302007-07-17T19:06:00.000+05:30लगता है काफी की कड़वाहट अभी गयी नही ..... एक आध घू...लगता है काफी की कड़वाहट अभी गयी नही ..... एक आध घूँट दर्ज्लिंग चाय का पी लेते तो अच्छा था ..... कविता लाजवाब हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-45344747387685096502007-07-17T16:51:00.000+05:302007-07-17T16:51:00.000+05:30बहुत सुन्दर लिखा है शानू जी...मेरा मन भी हास्य लिख...बहुत सुन्दर लिखा है शानू जी...<BR/>मेरा मन भी हास्य लिखने को करने लगा... यहीं लिख देता हूं<BR/><BR/>तुम तो जो भी लिख दो<BR/>बहु जन पढें पढायें<BR/>हम जो डालें घास वो<BR/>ससुरा गधा भी न खायेMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-25049167114757212212007-07-17T16:21:00.000+05:302007-07-17T16:21:00.000+05:30शानूजीखबर है कि जो ब्लागर आपके गुट के हैं, उन्हे आ...शानूजी<BR/>खबर है कि जो ब्लागर आपके गुट के हैं, उन्हे आपने चाय के कई पैकेट गिफ्ट किये हैं, उस दिन ब्लागर्स मीट में। <BR/>हमें आपने अब गुट से कब निकाल दिया जी।ALOK PURANIKhttps://www.blogger.com/profile/09657629694844170136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-79503615956317257322007-07-17T16:09:00.000+05:302007-07-17T16:09:00.000+05:30लो जी मैं भी टिप्पयीने आ गया.क्यों? क्योंकि सुना ह...लो जी मैं भी टिप्पयीने आ गया.<BR/><BR/>क्यों? क्योंकि सुना है एक टिप्पणी पर एक कप चाय पक्की है. और आपके हाथो बनी चाय की प्रसंशा तो सुन ही चुके है. :)<BR/><BR/>अच्छा व्यंग्य है, बिलकुल चाय जैसा मजेदार.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-20062003301022843612007-07-17T11:59:00.000+05:302007-07-17T11:59:00.000+05:30एक बात को कहना भूल ही गया। इसे पढ कर काकाजी 'काका ...एक बात को कहना भूल ही गया। इसे पढ कर काकाजी 'काका हाथरसी' की याद आ गई। बहुत समय पश्चात उनकी शैली की कविता पढी है। धन्यवाद और फिर से बधाई।नीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-64527540890836408252007-07-17T11:43:00.000+05:302007-07-17T11:43:00.000+05:30हमारे साथी, अभी भी इस खूबसूरत कविता को नाराजगी की ...हमारे साथी, अभी भी इस खूबसूरत कविता को नाराजगी की अभिव्यक्ति ही मान रहे हैं, ऐसा नहीं है, मैं अपनी और से कहना फिर कहना चाहूँगा कि किसी कार्य में और सुधार के लिए सकारात्मक सुझाव देना ओर कमी निकालना सिर्फ आलोचना या बुराई नहीं है। बहुत ही बेहतरीन चुटीली व्यंग्य रचना है, इसे पढ कर हास्य का आनन्द लिया जाना चाहिये और व्यंग्य से सीख ली जानी चाहिये।नीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-9734395140028645672007-07-17T11:41:00.000+05:302007-07-17T11:41:00.000+05:30भाइ हम तो साधुवाद ही देगे.वैसे आपने कल गदहा(गद्द)ल...भाइ हम तो साधुवाद ही देगे.वैसे आपने कल गदहा(गद्द)लेखन भी कमाल का किया था,और कविता तो आपकी चाय के साथ समोसे जैसी है ही..:)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-65480207635399255572007-07-17T11:35:00.000+05:302007-07-17T11:35:00.000+05:30:-)अच्छा लिखा है सुनीता जीहँसा दिया आपनेगौरव शुक्ल...:-)<BR/>अच्छा लिखा है सुनीता जी<BR/>हँसा दिया आपने<BR/><BR/><BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-81756411794914089992007-07-17T11:27:00.000+05:302007-07-17T11:27:00.000+05:30वाह वाह वाह । कमाल किया है । कल के गद्य पर बधाई नह...वाह वाह वाह । कमाल किया है । कल के गद्य पर बधाई नहीं दे पाया और शायद करने का मन ही नहीं हो रहा था, कारण कि मैं उन सब बातों को शायद पद्य में ही तलाश कर रहा था और यह तलाश इस नायाब शुरूआत में पूरी हुई। एक बार फिर से बहुत बहुत बधाई। मैं तो गधहा लेखन नहीं कहूँगा, आप तो पधहा लेखन ही करो। पढ कर मन प्रफुल्लित हो गया है, मन ही मन हॅंसी फूट रही है। सतसईया के दोहरे, देखन में छोटे लगे घाव करे गंभीर।नीरज शर्माhttps://www.blogger.com/profile/02856956576255042363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-88705301967432231782007-07-17T11:12:00.000+05:302007-07-17T11:12:00.000+05:30गदहा लेखन में टिपियाये हैं तो पदहा लेखन में भी टिप...गदहा लेखन में टिपियाये हैं तो पदहा लेखन में भी टिपियाना पडेगा ही । शुकुल महराज नें झंडा धराई दिया है और अगस्त आई रहा है । बकिये के गुरूओं नें भी अशीष दे ही दिया है, वीर तुम बढे चलो . . . ।<BR/>बधाई सुनीता जी सटीक ब्यंग कविता के लिए घटनाओं का जीवेत चित्रण किया है ।<BR/>अब बडे गुरूजी नें साधुवाद कह ही दिया है तो हम भी कहेंगे, साधुवाद36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-59786463743835278652007-07-17T11:01:00.000+05:302007-07-17T11:01:00.000+05:30क्या बात है, शानदार गद्य के बाद अब एक शानदार हास्य...क्या बात है, शानदार गद्य के बाद अब एक शानदार हास्य कविता भी!! बाकियों को कफ़ी पीछे छोड़ने का इरादा लगता है आपका!<BR/><BR/>वैसे भगवान ऐसी संगत आपको हमेशा दे जिसके फ़लस्वरुप गद्य और पद्य दोनों में कमाल किया आपने!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-9504115242475858852007-07-17T10:26:00.000+05:302007-07-17T10:26:00.000+05:30सुनीता जी,आपकी नाराज़गी ज़ायज़ है और इस हास्य कविता क...सुनीता जी,<BR/>आपकी नाराज़गी ज़ायज़ है और इस हास्य कविता का व्यंग्य इसीलिये काफी तीखा है. बहुत खूब.<BR/>मगर कम से कम गद्य लेखन को गदहा लेखन कहकर हमारे गद्य-लेखन शुरू करने के विचारों पर तुषारापात तो मत कीजिये.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-46854696083627507582007-07-17T07:50:00.000+05:302007-07-17T07:50:00.000+05:30अच्छा है सुनिता जी ....मजा आ गया ऎसी ही लिखती रहें...अच्छा है सुनिता जी ....मजा आ गया <BR/><BR/>ऎसी ही लिखती रहें....Reetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-45453843413768869102007-07-17T06:40:00.000+05:302007-07-17T06:40:00.000+05:30बहुत सही। ऐसे ही गदहा और पदहा लेखन में झंडा फ़हराती...बहुत सही। ऐसे ही गदहा और पदहा लेखन में झंडा फ़हराती रहें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-84204816518546741682007-07-17T06:20:00.000+05:302007-07-17T06:20:00.000+05:30अरे, पराये हों हमारे दुश्मन. हम बस देर हो गये. क्य...अरे, पराये हों हमारे दुश्मन. हम बस देर हो गये. क्या सटीक अचूक ब्रह्मास्त्र चलाया है कि आनन्द ही आ गया. निश्चिंत होकर लिखो. हम हैं न!! :) साधुवाद इस बेहतरीन और बेबाक लेखन पर. हमें तो आनन्द आ गया. गद्य और पद्य दोनोम में झंडा फहरा दिया एक ही दिन में. हम हतप्रद हैं, हा हा!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-238211821352305428.post-8854365696685242762007-07-17T02:46:00.000+05:302007-07-17T02:46:00.000+05:30शानू जी, मज़ेदार कविता है!शानू जी, मज़ेदार कविता है!Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.com